लदीदा और आयशा- लिबरलों की इन नई चहेतियों ने पूर्व में कई भड़काऊ पोस्ट किए हुए हैं

बरखा दत्त की पत्रकारिता ने देश को बहुत नुकसान पहुंचा चुका है चाहे वो कारगिल युद्ध के दौरान उनकी रिपोर्टिंग हो या 22/11 के दौरान की रिपोर्टिंग हो। उनके दिल में आतंकियों के लिए विशेष प्रेम है और यह समय समय पर दिख भी जाता है। यूपीए शासन के दौरान उनपर कांग्रेस की विशेष कृपा रहती थी, इतनी कृपा कि वो न्यूज़ रूम से बैठ कर मंत्रालय किसे दिया जाए, यह लॉबी करती थीं। जब से मोदी सरकार ने सत्ता संभाला है तब से इनकी पत्रकारिता की सेवा लेने वाला कोई नहीं बचा है और यह कभी इधर जा रही कभी उधर। लेकिन बरखा एक बार फिर अपनी रिपोर्ट लेकर हाजिर हैं। वह भी जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के दौरान एक हिंसक प्रदर्शनकर्ता को अपनी शह से बचाने वाली दो लड़कियों लदीदा सखालून और रीना हरबर के साथ। यह हैरान होने वाली बात नहीं है इन दोनों ने समय समय पर अपनी भारत विरोधी भावना दिखाई है और खुलेआम जिहाद का ऐलान किया है। 

बता दें कि जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान लदीदा सखालून और रीना हरबर का लगातार तीन दिनों में तीन अलग-अलग शहरों में विरोध प्रदर्शन के दौरान फोटो खींचकर वायरल किया गया। अब इसे सवाल और शंका दोनों उठते हैं। यह दोनों ही बरखा दत्त और और उनके जैसे लोगों द्वारा समर्थित है।

https://twitter.com/SmokingSkills_/status/1206599168237531136?s=20

इनके सोशल मीडिया प्रोफाइल को देखने पर, यह पाया गया कि लदीदा को ‘हिंदुस्तानी मुसलमान’ कहा जाना बुरा लगता है और उनकी प्रेरणा एक AK 56 वाली लड़की है। वहीं रीना ने आतंकी याकूब मेनन के लिए खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त की है और जब याकूब मेमन को 1993 के मुंबई बम धमाकों लिए फांसी दी गई थी जिसमें 257 लोग मारे गए थे तब ये रो कर अपना दुख जता रहीं थी। फेसबुक पोस्ट में रीना ने याकूब से माफी मांगी क्योंकि वह एक फासीवादी देश में असहाय थी।

बरखा के जैसे ही कई मीडिया हाउस ने प्रदर्शन के दौरान उनका बयान भी प्रमुखता से छापा। आउटलुक इंडिया के अनुसार “हमने लगभग 7 बजे अपने हॉस्टल से विरोध शुरू कर दिया। आधे घंटे के लिए, हम में से केवल चार थे,” सखालून कहती हैं, जब मेरे पिता ने उस तस्वीर को देखा, तो उन्होंने कहा, ‘आप सही रास्ते पर हैं,’ इनके पास पहले से ही अर्थशास्त्र में बीए की डिग्री है।’

वहीं दूसरी ओर लदीदा ने खुले तौर पर अपने फेसबुक अकाउंट से जिहाद का आह्वान किया है। उनके पोस्ट में बद्र और कर्बला का उल्लेख भी मिलता है जो कि यह समझने के लिए महत्वपूर्ण है कि वे किस मानसिकता की हैं। पोस्ट में आप देखेंगे, ये जगह अपनी लड़ाई के लिए मशहूर है जहां मुसलमानों ने काफ़िरों ’के खिलाफ निर्णायक जीत की शुरुआत की थी। बद्र की लड़ाई स्वयं पैगंबर मुहम्मद द्वारा लड़ी गई थी और इसे मुसलमानों द्वारा अल्लाह के हस्तक्षेप से जीती गयी लड़ाई मानी जाती है। उहुद की लड़ाई मक्का के काफिर और पैगंबर के बीच दूसरी सैन्य मुठभेड़ थी। तथा कर्बला की लड़ाई दूसरे उमय्यद खलीफा यज़ीद और इस्लामी पैगंबर के पोते के बीच लड़ी गई थी। इस लड़ाई ने अंततः शिया-सुन्नी विभाजन को कर दिया था।

