‘डॉन’: पाकिस्तान का इकलौता ऐसा अखबार जो पाकिस्तानी सेना की पुंगी बजाकर रखता है

पाकिस्तान, द डॉन

दुनियाभर में आतंक को एक्सपोर्ट करने वाले देश पाकिस्तान की जनता अब सच्चाई से इतना दूर भागने लगी हैं कि उन्हें सच का आईना दिखाने वाले लोग ही दुश्मन नज़र आने लगे हैं। दरअसल, अभी कुछ दिनों पहले लंदन में एक आतंकी हमला हुआ था जिसमें उस्मान खान नाम के एक व्यक्ति ने एक ब्रिज पर चाकू से लोगों पर हमला बोला था और इस हमले में 2 व्यक्तियों की जान चली गयी थी। आतंकवादी उस्मान खान का ताल्लुक पाकिस्तान से था, इसके साथ ही उसके साथी भी पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर से संबंध रखते थे।

इस खबर को छापते हुए जब पाकिस्तान के अखबार डॉन ने अपनी हेडलाइन में इस बात का उल्लेख किया कि लंदन में हमला करने वाले शख्स का ताल्लुक पाकिस्तान से है, तो पाकिस्तान के लोगों का गुस्सा सांतवे आसमान पर चढ़ गया, और उन्होंने डॉन के कार्यालय पर ही हमला बोल दिया। इसके साथ ही उग्र भीड़ ने डॉन के कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार भी किया।

असल में डॉन पाकिस्तान में इकलौता ऐसा मीडिया संस्थान है जो शुरू से ही पाकिस्तानी सरकार और मजबूत पाकिस्तानी सेना को लेकर आलोचना-पूर्ण खबरें छापने से भी नहीं घबराता है। पाकिस्तान में मीडिया के पास बोलने की इतनी आज़ादी नहीं है और मीडिया पर ढेरों पाबन्दियाँ लगी पड़ी हैं। इस वातावरण में भी इस मीडिया संस्थान से जिस तरह पिछले कुछ सालों में साहसिक रिपोर्टिंग की है, वह बेहद सराहनीय है। पूरी पाकिस्तानी मीडिया आजकल सेना के इशारे पर काम करती है और जो कोई भी सेना या एस्टब्लिशमेंट के खिलाफ लिखने की कोशिश करता है, उसपर तुरंत कार्रवाई कर दी जाती है। हालांकि, डॉन का टट्रैक रिकॉर्ड इस मामले में काफी अच्छा रहा है और यह हमें कई मौकों पर देखने को मिल चुका है।

वर्ष 2016 में इसी अखबार ने डॉन लीक्स के नाम से कई बड़े खुलासे किए थे जिसने पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी सरकार के सम्बन्धों में खटास को सबके सामने एक्सपोज कर दिया था। डॉन लीक्स के बाद से पाकिस्तान की राजनीति में मानों भूचाल आ गया था और इस स्टोरी को सबके सामने रखने वाले डॉन के जर्नलिस्ट सीरिल अलमेड़ा पर देश से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी गयी थी। डॉन लीक्स में इस बात का उल्लेख किया गया था कि पाकिस्तानी सेना और सरकार में आतंकियों पर कार्रवाई करने को लेकर मतभेद है और इसके साथ ही अखबार ने यह भी खुलासा किया था कि पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी ISI, आतंकियों पर कार्रवाई कर रही पाकिस्तानी एजेंसियों के काम में रोड़ा अटका रही हैं। इसके बाद पाकिस्तान पर इन आतंकियों पर कार्रवाई करने का अंतर्राष्ट्रीय दबाव बेहद बढ़ गया था और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस अखबार के खिलाफ मुहिम छेड दी थी। आज सीरिल अलमेड़ा डॉन से अपने सारे नाते तोड़ चुके हैं।

https://twitter.com/cyalm/status/1185930491091914752?s=20

डॉन अखबार के साथ-साथ पाकिस्तान में डॉन TV न्यूज़ चैनल का भी प्रसारण किया जाता है। हालांकि, इस चैनल के प्रसारण को भी पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में ब्लॉक कर दिया जाता है। शायद सच बोलने का ही नतीजा है कि इस अखबार को पाकिस्तान में इतनी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। इसी के साथ-साथ पाकिस्तान में घटित हुई यह घटना उन भारतीय मीडिया संस्थानों के लिए भी सच का आईना है जो बात-बात पर अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी को खतरे में बताते हैं। लोकतन्त्र पर खतरा किसे कहते हैं, शायद कुछ मीडिया संस्थानों को यह देखकर समझ में आएगा।

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