चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पहले तो कश्मीर में पाकिस्तान का साथ दिया और अब समुद्री रास्ते से भारत की नेवी पर जासूसी कर रहा था। परंतु भारतीय नेवी ने इस चीन की वेस्सल यानि पोत का पता लगाकर उसे खदेड़ दिया।
दरअसल, भारतीय नेवी ने अंडमान निकोबार के निकट भारतीय पानी में एक चीनी पोत को गस्त लगाते पाया। शी यान 1 नाम का यह चीनी पोत भारतीय पानी में अपना ऑपरेशन चला रहा था। उसी समय भारतीय समुद्री पानी की निगरानी करने वाले विमान ने चीनी पोत का पता लगाया और पाया कि वह भारतीय Exclusive Economic Zone (EEZ) में जासूसी गतिविधियों कर रहा था, जिसके बाद भारतीय जल सेना ने उसे ऑपरेशन चला कर खदेड़ दिया।
रिपोर्ट्स के अनुसार यह चीनी पोत भारत के सभी हरकतों चाहे वो पानी के ऊपर या पानी के भीतर चल रहे गतिविधियों की जासूसी कर रहा था। अंतराष्ट्रीय कानून के अनुसार कोई भी देश भारत के Exclusive Economic Zone (EEZ) में किसी प्रकार का रिसर्च नहीं कर सकता।
भारतीय नौसेना उन चीनी जहाजों पर निरंतर निगरानी रखती है जो भारतीय नौसेना की जिम्मेदारी वाले क्षेत्र के पास मलक्का स्ट्रेट से हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। भारतीय नौसेना के P-8I समुद्री निगरानी विमान ने सात चीनी नौसेना युद्धपोतों के संचालन का पता लगाया था। ANI ने भारतीय नौसेना की निरंतर निगरानी क्षमताओं के बारे में हिंद महासागर क्षेत्र में सबसे पहले चीनी लैंडिंग प्लेटफॉर्म Dock Xian-32 की विशेष तस्वीरों के साथ रिपोर्ट किया है।
चीनी नौसेना अक्सर एंटी-पायरेसी गश्त के नाम पर भारतीय जल में प्रवेश करती है लेकिन भारतीय नौसेना यह बात जनता है कि चीन यह जासूसी के लिए करता है क्योंकि चीनी युद्धपोत परमाणु और पारंपरिक पनडुब्बियों के साथ होते हैं जिनका एंटी-पाइरेसी ऑपरेशन में कोई मतलब नहीं हैं।
हिन्द महासागर क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (प्लान) पनडुब्बियों की तैनाती की वजह से भारत की चिंता थोड़ी बढ़ गयी है। भारतीय पर्यवेक्षकों को संदेह है कि समुद्री डकैती विरोधी अभियान की आड़ में चीन की पनडुब्बियां इस उपमहाद्वीप के तटीय इलाकों की अन्तर्जलीय गतिविधियों के बारे में सूचनाएं जुटाने में लगी हैं।
बता दें कि अंडमान निकोबार भारतीय दृष्टिकोण से सामरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और भारत सरकार ने इसी वर्ष जनवरी में वहाँ पर एक चीनी नौसेना की हरकतों की निगरानी करने के लिए हिंद महासागर में अपना तीसरा नेवी बेस खोलने का ऐलान किया था।
बता दें कि भारत के शीर्ष नेतृत्व की चिंता अपने पड़ोस में चीन के श्रीलंका, पाकिस्तान में बनाए गए व्यवसायिक बंदरगाहों को लेकर है, जिन पर चीन किसी भी समय अपनी लगातार बढ़ती जा रही नौसेना को तैनाती दे सकता है। इसके चलते चीन भारत को दोहरे मोर्चे पर घेरने में सफल हो सकता है। वर्ष 2014 में ही भारत इस स्थिति से जूझ चुका है, जब चीन की पनडुब्बी श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह पर खड़ी थी।
अंडमान निकोबार के विकास से ऐसा लगता है कि अंडमान निकोबार कमांड में सेनाओं के बीच आपसी सामंजस्य बेहतर होगा। ये कमांड भारत का एकमात्र सामरिक त्रि-सेना कमांड है। पिछले साल अगस्त के बाद सरकार ने जो कदम उठाये हैं उनसे प्रमाणिक सैन्य एकीकरण को लेकर सरकार की तत्परता दिखती है।