कठुआ बलात्कार और हत्या के मामले में लदीदा ने भारत को Middle Finger भी दिखाई थी। रीना ने भी उन्हीं विचारों फेसबुक पर साझा किया, जहां लदीदा ने खुले तौर पर जिहाद के लिए कहा है। लदीदा ने कट्टरपंथी इस्लामिक मानसिकता को छिपाने का प्रयास नहीं किया क्योंकि हाल ही में उन्होंने लिखा था कि कैसे उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से अल्लाह को सौंप दिया है और कोई भी उन्हें “अल्लाहु अकबर और” इंशा अल्लाह “का जाप करने से रोक नहीं सकता। वह सार्वजनिक रूप से दावा करती है कि उसने भारत की धर्मनिरपेक्षता को बहुत पहले ही त्याग दिया है और खुद को आजाद करने के लिए “ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदु रसूलुल्लाह” का इस्तेमाल करेगी। यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि रीना के पति अफसल रहमान भी आतंकवादियों से सहानुभूति रखने वाला व्यक्ति है क्योंकि वह भी आतंकी अफजल गुरु और याकूब मेमन को जेहन में रखना चाहता है।   

इस बात के और कई प्रमाण हैं कि लदीदा और रीना दोनों कट्टरपंथी इस्लामवादी हैं, जिनका एकमात्र एजेंडा बरखा दत्त जैसे तथाकथित पत्रकारों की मदद से भारत को अस्थिर करना है। लदीदा दिसंबर 2018 तक केरल में एक छात्र हुआ करती थी और आखिर इस समय उसका दिल्ली आना कई सवाल खड़े करता है। आउटलुक ने पहले ही लदीदा के लिए लिबरल वर्ग में जगह दे दी है। अब इसके बाद लुटियंस मीडिया अपनी खोखली वामपंथी विचारधारा थोपने के लिए रीना और लदीदा को पोस्टर गर्ल बनाने का प्रयास करेगी।

लदीदा और रीना को अपने एजेंडे के लिए लिबरल ब्रिगेड ने अच्छी तरह तैयार किया है जो बरखा दत्त के इंटरव्यू से काफी स्पष्ट है। 

बता दें कि जिस वीडियो से लदीदा और रीना फेमस हुई उसमें वे अपने एक अपने दोस्त शाहीन को पुलिस की बर्बरता से बचाते हुए दिखी थी। यह शाहीन अब्दुल्ला जिसने इन औरतों को अपनी ढाल बनाया था, वह Maktoob मीडिया का ‘एक पत्रकार’। Maktoob Media एक ‘स्वतंत्र’ मीडिया हाउस है जो wordpress पर अपनी वेबसाइट चलता है और यह केरल और दिल्ली में स्थित है। यह कोई संयोग नहीं है कि लदीदा भी केरल और दिल्ली से ही हैं? मकतोब मीडिया के शाहीन जामिया का छात्र नहीं है लेकिन ऐसा लग रहा है कि वह जान बूझकर विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और उसका काम लादीदा और आयशा के तरफ नाराज पुलिस को लाना था। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आयशा के पति भी मकतोब मीडिया में ही contributer है। 

लिबरल ब्रिगेड ने इस बार फिए से एक नया पोस्टर गर्ल ढूंढ लिया हैं। उमर खालिद, शेहला राशिद और कन्हैया कुमार जैसे सारे प्रयास विफल रहे हैं और इसलिए पोस्टर पर नए चेहरे की आवश्यकता थी। यह तो स्पष्ट हो ही गया कि रीना और लदीदा की कोई सीमा नहीं है और भारत को हिंसा की आग में झोकने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं। सरकार को बरखा दत्त और आउटलुक के खिलाफ तुरंत कठोरतम कार्रवाई करना चाहिए क्योंकि रीना और लदीदा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे से कम नहीं हैं। देश के वामपंथी सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी को नीचा दिखने के लिए भारत को तोड़ने के लिए भी तैयार हैं।

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