भारत के इतिहास में सबसे बड़ा रक्षात्मक सुधार करते हुए कल यानि मंगलवार को मोदी सरकार ने चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद को सृजित करने का ऐलान कर दिया, जो सैन्य मामलों के डिपार्टमेन्ट का नेतृत्व करेगा। बता दें कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने ऐसे किसी भी पद को बनाने से परहेज किया था और यह इसलिए किया था ताकि उनके खिलाफ कोई तख़्तापलट ना कर सके। हालांकि, ऐसे किसी भी पद के ना होने से भारतीय सुरक्षा बलों के बीच कभी बाधाहीन संवाद स्थापित नहीं हो पाया। लेकिन मोदी सरकार ने CDS पद का सृजन कर यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके लिए देश की रक्षा के मामलों में तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल का होना अत्यंत आवश्यक है।
Union Minister Prakash Javadekar: Government has approved the creation of post of Chief of Defence Staff. The officer to be appointed as Chief of Defence Staff will be a four star General and will also head the Department of military affairs pic.twitter.com/hC4ibOT5p4
— ANI (@ANI) December 24, 2019
बता दें कि भारत की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहने वाली तीनों सैन्य सेवाओं के बीच समन्वय की कमी को सीडीएस की नियुक्ति दूर करेगी। सीडीएस एक तरह से सेनापति होगा, जो तीनों सेनाओं की रणनीति तय कर सकेगा। बदलते युद्ध के तरीकों और चुनौतियों के लिए लिहाज से यह पद जरूरी माना गया। इससे फौज तीन भागों में नहीं बंटी रहेगी। इससे रणनीति, खरीदारी प्रक्रिया और सरकार के पास सैन्य सलाह की सिंगल विंडो बन जाएगी। इसके अलावा सरकार ने डिपार्टमेन्ट ऑफ मिलिटरी अफेयर्स के नाम से एक अलग विभाग बनाने का भी ऐलान किया है।
अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर इस पद की क्या ज़रूरत थी। आज की परिस्थितियों में देश की जल, थल और वायु सेनाएं अलग-अलग सोच से काम नहीं कर सकतीं। हमारी पूरी सैन्य शक्ति को एकीकृत होकर काम करना ही होगा। तीनों सेनाओं को एक साथ समान गति से आगे बढ़ना होगा। युद्ध और सुरक्षा वातावरण की प्रकृति बदल रही है। सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने मुंह बाए खड़ी चुनौतियों से अच्छी तरह वाकिफ है, और यह भारतीय सेना की ज़िम्मेदारी है कि वह उसके प्रति पूरी तरह चौकन्नी रहे। सैन्य विभाग से संबन्धित निर्णयों को लेने में सैन्य विशेषज्ञता की ज़रूरत को सरकार ने जाना और माना है। इसीलिए अब CDS पद की नियुक्ति की जा रही है। प्रस्तावित CDS का रैंक भी अन्य सेना प्रमुखों की तरह ही चार स्टार जनरल का होगा।
CDS सैन्य सुरक्षा मसले पर रक्षा मंत्री के मुख्य सलाहकार होंगे जिनका वेतन बाकी तीनों सेना प्रमुख के बराबर होगा। साथ ही कोई भी सीडीएस पद से रिटायर होने के बाद कोई सरकारी पद नहीं ले सकेगा, और पांच साल तक बिना सरकार की इजाज़त के प्राइवेट कंपनी या कॉरपोरेट में नौकरी नहीं कर पाएंगे। 1999 में कारगिल युद्ध के बाद पहली बार एक ऐसे पद के सृजन की ज़रूरत महसूस हुई थी। 1999 में कारगिल समीक्षा समिति ने सरकार को एकल सैन्य सलाहकार के तौर पर चीफ आफ डिफेंस स्टाफ के सृजन का सुझाव दिया था। सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट समिति ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के नेतृत्व वाली उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी। इस समिति ने सीडीएस की जिम्मेदारियों और ढांचे को अंतिम रूप दिया था। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को घोषणा की थी कि भारत में तीनों सेना के प्रमुख के रूप में सीडीएस होगा।
भारत सरकार अपना यह कदम उठाकर देश की रक्षा नीति से नेहरूवियन रक्षात्मक नीतियों को हमेशा के लिए खत्म करने जा रही है। तख़्तापलट के डर की वजह से नेहरू ने कई ऐसे कदम उठाए जिसने देश का बहुत नुकसान किया। वर्ष 1962 में हमें इसका एक उदाहरण भी देखने को मिला जब एक व्यवस्थित चीनी सेना के सामने बिखरी भारतीय सेना को हार का सामना करना पड़ा। नेहरू के समय अफसरशाही वाले लोग सेना को निर्देश देते थे और सैन्य विश्लेषकों की सुनी नहीं जाती थी, जिसके कारण भारतीय सेना कभी अपनी शक्ति का सही से इस्तेमाल ही नहीं कर पाई। अब CDS पद की नियुक्ति से मोदी सरकार इस ऐतिहासिक भूल को सुधारने का काम करेगी। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो भारत सरकार पहले CDS के रूप में मौजूदा भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को नियुक्त कर सकती है। मोदी सरकार के नेतृत्व में इस सुधार के बाद अब देश की रक्षा नीति और ज़्यादा प्रभावशाली और आक्रामक होगी, जिसका फायदा देश की तीनों सेनाओं को मिलेगा और देश के दुश्मन भी भारत के खिलाफ कोई एक्शन लेने से पहले सौ बार सोचने पर मजबूर होंगे।