चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पहले तो कश्मीर में पाकिस्तान का साथ दिया और अब समुद्री रास्ते से भारत की नेवी पर जासूसी कर रहा था। परंतु भारतीय नेवी ने इस चीन की वेस्सल यानि पोत का पता लगाकर उसे खदेड़ दिया। नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारतीय नौसेना ने अंडमान सागर में प्रवेश करने वाले चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) के पोत को लौटने पर मजबूर किया। उन्होंने कहा कि चीन अगर दुबारा ऐसी हरकत किया तो हम सख्ती से जवाब देंगे।
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति से चिंतित भारत ने अगले साल प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास के लिए चीन को आमंत्रित भी नहीं किया है। भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने बताया कि इसमें भाग लेने के लिए चीन और पाकिस्तान को छोड़कर कुल 41 देशों को आमंत्रण भेजा गया है। चीन को इस अभ्यास से बाहर रखने के फैसले पर करमबीर सिंह ने कहा कि केवल समान विचार वाले देशों को ही अभ्यास में आमंत्रित किया गया है।
दरअसल, भारतीय नेवी ने अंडमान निकोबार के निकट भारतीय जल क्षेत्र में एक चीनी पोत को गस्त लगाते देखा। शी यान 1 नाम का यह चीनी पोत भारतीय सीमा में घुस आया था। उसी समय भारतीय समुद्री क्षेत्र की निगरानी करने वाले विमानों ने चीनी पोत का पता लगाया और पाया कि वह भारतीय Exclusive Economic Zone (EEZ) में जासूसी करने की फिराक में आया था, जिसके बाद भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन चलाकर खदेड़ दिया।
रिपोर्ट्स के अनुसार यह चीनी पोत भारत के सभी हरकतों चाहे वो पानी के ऊपर या पानी के भीतर की जासूसी कर रहा था। अंतराष्ट्रीय कानून के अनुसार कोई भी देश भारत के Exclusive Economic Zone (EEZ) में किसी प्रकार का रिसर्च नहीं कर सकता।
भारतीय नौसेना उन चीनी जहाजों पर निरंतर निगरानी रखती है जो भारतीय नौसेना की जिम्मेदारी वाले क्षेत्र के पास मलक्का स्ट्रेट से हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। भारतीय नौसेना के P-8I समुद्री निगरानी विमान ने सात चीनी नौसेना युद्धपोतों के संचालन का पता लगाया है। ANI ने भारतीय नौसेना की निरंतर निगरानी क्षमताओं के बारे में हिंद महासागर क्षेत्र में सबसे पहले चीनी लैंडिंग प्लेटफॉर्म Dock Xian-32 की विशेष तस्वीरों के साथ रिपोर्ट किया है।
चीनी नौसेना अक्सर एंटी-पायरेसी गश्त के नाम पर भारतीय जल में प्रवेश करती है लेकिन भारतीय नौसेना यह बात जानती है कि चीन यह जासूसी के लिए करता है क्योंकि चीनी युद्धपोत परमाणु और पारंपरिक पनडुब्बियों के साथ होते हैं जिनका एंटी-पाइरेसी ऑपरेशन में कोई मतलब नहीं होता।
हिन्द महासागर क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (प्लान) पनडुब्बियों की तैनाती की वजह से भारत की चिंता थोड़ी बढ़ गयी है। भारतीय पर्यवेक्षकों को संदेह है कि समुद्री डकैती विरोधी अभियान की आड़ में चीन की पनडुब्बियां इस उपमहाद्वीप के तटीय इलाकों की अन्तर्जलीय गतिविधियों के बारे में सूचनाएं जुटाने में लगी हैं।
बता दें कि अंडमान निकोबार भारतीय दृष्टिकोण से सामरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और भारत सरकार ने इसी वर्ष जनवरी में वहां पर एक चीनी नौसेना की हरकतों की निगरानी करने के लिए हिंद महासागर में अपना तीसरा नेवी बेस खोलने का ऐलान किया था।
नौसेना प्रमुख ने घटना के बारे में विस्तार से जानकारी दिए बगैर यहां संवाददाता सम्मेलन में स्पष्ट रूप से कहा, ‘हमारा रुख रहा है कि अगर आप हमारे क्षेत्र में कुछ भी करते हैं तो आपको हमें सूचना देनी होगी या हमसे अनुमति लेनी होगी।‘ हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव पर एडमिरल सिंह ने कहा कि किसी भी समय सात से आठ चीनी पोत क्षेत्र में सामान्य तौर पर मौजूद रहते हैं। हम हर बारीक से बारीक़ हरकतों पर नजर रखे हुए हैं। नौसेना 41 पोतों की खरीद कर रही है।‘
बता दें कि भारत के शीर्ष नेतृत्व की चिंता अपने पड़ोस में चीन के श्रीलंका, पाकिस्तान में बनाए गए व्यवसायिक बंदरगाहों को लेकर है, जिस पर चीन किसी भी समय अपनी लगातार बढ़ती जा रही नौसेना की तैनाती कर सकता है। इसके चलते चीन भारत को दोहरे मोर्चे पर घेरने में सफल हो सकता है। वर्ष 2014 में ही भारत इस स्थिति से जूझ चुका है, जब चीन की पनडुब्बी श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह पर खड़ी थी।
अंडमान निकोबार के विकास से ऐसा लगता है कि अंडमान निकोबार कमांड में सेनाओं के बीच आपसी सामंजस्य बेहतर होगा। ये कमांड भारत का एकमात्र सामरिक त्रि-सेना कमांड है। पिछले साल अगस्त के बाद सरकार ने जो कदम उठाये हैं उनसे प्रमाणिक सैन्य एकीकरण को लेकर सरकार की तत्परता दिखती है। चीनी वेस्सल के भारतीय क्षेत्र में प्रवेश के बाद उसे खदेड़ कर भगना भारतीय नौसेना की मजबूती को दिखाता है कि अब चीन की दादागिरी भारतीय समुद्री क्षेत्र में नहीं चलने वाली है। भारतीय नौसेना के एडमिरल के तरफ से बयान तो इस बात की पुष्टि करती है कि भारत अब कड़े कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा। अब चीन को यह बात ध्यान में रखनी होगी कि भारत अब बदल चुका है और जवाबी कार्रवाई करने में माहिर है।