डरना ज़रूरी है-जहां रंग दे बसंती के सभी एक्टरों ने CAA प्रोटेस्ट में हिस्सा लिया, वहीं आमिर इससे दूर रहे

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संसद में CAA के पारित होने के बाद से, देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। विपक्षी राजनेताओं के अलावा, कई लिबरल गैंग के विरोधी भी सीएए के विरोध में शामिल हो गए हैं। इन लिबरलों में बॉलीवुड की कई हस्तियां भी शामिल हैं, जो बड़े पैमाने पर पीएम मोदी का विरोधी रहे हैं। इस विरोध की आड़ में ये हस्तियां अपना प्रचार कर रही हैं। सीएए का भ्रामक विरोध करके बॉलीवुड की ये हस्तियां लिबरलों के नजर में देवता बन जाएंगे।

इस अंधविरोध में सबसे पहले नाम आता है फरहान अख्तर और स्वरा भास्कर जैसे लिबरलों का। ये ऐसे अंध विरोधी हैं जो मोदी सरकार के किसी भी फैसले को आंख मूंदकर गलत बता देते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। दरअसल, एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें यह देखा जा सकता है कि कैसे फरहान अख्तर को सीएए के बारे में कोई जानकारी नहीं है और वह फिर भी इसके विरोध में शामिल हो गए हैं। यही हाल अधिकांश बॉलीवुड के सितारों का भी है, जो अपने पीआर मैनेजर के आदेशों का पालन करते हैं और बिल को विस्तार से पढ़ने की कोशिश नहीं करते।

इस अंध विरोध में ‘रंग दे बसंती’ की स्टार कास्ट भी गाजे बाजे के साथ शामिल हो गए हैं। कुणाल कपूर, सोहा अली खान, सिद्धार्थ और अतुल कुलकर्णी जैसे अभिनेताओं ने सार्वजनिक रूप से ट्विटर पर CAA के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त किया है। यह कहना दूर की कौड़ी नहीं होगी कि ‘रंग दे बसंती’ वह फिल्म थी जिसने इन चारों अभिनेताओं को एक नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया, इसी फिल्म से लोग इन्हें पहचानने लगे। हालांकि इस फिल्म में चंद्र शेखर आजाद की भूमिका निभाने वाले अभिनेता यानि आमीर खान ने CAA के विरोध में अपना मुंह नहीं खोला है। हो सकता है कि पूर्व के बयानों के कारण आमीर ने सबक सीख ली है या फिर कुछ और कारण होगा।

‘रंग दे बसंती’ एक ऐसी फिल्म है, जिसमें युवा अपने सरकार विरोधी रुख का प्रदर्शन करते हैं और हथियार उठाकर रेडियो स्टेशन में घुस जाते हैं। सिद्धार्थ नारायण इस फिल्म में भगत सिंह का किरदार निभाए थे। ये एक ऐसे अभिनेता हैं जो पीएम मोदी का सालों भर विरोध करते रहते हैं। कोई भी मुद्दा हो उसमें पीएम मोदी को ही गलत ठहराते हैं। इसी तरह कुणाल कपूर और अतुल कुलकर्णी ने क्रमशः अशफाकउल्ला खां और राम प्रसाद बिस्मिल की भूमिकाएं निभाई थी। इस फिल्म में शिवराम राजगुरू का किरदार सरमन जोशी ने निभाया था।

‘रंग दे बंसती’ मूवी को फिल्म समीक्षकों द्वारा खूब सराहा गया और इसे सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला। लेकिन आमीर खान की एक गलती की वजह से यह फिल्म देश के कई सिनेमाघरों में पीट गई। दरअसल, आमीर खान फिल्म रिलीज के दौरान ही मेधा पाटेकर के नर्मदा बचाओ अभियान में शामिल हो गए थे। इस विरोध से जुड़ने के बाद आमीर की देशभर में आलोचना हुई, लोगों ने खूब भला-बुरा कहा। फिल्म का इतना विरोध हुआ कि यह गुजरात में बैन हो गया।

इसी तरह आमीर खान ने कुछ वर्ष पहले एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि देश में असहिष्णुता का माहौल है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि 2014 (जब से मोदी सत्ता में आए) से ही देश में असहिष्णुता का माहौल बन रहा है। इस टिप्पणी के बाद आमीर खान की चौतरफा आलोचना होने लगी। यहां तक की उनके हार्ड कोर फैंस भी काफी नाराज हो गए। उस समय आमीर खान स्नैपडील के ब्रांड एंबेसडर थे। लोगों ने जब स्नैपडील को भी बॉयकॉट करना शुरू कर दिया तो स्नैपडील ने आमीर खान को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

हालांकि, रंग दे बसंती के सभी अभिनेता सरकार विरोधी रुख स्पष्ट कर रहे हैं, वहीं आमीर खान इस अंधविरोध से गायब हैं। लगता है उन्हें पता चल गया है कि फर्जी विरोध करने पर कितना नुकसान उठाना पड़ता है। सच कहें तो आमीर खान अपने अतीत से काफी सीखें हैं। इसीलिए वह फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। वे नहीं चाहते कि पूर्व की तरह कुछ अनाप-शनाप बककर अपना नुकसान करवाएं।

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