भारत और जापान के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्रियों के बीच कल 2+2 वार्ता के तहत नई दिल्ली में मुलाक़ात हुई, और इसके दौरान दोनों देशों के मंत्रियों ने भारत और जापान के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया।
दोनों देशों ने इस दौरान आतंकवाद की कड़ी निंदा की और पाकिस्तान का नाम लेकर उसे आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए कहा। इसी के साथ दोनों देशों ने दक्षिण चीन सागर में सहयोग बढ़ाने और चीन के प्रभाव को कम करने की दिशा में कदम उठाने की बात कही। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को मान्यता प्रदान करने वाले देशों में अब जापान का नाम भी जुड़ गया है जो भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत है।
आज दुनिया के सामने आतंकवाद की समस्या बड़ा रूप धारण करती जा रही है और भारत का पड़ोसी पाकिस्तान इस समस्या को और बढ़ाने में सालों से ही अपना योगदान देता आया है। इसी बात को अब जापान ने भी समझा है। भारत और जापान ने एक संयुक्त बयान में सभी देशों की ओर से यह सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया कि उनके नियंत्रण वाले किसी क्षेत्र का इस्तेमाल किसी अन्य देश पर आतंकवादी हमले करने के लिए नहीं किया जाए। बयान में यह भी अंकित किया गया कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकी नेटवर्क से क्षेत्रीय शांति को बड़ा खतरा पैदा होता है और दोनों देशों ने पाकिस्तान से अपील की कि वह आतंकवादी नेटवर्कों के खिलाफ ठोस एवं स्थायी कदम उठाए एवं FATF के प्रति प्रतिबद्धताओं समेत अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पूरा पालन करे।इससे पहले भारत, अफ़ग़ानिस्तान के साथ-साथ अमेरिका भी पाकिस्तान पर आतंक के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बना चुके है। असल में ये सभी देश इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंक से न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा पैदा होता है।
पिछले वर्ष ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और स्ट्रैटेजिक फोरसाइट ग्रुप (एसएफजी) के साझा अध्ययन में यह दावा किया गया था कि पाकिस्तान दुनिया का सबसे खतरनाक देश है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि “पाकिस्तान मानवता के लिए सीरिया से ज्यादा खतरनाक है। यह आतंक को जन्म देने वाला, वैश्विक आतंकवाद का सबसे बड़ा हिमायती बना हुआ है। दुनिया में आतंकवाद फैलाने के लिए यह सीरिया से तीन गुना ज्यादा जिम्मेदार है। पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को सबसे ज्यादा खतरा है”।
यहां भारत और जापान ने संयुक्त रूप से पाकिस्तान को आतंक पर लगाम लगाने की बात कहकर यह संदेश भेजने की कोशिश है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंक के खिलाफ लड़ाई में अब भारत और जापान खुलकर एक दूसरे के साथ आ चुके हैं। और सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि चीन को घेरने के लिए भी दोनों देश साउथ चाइना सी रणनीति पर काम कर रहे हैं, ताकि चीन के वर्चस्व को चुनौती दी जा सके। इसके अलावा इसी महीने जापान के प्रधानमंत्री भारत आने वाले हैं, जहां वे पीएम मोदी के साथ मुलाक़ात कर दोनों देशों के आर्थिक और रणनीतिक रिश्तों को नया आयाम देने की दिशा में काम करेंगे। हालांकि, पीएम मोदी और शिंजों आबे की मुलाक़ात की सबसे खास बात यह है कि यह मुलाक़ात असम की राजधानी गुवाहाटी में होगी। असम राज्य भारत के नॉर्थ-ईस्ट में पड़ता है, जहां अक्सर किसी भी विदेशी मेहमान के दौरे से चीन को पीड़ा होना शुरू हो जाती है। जापान और भारत ने मिलकर अब पाकिस्तान और चीन के गठबंधन को टक्कर देने की नीति बना ली है जिससे इस गठबंधन का सरदर्द बढ़ना तय है।