भाजपा की सरकार गिरते ही महाराष्ट्र में ईसाई धर्म परिवर्तन गैंग एक्टिव, उद्धव की सेक्युलर सरकार मौन

उद्धव ठाकरे, ईसाई, धर्म परिवर्तन

सांकेतिक तस्वीर

लगता है उद्धव ठाकरे के सत्ता संभालते ही महाराष्ट्र में मानो प्रलय सी आ गई है। विकासशील परियोजनाओं पर रोक हो, या फिर भीमा कोरेगांव के आरोपियों को बिना ट्रायल रिहाई का वादा हो, उद्धव ठाकरे की सरकार ने तुष्टिकरण की राजनीति में बेशर्मी के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। अब खबर आ रही है कि अवैध धर्मांतरण के लिए बदनाम मिशनरी गैंग एक बार फिर महाराष्ट्र में सक्रिय हो चुकी है।

अभी एक अधिकारी ने हाल ही में बताया कि ठाणे में कुछ आरोपी स्थानीय लोगों को हिन्दू धर्म के विरुद्ध भड़काना शुरू किया। इसके बाद वे लालच देने लगे कि यदि वे ईसाई धर्म अपनाएंगे तो उन्हें खूब इनाम मिलेगा।

परन्तु स्थानीय लोगों ने इनकी एक ना सुनी, और तुरंत संबंधित अधिकारियों को शिकायत कर दी। हालांकि जब तक ये केस मीडिया में नहीं आया, तब तक उद्धव सरकार की पुलिस ने इस पर एक्शन लेना उचित नहीं समझा। परन्तु जब ये बात मीडिया में उछला, तब हरकत में आते हुए पुलिस ने धर्म परिवर्तन के लिए उकसाने के आरोप में आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

अपने आदर्शों के ठीक विपरीत पहले शिवसेना की उद्धव सरकार ने भीमा कोरेगांव के उपद्रवियों को छोड़ने का निर्णय लिया और अब ये सरकार ईसाई संगठनों की अवैध गतिविधियों को भी अनदेखा कर रही है। ये शर्मनाक है कि कभी ऐसे संगठनों को महाराष्ट्र से उखाड़ फेंकने की बात करने वाली शिवसेना अब सत्ता के नशे में चूर होकर इन्हीं गतिविधियों पर आंखें मूंदे बैठी है। बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों का मखौल उड़ाते हुए उद्धव हर दिन महाराष्ट्र को गर्त में धकेलने पर तुले हुए हैं।

हालांकि, यह ऐसा पहला निर्णय नहीं है, जो राज्य के हितों के विरोध में लिया गया है। सत्ता में आए उद्धव सरकार को एक हफ्ता भी नहीं हुआ कि मुंबई मेट्रो के आरे वन क्षेत्र स्थित मेट्रो शेड के काम पर रोक लग गई है। इसके अलावा बुलेट ट्रेन का काम अधर में लटका हुआ है। इतना ही नहीं, जिस तरह से बाला साहब के सुपुत्र उद्धव ठाकरे विकास कार्यों को रोक रहे हैं, वे मुंबई को उसी 90 के दशक वाले जमाने में ले जाना चाहते हैं, जिसमें अपराध और अराजकता चरम पर थी। जिस विचारधारा के खिलाफ उनके पिता बालासाहब ठाकरे ने जीवनभर वैचारिक लड़ाई लड़ी थी, आज उनके पुत्र उसी विचारधारा की बड़ाई कर रहे हैं और उसी राह पर चल रहे हैं।

इसी प्रकार शिवसेना द्वारा जिस तरीके से सामना में अभिजीत बनर्जी की बड़ाई हो रही है उससे तो यही प्रतीत हो रहा है कि शिवसेना अब मार्क्स सेना बनने की राह पर है। शिवसेना का यही रुख रहा तो यह फिर से जवाहर लाल नेहरू के साम्यवादी दौर में जाने में समय नहीं लगेगा।

ऐसे में वर्तमान उद्धव सरकार की गतिवधियां महाराष्ट्र के लिए शुभ संकेत नहीं है, और आने वाले समय में महाराष्ट्र की सेक्युलर सरकार एक बात फिर ईसाई, वामपंथी और देशविरोधी ताकतों को पनाह दे सकती है। यदि उद्धव ठाकरे सत्ता में रहना चाहते हैं, तो उन्हें अविलंब अपनी गतिवधियों का आत्मनिरीक्षण करना होगा, वरना एचडी कुमारस्वामी की भांति उनकी भी सरकार गिरने में देर नहीं लगेगी।

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