कल रात आजतक पर, राहुल कंवल यॉर्कर पे यॉर्कर मारते रहे, शाह ताबड़तोड़ छक्के जड़ते गए

लॉजिक, मज़ाक और बेजोड़ व्यंग्य!

गृह मंत्री अमित शाह अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं, और खासकर पत्रकारों के साथ उनका रिकॉर्ड तो और भी अच्छा रहा है। यही हमें कल शाम देखने को मिला जब उन्होंने आजतक के ‘एजेंडा आजतक’ के आठवें संस्करण में पत्रकार राहुल कंवल के साथ 90 मिनट लंबी बातचीत की। इस दौरान उन्होंने नागरिकता कानून पर हो रहे विरोध प्रदर्शन से लेकर कुलदीप सेंगर मामले तक पर जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट कहा कि आप लोग कांग्रेस से सवाल ही नहीं पूछते जिसने इन सभी चीजों की शुरुआत की थी जो आज सिर्फ तुष्टिकरण के लिए उसी कानून का विरोध कर रही है। उन्होंने CAA पर सवाल पूछा कि जब कांग्रेस करे तो सेकुलरिज़्म और हम करे तो कम्यूनलिज़्म?

राहुल कंवल ने इंटरव्यू के दौरान सबसे पहला सवाल किया कि “देश के बहुत सारे विश्वविद्यालयों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, इसपर अमित शाह का क्या कहना है?” इसपर बता गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “देश में लगभग 224 विश्वविद्यालय हैं, जिनमें से 22 विश्वविद्यालय में प्रदर्शन हो रहा है। इनमें से 4 ऐसे विश्वविद्यालय हैं, जहां गंभीर विरोध प्रदर्शन हुआ है”। गृह मंत्री ने कहा कि बाकि विश्वविद्यालयों में मामूली प्रदर्शन हुआ है।इसलिए आप इसे बहुत सारे मत कहिए।

जामिया में हुई हिंसा को रोकने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हिंसा को रोकना पुलिस का फर्ज भी है और धर्म भी। गृहमंत्री ने कहा कि यदि पुलिस हिंसा रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाती, तो हमारी नजर में वह अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं कर रही है। उन्होंने कहा है कि जामिया मिलिया के अंदर से पथराव होता है, लोग बाहर से आते हैं और तोड़-फोड़ करते हैं। उन्होंने कहा कि दंगाई दंगा करते रहें और पुलिस मूकदर्शक बनी रहे, यह कैसे हो सकता है।

जब राहुल कंवल ने यह पूछा कि पुलिस यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर से बिना पूछे क्यों घुसी, तो इस पर अमित शाह ने तुरंत कहा कि दिल्ली पुलिस को मैंने कहा कि आप पहले शांति करिए बाद में बाकी चीजों को देख लेंगे। उन्होंने आगे कहा कि एक टीवी चैनल के लिए यह महत्वपूर्ण सवाल हो सकता है कि पुलिस पूछकर घुसी या नहीं, लेकिन गृह मंत्री के लिए यह महत्वपूर्ण है कि दिल्ली में शांति है या नहीं।

जब उनसे यह सवाल किया गया कि कई मुख्यमंत्री CAA कानून को मानने से इंकार कर रहे हैं,  तो अमित शाह ने कहा कि किसी भी मुख्यमंत्री को नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने से मना करने का कोई अधिकार नहीं है। जब संसद ने कानून बना दिया तो यह पूरे देश में लागू होगा। उन्होंने कहा कि नागरिकता केंद्र की सूची में है।इतना बड़ा कानून ऐसे ही थोड़ी न बनाया है।

उन्होंने इस बात पर अधिक ज़ोर देकर कहा कि इस मामले पर विपक्ष एकजुट होकर अफवाह फैला रहा है। एंजेडा आजतक में अमित शाह ने कहा कि देशभर में हो रहे प्रदर्शन के लिए विपक्ष जिम्मेदार है।

NRC पर अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि जो नागरिक नहीं है, उन्हें भारत से बाहर जाना ही होगा। अमित शाह ने कहा कि एनआरसी में धर्म के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं होगी और जो कोई भी एनआरसी के तहत इस देश का नागरिक नहीं पाया जाएगा, सबको निकालकर देश से बाहर किया जाएगा। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि NRC सिर्फ मुस्लिमों के लिए नहीं है।

