हाल ही में नागरिकता संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों से सफलतापूर्वक पारित हो गया। राज्यसभा में इस विधेयक को 125 सांसदों ने अपना समर्थन दिया, जबकि 105 सांसदों ने इसके विरोध में अपना मत दिया। ये विधेयक पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित किए जा रहे अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता प्रदान करने का वचन देती है। चूंकि इस विधेयक में मुसलमानों का उल्लेख नहीं है, इसलिए हमारे तथाकथित सेक्यूलर ब्रिगेड ने मोर्चा खोलते हुए इस विधेयक का विरोध करना शुरू कर दिया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे भारतीय संविधान के लिए काला दिन बताया। फिर क्या था सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया गाँधी को आड़े हाथों लिया और उनके पारिवारिक इतिहास को सभी के सामने रह दिया ।
दरअसल, नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो जाने पर सोनिया गाँधी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि, “आज का दिन भारतीय संविधान के इतिहास में एक काला दिन है। CAB का पारित होना भारत की संप्रभुता पर संकुचित विचारधारा और धर्मांध व्यक्तियों की विजय है”। परंतु शायद सोनिया गांधी भूल रही थीं कि यह उन्हीं की सरकार थी जिसने 2012 में CAB को पारित कराने पर विचार किया था। उनका कच्चा चिट्ठा खोलने के लिए मानो भाजपा के कद्दावर नेता सुब्रमण्यम स्वामी तैयार थे, और उन्होंने तुरंत सोनिया गांधी को फासीवाद एवं नाज़ी परिवार से संबन्धित बताया।
अपने ट्वीट में सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, “काफी हास्यास्पद है कि कांग्रेसी मोदी को हिटलर और भाजपा को फासीवादी बता रही है, जबकि उनकी खुद की पार्टी अध्यक्ष हिटलर के फौज के एक सिपाही की बेटी है, जिन्हें रूस ने युद्धबंदी बनाया था। बाद में वे केजीबी के समर्थक हुए। उनकी माँ बेनिटो मुसोलिनी के फासीवादी यूथ विंग के सदस्य भी थे।”
It is ironic that Congis are calling Modi Hitler and BJP Fascist. Congis’ President TDK is the daughter of a soldier of Hitler’s Army and was a POW in Russia. Later he defect to KGB. Her mother a volunteer in Mussolini’s Fascist Youth Wing
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 12, 2019
सुब्रमण्यम स्वामी ने ऐसे ही ये आरोप नहीं लगाए। आउटलुक मैगज़ीन में भी इस बात की पुष्टि हुई थी। सोनिया के पिता स्टीफेनो मैनो से बातचीत के दौरान स्टीफेनो ने बड़े गर्व से बताया कि कैसे उन्होंने हिटलर और मुसोलिनी को अपनी सेवाएं दी थीं। मैगज़ीन के साक्षात्कार के एक अंश अनुसार, “मैनो के घर के फ्रंट रूम में एक और अनोखी चीज़ थी, और वो थी चमड़े में बंधे बेनिटो मुसोलिनी के भाषण और उनके लेख। बिना पलक झपकाए मैनो ने मुसोलिनी के प्रति अपनी वफादारी दिखाते हुए अपने फासीवादी होने पर गर्व जताया। उनके लिए इटली की वर्तमान सरकार मुसोलिनी की विचारधारा से विमुख जाती हुई दिखाई दे रही है”।
यही नहीं, यूपीए में विदेश मंत्री रह चुके के नटवर सिंह ने भी सोनिया के परिवार की विचारधारा के बारे में पुष्टि की है। अपनी किताब ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ में उन्होंने 2005 की अपनी रूस यात्रा के बारे में बताते हुए कहा, ‘मुलाक़ात के बाद हम हेलीकाप्टर से एक छोटे नगर व्लादिमिर गए। मैं इस जगह के चुनाव के बारे में चकित था। पर जल्द ही वे समझ गए कि सोनिया गांधी ने इसे क्यों चुना था। हम एक छोटे से संग्रहालय गए, जहां पर सोनिया जी ने बताया कि उनके पिता को वहां द्वितीय विश्व युद्ध में सोविएत आर्मी ने बंदी बनाया था। वे कारागृह से भागकर इटली आए थे’।
ऐसे में सोनिया गांधी और कांग्रेस का मोदी को हिटलर की संज्ञा देना न केवल अतार्किक है, बल्कि हास्यास्पद और हिपोक्रिसी से परिपूर्ण भी। अधिकांश लोग इस बात से परिचित हैं कि सोनिया के पूर्वज फासीवाद के समर्थक थे, परंतु यह पहली बार हुआ है कि एक वरिष्ठ नेता ने इस बात को सार्वजनिक रूप से उजागर किया।
सुब्रमण्यम स्वामी ने पहली बार गाँधी परिवार के बारे इस तरह का खुलासा नहीं किया है। स्वामी का नाम ही नेहरू गांधी परिवार के लिए वर्षों से किसी दुस्वप्न से कम नहीं है। अब चाहे वो राहुल गांधी की ‘दोहरी नागरिकता’ पर सवाल उठाना हो, या फिर नेशनल हेराल्ड में वित्तीय अनियमितताओं के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी को घेरना हो, सुब्रमण्यम स्वामी कभी भी पीछे नहीं नहीं हटे हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि काँग्रेस कब तक सोनिया गांधी की वास्तविकता को देश से छुपाए रखती है और स्वामी को क्या जवाब देती है।