शिवाजी से सोनिया जी तक- शिवसेना अब गांधी परिवार के लिए SPG कवर मांग रही है

अब सामना शिवसेना का मुखपत्र नहीं बल्कि कांग्रेस का मुखपत्र बन चुका है!

कांग्रेस

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम की घोषणा के बाद से ही शिवसेना अपनी हिप्पोक्रेसी के नित नए उदाहरण पेश कर रही है। भाजपा और शिवसेना गठबंधन के पक्ष में दिए जनादेश की अवहेलना करते हुए शिवसेना ने पहले अपने प्रतिद्वंदीयों के साथ मिलकर सरकार बनाई और अब वे अपने मुखपत्र ‘सामना’ में गांधी परिवार के एसपीजी कवर हटाये जाने का विरोध कर रही है।

शिवसेना ने सामना में कहा है कि दिल्ली हो या महाराष्ट्र, राजनेताओं को सुरक्षित महसूस करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और बाकी मंत्री अपनी सुरक्षा छोड़ने को तैयार नहीं है, और उनके बुलेट प्रूफ कार का महत्व यथावत है। ऐसे में गांधी परिवार की सुरक्षा कवर हटाए जाने पर प्रश्न तो बनता है। उनके काफिले में पुरानी गाड़ियां भेजना चिंता का विषय है”।

कांग्रेस और गांधी परिवार की कठपुतली बनी शिवसेना ने यह मांग की है कि पीएम मोदी को एसपीजी मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। नेहरू-गांधी परिवार का पक्ष लेते हुए, शिवसेना ने यह भी कहा है, “गांधी को एसपीजी देने का कारण यह था कि इंदिरा गांधी को उनके ही सुरक्षा गार्ड ने मार दिया था और राजीव गांधी को आतंकवादियों ने मार दिया था। कुछ महीने पहले श्रीलंका के पांच सितारा होटल में आतंकी हमला हुआ था। सरकार का कांग्रेस के साथ राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं। नेहरू से भाजपा कितनी नफरत करती है इससे भी सभी परिचित हैं। मोदी सरकार गांधीजी के जीवन से राजनीतिक दुश्मनी निकाल रही है, लेकिन किसी व्यक्ति के जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। अगर गांधी के अलावा कोई और होगा तो हम तब भी ऐसे ही बात करेंगे”।

हालांकि गांधी परिवार की सुरक्षा ली नहीं गई है बल्कि बदली गई है, यह बात स्वयं गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में कहा था। उन्होंने कहा था- उनकी सुरक्षा हटाई नहीं गई है बल्कि खतरे का आकलन करते हुए बदल दी गई है। कांग्रेस को बेनकाब करते हुए अमित शाह ने सदन में जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा- चंद्रशेखर जी की सुरक्षा ले ली गई कोई कांग्रेसी कार्यकर्ता कुछ नहीं बोला, नरसिम्हा राव की सुरक्षा चली गई किसी ने चिंता नहीं जताई, आईके गुजराल की सुरक्षा खतरा के आकलन के बाद वापस ले ली गई। चिंता किसकी है, देश के नेतृत्व की या एक परिवार की? गांधी परिवार कई मौकों पर बिना सूचना दिए ही विदेशी दौरों पर रही। ऐसा करीब 600 बार हुआ। कौन सा सीक्रेट छुपाया जा रहा था। राजनाथ जी को देखिए, कई सालों तक सुरक्षाकर्मी उन्हें टॉयलेट तक छोड़ने जाते थे लेकिन उन्होंने कभी भी कुछ नहीं कहा।

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ऐसा लगता है मानो गांधी परिवार के एसपीजी कवर हटाये जाने से सबसे ज़्यादा आघात शिवसेना को ही लगा हो। इस लेख को पढ़ने के बाद साफ लग रहा है कि यह शिवसेना का मुखपत्र नहीं बल्कि सोनिया सेना का मुखपत्र ‘सामना’ है। मोदी सरकार के प्रति इनकी घृणा को देखते हुए ऐसा तो बिल्कुल नहीं लगता कि यह वही शिवसेना है जो नेहरू-गांधी परिवार को कुछ महीने पहले तक जी भर के कोसती थी।

आज सामना जी भर के सोनिया गांधी की प्रशंसा में पुल बांधते नहीं थकती। परंतु इसी मुखपत्र ने कभी दावा ठोंका था कि सोनिया गांधी ने अपने इलाज में 1800 करोड़ रुपये खर्च किया है। 2010 में स्वयं शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने सोनिया गांधी पर तंज़ कसते हुए कहा था कि मुंबई सब भारतीयों की हो सकती है, परंतु एक इटालियन माता की कभी नहीं।

‘सामना’ की हिपोक्रेसी छुपाए नहीं छुपती। कभी सोनिया गांधी को करप्शन क्वीन कहने वाले मुखपत्र अब नेशनल हेराल्ड के मराठी संस्करण से ज़्यादा भिन्न नहीं लगता। सामना के वर्तमान लेख से अब ये स्पष्ट हो चुका है कि शिवसेना अब पूर्णतया सेक्यूलर हो चुकी है, और उनके आराध्य अब छत्रपति शिवाजी नहीं, सोनिया जी हैं।

 

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