किसने कहा यह मायने नहीं रखता है? एक राष्ट्रीय चयनकर्ता कैप्टन की पत्नी को चाय दे यह तो निंदनीय है

आपसी मित्रता ड्रॉइंग रूम तक ही सीमित रहे तो अच्छा!

फ़ारूख इंजीनियर

हाल ही में पूर्व क्रिकेटर फ़ारूख इंजीनियर ने एक खुलासा किया है। उन्होंने बीसीसीआई के सीओए अर्थात प्रशासनिक कमेटी को आड़े हाथों लेते हुए भारतीय क्रिकेट टीम के प्रमुख चयनकर्ता एमएसके प्रसाद के नेतृत्व वाली चयन कमेटी को निशाने पर लिया।

गुरुवार को टाइम्स ऑफ इंडिया से साक्षात्कार के समय फ़ारूख इंजीनियर ने सौरव गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति की प्रशंसा करते हुए एमएसके प्रसाद के नेतृत्व वाली चयन समिति एवं पूर्ववर्ती सीओए की चुटकी लेते हुए कहा था, “हमारे पास इस समय मिकी माउस जैसी सलेक्शन कमेटी है। टीम इंडिया के पास विराट कोहली जैसा कप्तान है जो काफी अच्छा है। मगर सेलेक्टर्स कितने क्वालिफायड हैं, यह एक बड़ा सवाल है।

पूरी सलेक्शन कमेटी में शामिल सदस्यों ने मिलकर मुश्किल से 10-12 टेस्ट खेले होंगे। वर्ल्डकप के दौरान तो मैं इन सलेक्टर्स को जानता तक नहीं था। तब मैंने कुछ लोगों को टीम इंडिया का ब्लेजर पहने देखा तो मुझे बताया गया कि ये सलेक्टर्स हैं। मुझे याद है कि ये सलेक्टर्स वर्ल्डकप के दौरान अनुष्का शर्मा के लिए चाय लेकर आते थे। मुझे लगता है दिलीप वेंगसरकर जैसे लोगों को चयन समिति में होना चाहिए था”।

फ़ारूख का बयान सच्चाई से विमुख भी नहीं है। एमएसके प्रसाद ने केवल छह टेस्ट खेले हैं, जबकि अन्य चयनकर्ताओं जैसे सारंदीप सिंह एवं देवांग गांधी ने 3 टेस्ट खेले हैं। गगन खोड़ा और जतिन परांजपे ने तो एक भी टेस्ट नहीं खेला है। परंतु अनुष्का शर्मा वाले बयान पर विवाद खड़ा हो गया, और अनुष्का शर्मा ने आरोपों का खंडन करते हुए अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया, मुझसे पूछा गया कि मैं हाई कमीशन में टीम इंडिया की ग्रुप फोटो में क्यों थी, जबकि मुझे निमंत्रित किया गया था इसलिए मैं वहां पहुंची थी। बोर्ड ने इसको लेकर सफाई भी दी थी, फिर भी मैं शांत रही। मगर अब जो नई खबर आई है कि वर्ल्डकप के दौरान भारतीय सलेक्टर्स मेरे लिए चाय लेकर आते थे, यह पूरी तरह से बकवास है। मैं वर्ल्डकप का एक मैच देखने जरूर गई थी मगर मैं फैमिली बॉक्स में बैठी थी न कि सलेक्टर्स बॉक्स में। अगर आपको सलेक्शन कमेटी पर सवाल खड़े करने हैं तो आप करिए मगर मेरा नाम बीच में मत घसीटो। किसी को भी ऐसी चीजों में मेरा नाम इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है।

एमएसके प्रसाद ने भी अनुष्का की आड़ में फ़ारूख इंजीनियर पर निशाना साधते हुए कहा, “मुझे उस व्यक्ति के लिये दुख होता है जो घटिया बातों में उलझकर आनंद लेता है, जिससे वह झूठे और तुच्छ आरोपों के माध्यम से हमारे भारतीय कप्तान की पत्नी और चयनकर्ताओं का अपमान और अनादर कर रहे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस चयन समिति को बीसीसीआई ने आम सालाना बैठक में उचित प्रक्रिया से नियुक्त किया है। एक 82 साल के व्यक्ति को अपनी बातों में परिपक्वता दिखानी चाहिए और उन्‍हें भारतीय क्रिकेट के अपने दौर से आज तक हुई प्रगति का लुत्फ उठाना चाहिए”।

फ़ारूख इंजीनियर ने इस पर सफाई देते हुए बताया कि उनके बयानों का संकेत बीसीसीआई की वर्तमान चयन समिति की ओर था, अनुष्का की ओर नहीं। अब अनुष्का शर्मा को लेकर फ़ारूख इंजीनियर का बयान भले ही वाद-विवाद का विषय बने, परंतु चयनकर्ताओं को लेकर उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा है। चयनकर्ताओं के ऊपर देश की क्रिकेट टीम के लिए सर्वोच्च प्रतिभा को चुनने का दायित्व सौंपा जाता है, जिसे 1983 में गुलाम अहमद, चंडू बोर्डे एवं बिशन सिंह बेदी की तिकड़ी और 2011 में कृष्णमचारी श्रीकांत ने क्रिकेट विश्व कप के लिए विश्व विजेता टीम को चुनकर सत्य भी सिद्ध किया है। परंतु वर्तमान चयन समिति के लचर स्वभाव के कारण भारतीय टीम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपमानित होना पड़ा, जिसके प्रत्यक्ष प्रमाण के तौर पर आईसीसी विश्व कप का 2019 का संस्करण सामने आता है।

टीम ने उच्चक्रम पर निर्भर रहते हुए सेमीफ़ाइनल तक का सफर तय किया है। हालांकि गेंदबाजों के उत्कृष्ट प्रदर्शनों के बावजूद मिडिल ऑर्डर में परिपक्वता की कमी के कारण भारत को न्यूज़ीलैंड से 18 रनों की पराजय का सामना करना पड़ा था। इसके पीछे एक प्रमुख कारण टीम में उचित मिडिल ऑर्डर खिलाड़ियों की कमी भी थी। यदि अनुष्का शर्मा को लेकर फ़ारूख इंजीनियर के बयान सत्य सिद्ध होते हैं, तो सौरव गांगुली को अविलंब ऐसे अवसरवादी चयनकर्ताओं के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि क्रिकेट और खेल के प्रति भारतीय जनता का विश्वास डगमगाये नहीं।

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