भारत में स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत जर्मनी से आये एक छात्र को सोमवार रात सरकार ने वापस जर्मनी भेज दिया। उस छात्र पर भारत में रहकर संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करने और वीज़ा नियमों का उल्लंघन करने का आरोप था। आईआईटी मद्रास में फिजिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे जैकब लिंडेंथल को CAA के विरोध प्रदर्शन के दौरान देखा गया था और इस दौरान उसने हाथ में पोस्टर पकड़ रखा था जिसपर लिखा था ‘Uniformed Criminals Criminals।’ वहीं, दूसरे पोस्टर पर लिखा हुआ था, ‘1933-1945 We have been there’। अधिकारियों ने उससे कथित तौर पर कहा कि प्रदर्शनों में उसका हिस्सा लेना वीजा नियमों का उल्लंघन है, और उसे तुरंत भारत छोड़ना होगा। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ कि उसे वापस भेजने का फैसला आईआईटी मद्रास ने लिया है या यह फैसला केंद्र सरकार का है।
इम्मिग्रेशन के अधिकारियों ने इस संबंध में बताया है कि जब कोई विदेशी विद्यार्थी ऐसे राजनीतिक कार्यक्रमों में कोई गतिविधि करता पाया जाता है, तो उसे तुरंत वापस उसके देश भेज दिया जाता है। अधिकारियों के मुताबिक एक विदेशी नागरिक द्वारा राजनीतिक गतिविधि या विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेना, वीजा नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, ‘इस तरह के उल्लंघन पर विदेशी नागरिक को उसके देश वापस भेज दिया जाता है। हमने एक जांच भी की है।’
जर्मनी के इस छात्र को बेशक नियमों के तहत भेजा गया हो, लेकिन एक धड़े द्वारा अब इसपर भी विवाद खड़ा किया जा रहा है। आईआईटी मद्रास के छात्रों ने इस फैसले को शर्मनाक करार दिया है, वहीं छात्रों के अलावा राजनेताओं ने भी इसकी निंदा की है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल को टैग करते हुए ट्वीट किया कि ‘यह निराशानजक है। हमारे देश का लोकतंत्र एक ऐसा लोकतंत्र है, जो कि दुनिया के लिए एक उदाहरण है। लोकतंत्र में कभी भी अभिव्यक्ति की आजादी नहीं छीनी जाती। मैं आपसे गुहार करता हूं कि आप आईआईटी मद्रास को निर्देश दें, कि उस छात्र को वापस भेजने का फैसला वापस लिया जाए’।
This is dismaying. We used to be a proud democracy, an example to the world: https://t.co/M1MU3CyJVT No democracy punishes freedom of expression. I call on @DrRPNishank to instruct @iitmadras to withdraw the expulsion & allow India to hold its head high in the academic world.
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) December 24, 2019
हालांकि, ये सवाल तो उठता ही है कि आखिर जर्मनी के किसी शख्स का किसी भारतीय कानून से क्या संबंध हो सकता है? ऐसे में जर्मनी के एक नागरिक का इस कानून के विरोध में सड़कों पर उतरना और वीज़ा के नियमों का उल्लंघन करना किसी भी सूरत में सरकार को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए था, और इसीलिए सरकार का यह कदम प्रशंसनीय है। ऐसे में जो लोग भी जर्मनी के इस विद्यार्थी को वापस भेजे जाने का विरोध कर रहे हैं, उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनके लिए देश पहले है या राजनीति।