कठपुतली बनने को तैयार रहो उद्धव ठाकरे, क्योंकि NCP कैबिनेट पर अपना कब्जा जमाने वाली है

उद्धव ठाकरे

महराष्ट्र में NCP-शिवसेना और कांग्रेस की खिचड़ी सरकार को सत्ता में आए अब एक हफ्ता होने को आया है लेकिन अब तक सरकार के मंत्रालयों का बंटवारा नहीं हो पाया है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो शिवसेना को मुख्यमंत्री पद मिलने के बाद कैबिनेट पर NCP का बोलबाला हो सकता है और उसके खाते में गृह, वित्त और ऊर्जा मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालय जा सकते हैं। इसके अलावा कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत डिप्टी सीएम का पद भी NCP के खाते में ही जा सकता है। यानि कुल मिलाकर सरकार का सारा कंट्रोल NCP के हाथों में जाता दिखाई दे रहा है और आने वाले पांच सालों तक अगर यह सरकार चलने में कामयाब हो जाती है, तो उद्धव ठाकरे की हैसियत किसी कठपुतली से ज़्यादा की नहीं होगी।

उद्धव ठाकरे सीएम बेशक बन गए हों,लेकिन इसमें अगर उनको अपनी विजय दिखाई दे रही है, तो यह उनकी मूर्खता ही कही जाएगी। असल में तो उद्धव ठाकरे इस पूरे महाराष्ट्र संग्राम में सबसे ज़्यादा खोने वालों व्यक्तियों में से एक हैं। उनके कैबिनेट पर अगर NCP का कब्जा हो जाएगा और शिवसेना के मंत्रियों के खाते में कम महत्वपूर्ण मंत्रालय जाएँगे, तो उनकी भूमिका किसी रिमोट कंट्रोल सीएम जैसी ही रह जाएगी और असल सत्ता शरद पवार के हाथों में होगी। ऐसा हो भी क्यों न आखिर वो जब चाहे तब उद्धव ठाकरे से अपना समर्थन वापस लेकर उनसे मुख्यमंत्री होने का गौरव छीन सकते हैं।

अगर एनसीपी के खाते में गृह मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालय चले जाएंगे, तो NCP राज्य में कई बड़े फैसले लेकर राज्य की हालत बदहाल कर सकती है, और उद्धव ठाकरे के पास सिर्फ मूक दर्शक बने रहने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा। राज्य का गृह मंत्रालय पहले ही ‘भीमा कोरेगांव’ के तथाकथित कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामलों को बंद कर राज्य के लिए बड़ी मुसीबतों को निमंत्रण दे चुका है। इसके अलावा अर्बन नक्सलियों की रिहाई से भी राज्य सरकार की वामपंथी विचारधारा के तहत महाराष्ट्र में अर्बन नक्सलियों का गढ़ बनने के खतरा मंडराना शुरू हो गया है।

इसी तरह NCP के पास वित्त मंत्रालय आ जाने से एक बार फिर हमें राज्य में जमकर भ्रष्टाचार होता दिखाई दे सकता है। NCP का इतिहास रहा है कि जब भी वह सरकार में आई है, उसने सरकारी पैसे पर अपना अधिकार जमाया है। वित्त के साथ अगर पर्यावरण मंत्रालय भी NCP के पास आता है तो राज्य में भ्रष्टाचार और विकास कार्यों को रोकने के लिए एनसीपी के पास अपार संभावनाएं उपलब्ध हो जाएंगी। जिस तरह महाराष्ट्र सरकार द्वारा आरे मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट रोक दिया गया है और जिस तरह नानर रिफाइनरी प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामलों को बंद कर दिया गया है, उससे स्पष्ट है कि NCP राज्य में विकास कार्यों पर रोक लगाने के लिए पूरी तरह तैयार है और उसके पास इसके लिए पूरी शक्ति भी आ चुकी है। NCP अब इन प्रोजेक्ट्स को अपनी मनपसंद जगह और अपनी मनपसंद कंपनियों को सौंप देगी जिससे राज्य में भ्रष्टाचार को और ज़्यादा बढ़ावा मिलेगा।

स्पष्ट है कि NCP के पास ही असल सत्ता की चाबी है। शिवसेना के पास सिर्फ एक सीएम की कुर्सी है, जिसपर उद्धव ठाकरे बड़ी शान से बैठे हुए हैं लेकिन उनके हाथ कांग्रेस और NCP रूपी रस्सी से बंधे हुए हैं। परंतु NCP और कांग्रेस चाहे कुछ भी करें, सरकार का चेहरा तो उद्धव ठाकरे ही हैं और सरकार के चलने के दौरान NCP और कांग्रेस के पापों का घड़ा भी ठाकरे के सर ही फूटेगा। हालांकि, यह सब समझने के लिए उद्धव ठाकरे फिलहाल तैयार नहीं हैं।

Exit mobile version