मध्य प्रदेश में कांग्रेस का दो फाड़ हो गया है, क्या कमलनाथ सरकार गिरने वाली है?

कमलनाथ

भारत की राजनीति में हर पल कुछ न कुछ ट्विस्ट होता रहता है। अभी महाराष्ट्र की राजनीतिक उथल पुथल शांत भी नहीं हुआ था कि मध्य प्रदेश से कांग्रेस में विरोध की खबरें आनी शुरू हो गई। IANS की रिपोर्ट्स के अनुसार मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के लिए बीजेपी से ज्यादा ‘अपने’ ही यानी कांग्रेस के नेता ही मुसीबतें खड़ी करने में लगे हैं। पार्टी लगातार हिदायतें दे रही है, मगर किसी पर कार्रवाई करने का साहस नहीं दिखा पा रही है, यही कारण है कि मुसीबतें खड़ी करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।

कुछ दिन पहले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्विटर हैंडल बदलने पर हंगामा हुआ था कि अब दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह कमलनाथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह लगातार सरकार के सामने सवाल खड़े करते रहते हैं। पहले उन्होंने किसानों के दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ न होने का मसला उठाया, फिर चाचौड़ा को जिला बनाए जाने की मांग को लेकर अपने भाई दिग्विजय सिंह के आवास पर ही धरना दे दिया। वह यहीं नहीं रुके, महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सरकार बनाने पर भी सवाल खड़े कर दिए। लक्ष्मण सिंह ने ट्वीट किया, ‘महाराष्ट्र का राजनीतिक घटनाक्रम हर घड़ी बदल रहा है रूप, राजनीति छांव है कभी, कभी है धूप। राजनीति, हर पल यहां खूब खाओ, जो है समां कल हो न हो।’

इससे पहले मध्य प्रदेश में गुना लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ सरकार पर किसानों का अभी तक कर्ज माफ़ न किये जाने को लेकर गंभीर सवाल खड़े किये हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा इस तरह से अपनी पार्टी की सरकार को घेरना कई सवाल खड़े करता है।

भिंड में एक रैली के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि ‘अभी तब किसानों के कर्जमाफ नहीं किये गये हैं। केवल 50 हजार रुपये का कर्ज माफ किया गया, जबकि हमने 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने का वादा किया था। 2 लाख रुपए तक के कर्ज किसानों के माफ़ किये जाने चाहिए’।

वहीं इसके अलावा दतिया के कांग्रेस नेताओं ने प्रभारी मंत्री डॉ. गोविंद सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला और उन पर कई गंभीर आरोप लगाए। इसके अलावा विधायक ओपीएस भदौरिया और रणवीर जाटव ने भी खुलकर मंत्री पर हमले बोले। वन मंत्री उमंग सिंघार द्वारा दिग्विजय सिंह पर किए गए हमले को भुलाना आसान नहीं होगा। सिंघार ने तो दिग्विजय सिंह को शराब माफियों को संरक्षण देने तक का आरोप लगा दिया था।

बता दें कि राज्य में कांग्रेस को सत्ता में आए 11 माह से ज्यादा हो गया है। सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं है। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 116 विधायकों की जरूरत होती है, कांग्रेस के पास अपने 114 विधायक हैं और उसे बहुजन समाज पार्टी के 1, समाजवादी पार्टी के 1 तथा 4 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है। यानि कांग्रेस के पास जरूरत से ज्यादा 4 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो उसके पास 109 विधायक हैं सरकार बनाने के लिए 7 विधायकों की जरूरत रहती है।

अगर ऐसे में मध्य प्रदेश में थोड़ा भी राजनीतिक स्थिति इधर उधर होती है तो कांग्रेस को अपनी सरकार बचा पाना कठिन होगा। कब तक यह चलता यह देखने वाली बात है।

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