पूरी दुनिया ने अफगानिस्तान को बर्बाद किया, भारत ने चुपचाप फिर से बसाया, अब सभी तारीफ कर रहे हैं

अफगानिस्तान

इस वर्ष अगस्त महीने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अफ़ग़ानिस्तान को लेकर भारत पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा था कि भारत, अफ़ग़ानिस्तान में शांति स्थापना के लिए उचित कदम नहीं उठा रहा है। उस दौरान ट्रम्प ने कहा था कि अफ़ग़ानिस्तान में ISIS जैसे आतंकवादी संगठन की समस्या है और भारत जैसे देश उससे निपटने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं जबकि अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान से सात हज़ार मील दूर बैठकर वहां अपना पैसा खर्च कर रहा है।

राष्ट्रपति ट्रम्प की इन बातों को 3 महीने होने को हैं और अब अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेन्ट ने खुद राष्ट्रपति ट्रम्प के इन दावों की पोल खोलकर रख दी है। अब अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेन्ट के अधिकारियों ने माना है कि अफ़ग़ानिस्तान में शांति स्थापना में भारत का बड़ा योगदान है और अफ़ग़ानिस्तान के हर प्रांत में भारत विकास कार्यों को अंजाम दे रहा है और अब तक ऐसे 400 से ज़्यादा विकास कार्यों को पूरा भी किया जा चुका है

इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में बिना घुसे अफ़ग़ानिस्तान की बेहतरी के लिए कई कदम उठाए हैं और वहां काफी मात्रा में निवेश भी किया है। भारत ने पिछले एक दशक में एक विश्वगुरु की तरह अफ़ग़ानिस्तान में विकास कार्यों को आगे बढ़ाया है जिसकी वजह से खुद अफ़ग़ानिस्तान भी भारत को अपना सबसे अहम दोस्त मानता आया है।

दरअसल, अमेरिका में एक कार्यक्रम में बोलते हुए अमेरिका में मौजूद भारत के राजदूत हर्षवर्धन शृंगला ने अमेरिकी अधिकारियों को बताया कि भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में 400 विकास कार्यों को पूरा कर लिया है जबकि अन्य 150 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि भारत के ये प्रोजेक्ट्स अफ़ग़ानिस्तान के सभी 34 प्रान्तों में फैले हुए हैं, यानि भारत अफ़ग़ानिस्तान में चहुंमुखी विकास करने की नीति का पालन करता आया है जिसे वहां मौजूद स्टेट डिपार्टमेन्ट की अफ़ग़ानिस्तान के लिए डेप्युटी सेक्रेटेरी नैंसी जैक्सन ने सराहा। जैक्सन ने कहा कि “संयुक्त राज्य अमेरिका अफगानिस्तान में भारत के पर्याप्त निवेश और सहायता का स्वागत करता है। और हम अफगानिस्तान में एक सम्मानजनक और स्थायी परिणाम प्राप्त करने के प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेंगे, जो अफगानिस्तान के भविष्य में हमारे निवेश को संरक्षित करता है”।

बता दें कि भारत वर्ष 2001 से ही अफ़ग़ानिस्तान में विकास कार्यों में बढ़-चढ़कर निवेश करता आया है, और यही कारण है कि अफ़ग़ानिस्तान और भारत सरकार के रिश्ते बेहद मधुर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर क़ाबुल में मौजूद भारतीय दूतावास के अनुसार अब तक भारत अफगानिस्तान में 2 बिलियन अमरीकी डॉलर यानि करीब 139 अरब रुपये का निवेश कर चुका है और भारत इस देश में शांति, स्थिरता और तरक्की के लिए प्रतिबद्ध है। इससे पहले भारत ने साल 2011 में भयंकर सूखे से जूझ रहे अफ़ग़ानिस्तान को ढाई लाख टन गेहूं दिया था। इसके अलावा अफगानिस्तान के हेरात में सलमा बांध भारत की मदद से बना। ये बांध 30 करोड़ डॉलर (क़रीब 2040 करोड़ रुपये) की लागत से बनाया गया और इसमें दोनों देशों के क़रीब 1500 इंजीनियरों ने अपना योगदान दिया था। इसकी क्षमता 42 मेगावाट बिजली उत्पादन की भी है। 2016 में अस्तित्व में आए इस बांध को भारत-अफगानिस्तान मैत्री बांध का नाम दिया गया। इसके अलावा भारत अफगानिस्तान में संसद का निर्माण भी कर चुका है।

भारत की कूटनीति में भारतीयता को आप इसी से समझ सकते हैं। भारत की कूटनीति सबका साथ-सबका विकास वाली नीति को आगे लेकर बढ़ने की है, और भारत ने समय-समय पर इसे साबित भी किया है। श्रीलंका में ज़रूरतमंदों को 63 हज़ार घर सौंपने हों, कर्ज़ में डूबे मालदीव को वित्तीय सहायता प्रदान करना हो, भूटान को हर वर्ष वित्तीय मदद देना हो, या अफ़ग़ानिस्तान में विकास कार्यों में निवेश करना हो, हर बार भारत ने यह दिखाया है कि भारत के लिए उसके विकास के साथ-साथ पड़ोसियों का विकास भी ज़रूरी है। यही वजह है कि भारत की कूटनीति पूरी दुनिया में सबसे अलग और प्रभावी है। आज जहां विश्व के कई देश सरंक्षणवादी नीतियों को अपना रहे हैं, तो वहीं भारत सबको साथ लेकर चलने की नीति को आगे बढ़ा रहा है जो भारत को पूरे विश्व से अलग बनाता है।

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