खट्टर 1.0 में सिर्फ विकास मुद्दा था, खट्टर 2.0 में दिखेगा खट्टर का विराट हिंदू स्वरूप

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भारत एक ऐसा देश है जहां सिर्फ विकास के वादों का ढोल पीटने से वोट नहीं मिलता। यह एक कड़वा सच है जिसे साबित करने के लिए कई उदाहरण हैं। अटल बिहारी वाजपेयी की इंडिया शाइनिंग हो या महाराष्ट्र की देवेंद्र फणनवीस सरकार हो। देश में जब तक आम व्यक्ति को उसके एस्पिरेशन के लिए कुछ नहीं मिलता तब तक वो वोट नहीं देते। देश के नागरिक यह चाहते है कि उनकी जड़ें अब मजबूत हो और देश का सम्मान वापस लौटे। आज के दौर में बुजुर्ग से लेकर युवा तक यह समझते हैं कि बिना संस्कृति पर ध्यान दिए सिर्फ विकास की गाड़ी में हम अपने जड़ों और अपने देश के गौरव को पीछे छोड़ देते हैं।

इसी से सीख लेते हुए हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में कुछ ऐसा ही करने को ठान लिया है। अब उन्होंने राज्य में एक के बाद एक कई ऐसे निर्णय लिए है जिससे युवाओं में देश के प्रति और देश की संस्कृति के प्रति रुचि बढ़ेगी।

इसी क्रम में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने स्कूलों में गीता पढ़ाने को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि स्कूलों के सिलेबस में गीता श्लोक को जोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा है कि छात्र-छात्राओं को अच्छे संस्कार सिखाने के मकसद से सरकार ने यह कदम उठाया है। उनका मानना है कि गीता से जीवन का सार सीखा जा सकता है।

‘गीता महोत्सव’ कार्यक्रम में मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा, हमारी राय है कि गीता के श्लोकों को स्कूल के सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए। हमने पहले भी कहा है। हम गीता के कुछ श्लोकों को पाठ्यक्रम में सारांश के रूप में शामिल करेंगे जिससे बच्चे अच्छे संस्कार सीखें।”

कुछ दिनों पहले ही गीता महोत्सव में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कुरुक्षेत्र को धर्म और सांस्कृतिक पर्यटन का केंद्र बताते हुए ऐलान किया था कि सरकार इस पवित्र शहर में भारत माता का मंदिर बनाएगी। उन्होंने कहा था कि इसके साथ ही सरकार यहां आने वाले सभी तीर्थ यात्रियों को सभी सुविधाएं देने के लिए आधारभूत संरचना का विकास करेगी।

बता दें कि गीता महोत्सव के मेले में 15 देश भाग ले रहे हैं। देश के अलग-अलग विश्वविद्यालय और विदेशों के विश्वविद्यालय हिस्सा लेंगे। उत्तराखंड पार्टनरशिप राज्य के रूप में भाग लेगा। कुरुक्षेत्र में चल रहे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2019 के संबंध में संवादाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए खट्टर ने कहा था कि भारत माता का मंदिर करीब पांच एकड़ जमीन पर बनेगा और यह ज्योतिसर और ब्रह्मसरोवर के बीच कहीं होगा। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव की शुरुआत 23 नवंबर को हुई और यह 10 दिसंबर तक चलेगा।

मुख्यमंत्री ने बताया था कि कुरुक्षेत्र को प्रमुख पर्यटन स्थल और लोगों के बीच धार्मिक विश्वास के केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए सरकार नई नीति बना रही है जिसके तहत विभिन्न राज्यों को 1,500 से 2,000 वर्ग मीटर जमीन रियायती दर पर आवंटित की जाएगी ताकि वे वहां जाने वाले यात्रियों के लिए ‘भवनों’ का निर्माण कर सकें। खट्टर ने यह भी कहा कि कुरुक्षेत्र में गीता पर शोध हो इसके लिए अध्ययन केंद्र बनाए जा रहे हैं जिसमें जियो गीता, अक्षरधाम मंदिर, इस्कॉन मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, जहां विद्यार्थी गीता पर शोध कर सकेंगे।

यह स्पष्ट है कि कुरुक्षेत्र भारत में सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक या सांस्कृतिक स्थलों में से एक है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद गीता का रहस्योद्घाटन किया था। यह उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना मथुरा, वृंदावन या काशी। अपनी प्राचीनता और भगवद गीता की अपार लोकप्रियता के कारण, कुरुक्षेत्र में दुनिया भर के पर्यटकों और भगवान कृष्ण भक्तों को आकर्षित करने की बड़ी क्षमता है। हालांकि, पिछली सरकारों ने वास्तव में शहर की वास्तविक क्षमता को महसूस करने की दिशा में काम नहीं किया है। वर्तमान हरियाणा सीएम पूर्व में की गई अज्ञानता की त्रुटियों को ठीक करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं, और कुरुक्षेत्र को वास्तव में इस तरह के महत्व और ध्यान देने की आवश्यकता है।

खट्टर 2.0 स्पष्ट रूप से खट्टर 1.0 की तुलना में हिंदुत्व पर अधिक केंद्रित है। बता दें कि खट्टर ने अपने पहले कार्यकाल हरियाणा को तेज विकास और सामाजिक सुधारों पर अधिक ध्यान दिया था। लेकिन जब से वह वापस दोबारा सत्ता में आए हैं तब से वह सांस्कृतिक विरासत की ओर अधिक ध्यान दे रहे हैं।

हालांकि इस तरह से हरियाणा के स्कूलों के पाठ्यक्रम में महाकाव्य की शुरुआत करने का फैसला सेक्युलर गैंग को जरूर भड़का सकता है। मुख्यमंत्री खट्टर के इन कदमों से विकास के रास्ते ही कई नए क्षेत्र खुल जाएंगे जिससे हरियाणा और वहां के लोगों का ही भला होगा। एक तरफ गीता के माध्यम से बच्चे जीवन के मूल्यों को सीखेंगे तो वहीं दूसरी तरफ कुरुक्षेत्र को एक प्रमुख तीर्थ आकर्षण में विकसित करने से वह एक पर्यटन केंद्र के रूप में फेमस होगा। भारत की सनातन सभ्यता के लिए इससे अच्छा और क्या हो सकता है कि कुरुक्षेत्र विश्व में एक पर्यटन केंद्र के रूप में उभरे।

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