अमित शाह ने आगे कहा कि देश का बंटवारा धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए था, मगर कांग्रेस ने बंटवारे की डिमांड पर सरेंडर किया और इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ। उन्होंने कहा कि अगर धर्म के आधार पर देश का बंटवारा नहीं होता तो इस बिल की नौबत ही नहीं आती।

देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि NRC का आइडिया कांग्रेस का है। क्या कांग्रेस इस कानून को शोकेस में रखने के लिए लेकर आई थी। अमित शाह ने कहा कि राजीव गांधी के समय में ही असम समझौता किया था।

गृह मंत्री ने इस कार्यक्रम में कहा कि जब नेहरू-लियाकत अली समझौते का पाकिस्तान में पालन नहीं हुआ तब यह हमारी जिम्मेदारी थी कि हम वहां के अल्पसंख्यकों को यहां शरण दें। कांग्रेस ने 70 साल तक इन लोगों को नर्क की जिंदगी जीने के लिए मजबूर किया। अपनी वोट बैंक के लिए उन्हें कई चीजें भुगतनी पड़ी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रही कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला और सवाल उठाया कि अगर कल को सत्ता परिवर्तन के बाद फ्रांस अपने यहां से सारे हिंदुओं को निकाल दे तो वो कहां जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर हिन्दू प्रताड़ित होंगे तो यहीं आएंगे।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 25 नवंबर 1947 को अपनी कार्यकारिणी बैठक में संकल्प अंगीकार किया और कहा कि वह पाकिस्तान के उन सभी गैर मुस्लिमों को पूर्ण सुरक्षा देने के लिए बाध्य है। उन्होंने NRC पर 2 सवाल भी पूछे और कहा कि आप “बता दें कि दुनिया का कौन सा देश है जहां पर अपने लोगों का रजिस्टर नहीं है। क्या आप अमेरिका जाएंगे और आपको वहाँ की नागरिकता ऐसे ही मिल जाएगी? और दूसरा यह कि दुनिया में कहीं से भी मुसलमान आए तो उसे नागरिकता दे दि जानी चाहिए क्योंकि हिंदुओं को दे रहे है? ऐसे देश चलता है क्या? जो देश ये पूछ रहे हैं कि हमने ये भेदभाव क्यों किया, मैं उनसे ये पूछना चाहता हूँ कि आप भी तो वैज्ञानिक और पढे लिखे लोगों को ले जाते हो, अनपढ़ को क्यों नहीं ले जाते ? ये भी तो भेद भाव है”।

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि “हमारी सरकार ने पांच साल में अफगानिस्तान, पाकिस्तान समेत दूसरे देश से आए 600 प्रताड़ित मुसलमानों को नागरिकता दी है।ये भारत के प्रधानमंत्री का कमिटमेंट था और यह उनसे कहा गया था कि जब भी आप वहाँ नहीं रहना चाहते हों, तब आप भारत आ सकते हैं। दुनिया के किसी भी देश में हिंदू निकाला जाएगा तो कहां जाएगा, यहीं आएगा। 1971 में इंदिरा गांधी ने सामूहिक नागरिकता दी थी”।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “भारत की संविधान पीठ में ज्यादातर लोग कांग्रेसी थे। 370 हटाने का रास्ता कांग्रेस ने ही दिया था। नेहरू जी ने तभी संसद में कहा था कि 370 घिसते-घिसते घिस जाएगा। हमने घिस दिया”।

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार ये मानती है कि पाक अधिकृत कश्मीर (POK) भारत का है, भारत में सम्मलित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये मंच नहीं है कि एडवांस में इसकी घोषणा की जाए।

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि “भारत सभी धर्मों का देश है। लेकिन जब कोई बाहर से आता है तो वह हिंदू-मुसलमान सबके लिए खतरा बनता है। वे उनकी रोजी-रोटी खाते हैं। ये घुसपैठिए दीमक होते हैं। हमें कभी भी नागरिकता को हलके में नहीं लेना चाहिए। किसी भी देश की सीमाएं खुली नहीं होती है”।

कार्यक्रम के दौरान गृह मंत्री अमित शाह से जब ये सवाल पूछा गया कि क्या उनका सपना भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का है, तो उन्होंने साफ कहा कि उनकी ऐसी कोई सोच नहीं है, उन्होंने कहा कि उनका और इस सरकार का एक ही धर्म है और वो है संविधान की किताब।

