सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद कल बुधवार को लम्बी बहस के बाद नागरिकता संशोधन बिल राज्यसभा में भी पास हो गया। गृहमंत्री अमित शाह ने इस बिल को उच्च सदन में पेश करते हुए कहा कि इस बिल में कुछ भी गलत नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने बिल से जुड़ी तथ्यों पर भी प्रकश डाला और विपक्ष के हर सवाल का जवाब दिया। वहीं बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बिल के जरिये कांग्रेस की पोल खोली और बिल के समर्थन में अपना भाषण दिया। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल और एनआरसी को लेकर कांग्रेस कन्फयूज है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि कांग्रेस के नेता अज्ञानता की चरम सीमा पर है। सुब्रमण्यम स्वामी ने आगे कहा, “कांग्रेस सांसदों ने सदन को गुमराह किया है। इस बिल के लिए सरकार बधाई की पात्र है।” सुब्रमण्यम स्वामी ने 2003 में दिए मनमोहन सिंह के बयान को याद दिलाया, जिसमें उन्होंने (मनमोहन सिंह) कहा था कि “बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए हमें उदार होना चाहिए। बीजेपी सरकार ने भाषण देने की बजाय एक्शन लिया है। आर्टिकल-14 नागरिकता संशोधन विधेयक को रोक नहीं सकता है। मुझे लगता है कि कांग्रेस में संविधान को लेकर अशिक्षा दर ज्यादा है।”
अपने भाषण के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाक, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जाता है. इसलिए उन्हें यहां की नागरिकता दी जा रही है। इस दौरान उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण बात पर ध्यान दिलाया और वह था संविधान का अनुच्छेद 11 जिसके तहत संसद को नागरिकता पर निर्णय लेने की शक्ति है। अनुच्छेद 11 के अनुसार नागरिकता से संबंधित उपबंधो को विनियमित करने तथा उसकी समाप्ति और अर्जन के लिए विधि बनाने की शक्ति संसद के पास है।
बीजेपी सांसद स्वामी ने कहा कि जहां तक अहमदिया और शिया का सवाल है तो शिया ईरान जा सकते हैं जहां उन्हें मान्यता है, जबकि अहमदिया बहरीन जा सकते हैं जहां उन्हें मुसलमान माना जाता है। स्वामी ने कहा कि पाकिस्तान के वहाबी कट्टरपंथी हैं जो इन दोनों समुदायों को मुस्लिम नहीं मानते हैं।
सुब्रमण्यम स्वामी ने विपक्ष के अनुच्छेद 14 की दुहाई देने पर कहा कि अनुच्छेद 14 का सिर्फ लिखित मतलब नहीं है और यह कोर्ट द्वारा कई केसों में निर्धारित भी किया है। उन्होंने कोर्ट के वर्ष 1988 के एक केस का उदाहरण भी दिया। यह यह केस ए.आर अंतुले का था जिसमें अनुच्छेद 14 के बारे में कोर्ट ने यह कहा था कि यह अनुच्छेद एक समान के नागरिक के लिए लागू होती है न की सभी के लिए। उदाहरण देते हुए उन्होंने यह कहा कि अब जैसे प्रधानमंत्री के लिए SPG सुरक्षा है न कि सांसदों के लिए जबकि प्रधानमंत्री भी एक सांसद है। प्रधानमंत्री सभी सांसदों की कटेगरी में नहीं आते और उन्हें विशेषाधिकार है। इसी तरह अनुच्छेद 14 को संज्ञान में लाया जाता जब नागरिकों में कुछ समानता होती है।
इसके साथ ही उन्होंने तारिक फतेह और तस्लीमा नसरीन की नागरिकता का उदहारण देते हुए कहा कि पाकिस्तान और अन्य इस्लामिक देशों से कुछ मुस्लिम व्यक्तिगत रूप से भारत आए हैं और यहां की नागरिकता मांगी है। जैसे कि तारिक फतेह और तस्लीमा नसरीन, लेकिन क्या हुआ तस्लीमा स्वीडन गईं और उन्हें वहां की नागरिकता मिली, जबकि तारेक फतेह कनाडा के नागरिक बने। इसलिए मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तानी मुस्लिम हमारे देश में आना चाहते हैं और रहना चाहते हैं।
स्वामी ने आर्टिकल 11 और 14 को लेकर सरकार के रुख को स्पष्ट किया और मनमोहन सिंह के समय की सरकार को भी हाईलाइट किया, कि कैसे खुद तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हो रहे अल्पसंख्यकों को नागरिकता देते समय उदार होने की बात कही थी।