लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल यानि CAB पास होने के बाद पाकिस्तान से भारत में शरण लेने आए शरणार्थियों के बीच काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थियों के लिए काम करने वाले संगठन सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिन्दू सिंह सोधा के मुताबिक अभी पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न की वजह से राजस्थान में 25 हज़ार पाकिस्तानी हिन्दू रहते हैं। इन 25 हज़ार लोगों में से लगभग 18 हज़ार लोग Foreigners Registration Office यानि FRO में पंजीकृत हैं। सोधा के मुताबिक, पाकिस्तान से आए लगभग 95 प्रतिशत हिन्दू शरणार्थी जोधपुर में रहते हैं, जबकि बाकी पाँच प्रतिशत राजस्थान के अन्य हिस्सों में फैले हुए हैं।
CAB के लोकसभा में पास होने के बाद अब इन शरणार्थियों में उत्साह का माहौल छा गया है। जोधपुर में रहने वाले प्रेमचंद के मुताबिक “हम पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न से तंग आ चुके थे। मैं वर्ष 2005 में परिवार सहित पाकिस्तान के सिंध से राजस्थान के जोधपुर में आ गया था। जब भारत में बाबरी मस्जिद ढहाई गयी, तो पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ गया। हिंदुओं को इतना प्रताड़ित किया गया कि आखिर हमें अपने सारा सामान बांधकर भारत आना ही पड़ा”।
प्रेमचंद आगे कहते हैं “मैं तब से ही scrap cart चलाकर अपने 10, 12, 14 और 16 साल के बच्चों का पेट पालता आया हूँ। इस बिल का पास होना हमारे लिए नए जीवन की शुरुआत होने जैसा है। हम हिंदुस्तान से जुड़कर फक्र महसूस करते हैं, अब हमारे सपने साकार होंगे”। इसी तरह पाकिस्तान से यहां आकर बसने वाले सदुरा राम भी कई सालों से FRO के चक्कर लगा-लगाकर और कई सारे फॉर्म भरकर भारत की नागरिकता लेने की जद्दोजहद कर रहे हैं। हालांकि, वे इस सब से अब ऊब चुके थे।
वे बताते हैं कि “कई बार अधिकारी हमें बताते हैं कि ये डोक्यूमेंट उपलब्ध नहीं है, और कई बार वे कहते कि विस्तृत ब्यौरा नहीं दिया गया है। मेरे लिए हर रोज़ कमाकर परिवार को पालना महत्वपूर्ण था, इसलिए मैंने नागरिकता को लेकर प्रयास करने कम कर दिये थे। लेकिन फिर भी हमें भारत में अवैध प्रवासियों की तरह रहने में चिंता महसूस होती थी। उधर पाकिस्तान में हमारे और हमारे बच्चों के लिए कोई भविष्य नहीं था। पाकिस्तान के स्कूल भी पक्षपाती थे। अब हमें अपने भविष्य के बारे में सोचने के सभी अधिकार मिलने वाले हैं, जो कि अन्य भारतीयों को मिलते हैं”। वहीं कई लोगों ने कहा कि भारत सरकार देर से, लेकिन दुरुस्त आई है।
बता दें कि जो बिल 9 दिसंबर को लोकसभा में पास हुआ था, उसे आज यानि 11 दिसंबर को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। अगर यह बिल यहां भी पास हो जाता है, तो यह इन हिन्दू शरणार्थियों के लिए किसी आशीर्वाद से कम नहीं होगा। इसीलिए अब ये लोग इनकी मांग स्वीकारने के लिए भारत सरकार का धन्यवाद कर रहे हैं।
बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से आकर भारत में पनाह लेने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों, ईसाइयों और पारसियों को नागरिकता हासिल करने का मौक़ा देता है। जबकि, मूल नागरिकता क़ानून के तहत किसी को भी भारत का नागरिक बनने के लिए लगातार 11 साल तक भारत में रहने की शर्त पूरी करनी होती है और इसमें से भी दरख़्वास्त देने से पहले के बारह महीने तक अबाध रूप से भारत में रहने की शर्त पूरी करनी होती है। लेकिन सिटिज़नशिप अमेंडमेंट बिल, इन तीन देशों से आए छह धर्मों के शरणार्थियों के लिए नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल भारत में रहने की शर्त को घटा कर 6 साल करता है, जिसके कारण भारत में रह रहे इन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलना आसान हो गया है। इसी के कारण अब ये लोग इस बिल के पास होने का जश्न मना रहे हैं।