जब राहुल कंवल ने यह सवाल मोड़ते हुए पूछा कि सरकार इतने जल्दी जल्दी फैसले ले रही है, वो भी ऐसे समय में जब कुछ दिन पहले ही 370 हटाया गया था, क्या यह अच्छा नहीं होता कि इसे अभी न कर के इकॉनमी की ओर ध्यान दिया जाता। तो इस पर अमित शाह ने बेहतरीन जवाब देते हुये कहा कि “ऐसे देश नहीं चलता कि एक ही विभाग एक बार में काम करे। एक साथ सभी कर रहे है। अब दिल्ली में हिंसा हुई तो ऐसा थोड़ी होगा कि निर्मला सीतारमन वित्त विभाग का काम छोड़ देंगी और कहेंगी ये क्या हो गया, ये क्या हो गया। ऐसे देश नहीं चलता है”।

जीडीपी के सवाल पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मौजूदा समय में भले की जीडीपी ग्रोथ 4.5 फीसदी पर पहुंच गई है। लेकिन यह स्थिति आगे नहीं रहने वाली है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए आठ बड़े कदम उठाए हैं, जिसका सकारात्मक असर दिखेगा और अर्थव्यवस्था में फिर रौनक लौटेगी।

इकोनॉमी पर गृह मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष के दो क्वार्टर 5 साल नहीं होते हैं, उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था जल्द ही फिर तेजी में लौटेगी।

गृह मंत्री ने कहा कि बीजेपी महाराष्ट्र में फेल नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि हमारे गठबंधन को 160 सीटें मिली थी, जो बहुमत से 20 सीटें ज्यादा हैं। गृह मंत्री ने कहा कि शिवसेना ने चुनाव से पहले कभी मुख्यमंत्री पद की मांग नहीं की थी।

अमित शाह ने कहा कि अगर महाराष्ट्र में बीजेपी का साथी भागता नहीं तो, वहां पर राजनीतिक अस्थिरता पैदा ही नहीं होती। उन्होंने कहा कि हमने सरकार बनाने के प्रयास किए थे लेकिन नहीं बना पाए क्योंकि हमारा साथी भाग गया था। उन्होंने कहा कि अगर शिवसेना चुनाव से पहले हमसे कोई समझौता करती तो हम दो कदम जरूर आगे जाते।

एजेंडा आजतक में अमित शाह ने साफ कहा कि वे पीएम पद की रेस में नहीं हैं। अमित शाह ने कहा, ‘आप पीएम की ओर संकेत कर रहे हैं तो मैं कहूं कि मैं बहुत जूनियर हूं, हमसे बहुत वरिष्ठ कई नेता हैं, आगे हैं। ढेर सारे नेता हैं। हमारी पार्टी में फैसले पार्टी करती हैं। मैं इस दौड़ में नहीं हूं, हम सबका अभी यही सपना है कि मोदी जी सफल हों और नया भारत ऐसे मुकाम पर पहुंचे जिसका सपना हमारे आजादी के सेनानियों ने देखा था।’

केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि उनकी पार्टी की सोच यह है कि जाति नहीं, मेरिट के आधार पर नेता तय किए जाएं, भले ही इसमें तात्कालिक रूप से पार्टी को नुकसान होता हो। उन्होंने कहा कि “नेता को लोकतंत्र में जातिवाद, ब्लॉक के आधार पर नहीं बल्कि प्रदर्शन के आधार पर चयन करने की शुरुआत करनी थी तो यह मोदी जी ने किया। हो सकता है कि इसका अस्थायी नुकसान हमे भुगतना पड़े”।

गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर के महात्मा गांधी पर दिए गए विवादित बयानों पर कहा कि बीजेपी ने इस बार कठोर संदेश उन्हें दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी प्रज्ञा ठाकुर के बयानों का और न ही उनकी भावनाओं का किसी प्रकार से समर्थन करती है। इस प्रकार बड़े ही शानदार तरीके से उन्होंने राहुल कंवल के हर उस सवाल का जवाब दिया, जो उन्होंने अमित शाह को फंसाने के लिए पूछे थे। हालांकि, बड़ी ही चालाकी से अमित शाह ने भी उनका संतोषजनक जवाब दिया।

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