प्यारे लिबरलों, भूत का मतलब ‘Ghost’ नहीं होता और BHU में भूत विद्या झाड़-फूंक का कोर्स नहीं है

पहले देखो, समझो फिर प्रतिक्रिया दो।

BHU

कई दिनों से BHU मीडिया में चर्चा के केंद्र में बना हुआ था। कारण था डॉ फिरोज की धर्मविज्ञान में नियुक्ति। अब फिर से एक बार मीडिया का ध्यान इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय को बदनाम करने के पीछे है। कुछ दिनों पहले इस विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विभाग में भूत-विद्या का एक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया गया था।

इसके बाद तो जैसे मीडिया में भूचाल सा आ गया और क्योंकि यह अपनी तरह का पहला ऐसा कोर्से था जो भारत में शुरू हो रहा था, तो सभी इस विश्वविद्यालय को इस तरह पेश करने जुट गये जैसे इस विश्वविद्यालय में भूत-प्रेत की पढ़ाई होने वाली है। यही नहीं कुछ न्यूज़ वैबसाइट ने तो इसकी तुलना हैरी पॉटर के होव्गर्ट्स से कर दी।

BBC ने हैडलाइन दिया कि भूत विद्या: बीएचयू में पढ़ाया जाएगा भूत बाधासे निपटने का तरीका ”

वहीं इंग्लिश, “Bhoot Vidya: India university to teach doctors Ghost Studies

वहीं इंडिया टूड़े ने हैड लाइन दिया, “BHU introduces ‘Bhoot Vidya’ as legitimate course in varsity”

वहीं न्यूज़ 18 ने तो इस कोर्स की तुलना हैरी पॉटर की काल्पनिक कहानी से कर दी और लिखा, “Desi Hogwarts? BHU to Start an Actual Course on ‘Bhoot Vidya’ or Paranormal Sciences” 

अब बता दें कि बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के Institute of Medical Sciences के FACULTY OF AYURVEDA यानि आयुर्वेद संकाय में एक नया कोर्स शुरू किया गया है जिसका नाम है, “भूत विद्या यानी साइंस ऑफ पैरानॉर्मल”।

सभी शंकाएँ इसके नाम से ही उत्पन्न हुईं है। यहाँ भूत का मतलब प्रेत से नहीं है बल्कि सायकोसोमैटिक(psychosomatic disorders) यानि मनोदैहिक विकारों से है और इस कोर्स में इन विकारों से निपटने के तौर तरीके सिखाये जाएंगे।

बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एवं (BAMS) और बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (MBBS) रखने वाले मेडिकल छात्र या डॉक्टर इस कोर्स में दाखिला ले सकते हैं।

अब जब इसे डॉक्टर पढ़ेंगे तो इसकी हैरी पॉटर के काल्पनिक दुनिया से तुलना करने की आवश्यकता क्या थी?

दरअसल जैसे अलग अलग प्रकार के डॉक्टर होते है जैसे आँख के अलग,नाक के अलग उसी तरह आयुर्वेद 8 भागों में बंटा है जिसे अष्टांग आयुर्वेद कहते है।

आयुर्वेद के आठ अंग इस प्रकार है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड फार्मा रिसर्च के अनुसार इस कोर्स का मुख्य आधार आयुर्वेद शास्त्र है, जिसमें सुश्रुत ने भूत विद्या को आयुर्वेद की एक शाखा के रूप में परिभाषित किया है।

  1. शल्य
  2. शालाक्य
  3. कायचिकित्सा
  4. कौमारभृत्य
  5. अगदतंत्र
  6. रसायनतंत्र
  7. वाजीकरण
  8. भूतविद्या

इसका आखिर भाग है भूत विद्या। यह विद्या उन मामलों से निपटता है जो सामान्य स्थिति में दिखाई नहीं देते और त्रि-दोष (पित्त, कफ और वायु) से पकड़ में नहीं आते है। भूत के कई अर्थ होते है, अगर यह पढ़ाई प्रेतों के बारे में होती तो इसे प्रेत विद्या कहा जाता।

इसे इंगलिश में Psychiatry भी कहा जा सकता है।  इंटरनेशनल जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड फार्मा रिसर्च के अनुसार इस कोर्स का मुख्य आधार आयुर्वेद शास्त्र है, जिसमें सुश्रुत ने भूत विद्या को आयुर्वेद की एक शाखा के रूप में परिभाषित किया है। आयुर्वेद संकाय की डीन यामिनी भूषण त्रिपाठी कहते हैं कि भूत विद्या में मुख्य रूप से साइकोसोमैटिक डिस्ऑर्डर के बारे में पढ़ाया जाएगा, जो कि अज्ञात कारणों से होने वाली बीमारियों और मन या मानसिक स्थितियों के रोगों से संबंधित है।

वो कहते हैं कि यह युनिवर्सिटी देश की पहली ऐसी युनिवर्सिटी थी जिसने सबसे पहली बार इस तरह का कोई कोर्स शुरू किया है, जिसमें डॉक्टरों को आयुर्वेद के माध्यम से भूत जैसी जुड़ी चीज़ों के उपचार के बारे में पढ़ाया गया।

अभी तक इस कोर्स का के बारे में अधिक जानकारी नहीं है पर प्राचीन आयुर्वेद के अनुसार यह मनोदैहिक विकारों से ही निपटने की पढ़ाई है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार कोलंबिया एशिया अस्पताल के क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक डॉ श्वेता शर्मा ने कहा कि कुल भारतीय जनसंख्या के 6.5 प्रतिशत लोग किसी न किसी गंभीर मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं। कॉमनवेल्थ के नियम और दिशानिर्देश कहते हैं कि एक लाख की आबादी पर कम से कम 6 साइकाइट्रिस्ट्स होने चाहिए। मौजूदा संख्या जरूरत के लिहाज से 18 गुना कम है।

बीएचयू से जुड़े शिक्षक ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों में इस कोर्स को लेकर काफी उत्साह दिख रहा है। BHU  ‘भूत विद्या’ का कोर्स शुरू करके  , पुरानी पद्धति से मनोचिकित्सा के बारे में छात्रों को शिक्षित करके न सिर्फ पुरातन पद्धति को जिंदा कर रहा है, बल्कि इससे मनोदैहिक विकारों और असामान्य मनोवैज्ञानिक स्थितियों का इलाज भी आसान होगा। इस कोर्स का सिलेबस भूत विद्या पर पीएचडी कर चुके प्रो. वीके द्विवेदी ने तैयार किया है। साइंस ऑफ़ पैरानार्मल सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने वाला बीएचयू का आयुर्वेद विभाग पहला संकाय है। इसमें भूत विद्या की अवधारणा और भूत विद्या उपचारात्मक पहलू नाम के दो पेपर होंगे। मतलब स्पष्ट है कि यह प्रेत भगाने वाली पढ़ाई नहीं है जो सभी हो-हल्ला मचा रहे हैं। ऐसा लगता है कि BHU के प्रखर राष्ट्रवादी भारतीय जड़ों से जुड़े होने से सभी लिबरल्स को मिर्ची लगी रहती है। इसी लिए जब सभी ने सुना कि BHU में भूत विद्या पढ़ाई जाएगी तो सभी को लगा कि जरूर अंधविश्वास के कारण यह हो रहा है और लगे सभी मज़ाक उड़ाने। इसलिए कहा जाता है पहले देखो, समझो फिर प्रतिक्रिया दो। यही बात लिबरल ब्रिगेड को भी समझना होगा।

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