CAA-NRC का विरोध कर बुरा फंसा मलेशिया का बुढ़ऊ PM, अब मलेशियाई मीडिया और लोग गाली दे रहे

मलेशिया के 94 वर्ष की उम्र के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मुद्दे पर भारत सरकार की आलोचना करने के बाद 20 दिसंबर को महातिर ने नागरिकता संशोधन कानून पर भारत सरकार की आलोचना की। महातिर मोहम्मद ने कहा कि “मैं ये देखकर दुखी हूं कि जो भारत अपने को सेक्युलर देश होने का दावा करता है, वो कुछ मुसलमानों की नागरिकता छीनने के लिए क़दम उठा रहा है। अगर हम यहां ऐसे करें, तो मुझे पता नहीं है कि क्या होगा। हर तरफ़ अफ़रा-तफ़री और अस्थिरता होगी और हर कोई प्रभावित होगा”। उनके इस बयान के बाद अब मलेशिया की मीडिया और जनता ने उन्हें आड़े हाथों लिया है।

मलेशिया के मलेशिया टुडे और मलेशियाकिनी जैसे मीडिया पोर्टल्स ने महातिर के इस कदम को बेवकूफाना बताया है, और साथ ही अपने देश की विदेश नीति पर भी सवाल उठाए हैं। इसके साथ ही महातिर के इस बयान पर मलेशिया के लोगों ने भी खेद जताया है और जल्द ही उनसे छुटकारा पाने की बात कही है।

सबसे पहले मलेशिया के मीडिया पोर्टल मलेशिया टुडे ने अपना एक लेख लिखा जिसका शीर्षक था “आखिर महातिर को विदेशी मामलों पर कौन सलाह दे रहा है?” इस लेख में लेखक ने बताया कि कैसे यह आगे चलकर मलेशिया के लिए बहुत बुरा साबित हो सकता है। लेख में लिखा है-

”भारत सदियों से मलेशिया का अहम साझेदार और परंपरागत साथी रहा है। हमारे रिश्ते हजारों साल पुराने हैं, जब केदाह और चोला साम्राज्य का राज हुआ करता था। इसलिए भारत के साथ रिश्ते संभाल कर रखना हमारे लिए अति-महत्वपूर्ण है”। लेखक आगे भारत में मौजूद मलेशिया दूतावास पर सवाल उठाते हुए लिखते हैं कि क्या यह दूतावास कार्यरत भी है या नहीं।

आगे लेखक इस कानून के प्रावधानों को समझाते हुए लिखते हैं कि कैसे यह कानून पड़ोसी देशों से आए शरणार्थियों को नागरिकता देने का काम करता है, ना कि किसी से नागरिकता छीनने का। सबसे आखिर में इस लेख में जो लिखा है, वह यह बताने के लिए काफी है कि महातिर का भारत सरकार की आलोचना करना मलेशिया की मीडिया को बिलकुल भी नहीं भाया है। आगे लेख में लिखा है “महातिर की टिप्पणी पाकिस्तान से मिलती जुलती है, और जमीनी तथ्यों पर प्रकाश नहीं डालती है।

 

नई दिल्ली में भारतीय दूतावास को भारत और मलेशिया के बीच बढ़ती दूरियों को खत्म करने के प्रयास करने चाहिए। एक तरफ पाकिस्तान के पीएम इमरान खान हैं जो सऊदी अरब के थोड़े से दबाव के बाद कुआलालुंपुर समिट में आने से ही मुकर गए, दूसरी तरफ हमारा सदियों पुराना साथी भारत है जो एशिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है”।

 

इसी तरह एक अन्य मीडिया पोर्टल मलेशियाकिनी ने भी अपनी एक खबर में यह रिपोर्ट किया कि कैसे भारत सरकार ने मलेशिया की सरकार को जबरदस्त लताड़ लगाई है और मलेशिया ने भारतीय मामलों में दखलंदाज़ी करने की यह दूसरी बार गलती की है।

इसके अलावा महातिर के इस कदम पर जो लोगों की प्रतिक्रिया आई है, वह भी महातिर को बिलकुल अच्छी नहीं लगेगी। इसी लेख पर कई लोगों ने टिप्पणी की, और अगर आप लोगों की टिप्पणियों को पढ़ेंगे, तो आप समझ जाएंगे कि मलेशिया के लोगों को महातिर की यह हरकत बिलकुल भी पसंद नहीं आई है। उदाहरण के तौर पर एक यूजर ने लिखा “ महातिर तुम अपना मुंह बंद कर लो अगर तुम कुछ अच्छा नहीं कह सकते हो, तुम्हारा जीवन खत्म होने को है”। ऐसे ही एक अन्य यूजर लिखते हैं “अगले चुनावों में अगर मेरे पास ऊंट और महातिर में से किसी एक को वोट करने का विकल्प मौजूद होगा, तो मैं ऊंट के लिए वोट करूंगा”।

इसी तरह एक और यूजर लिखते हैं “बहुत बढ़िया! आखिरकार भारत महातिर को सबक सिखा रहा है, कि अपने काम से काम रखो। अब दिन में दुनिया का शहंशाह बनने का सपना छोड़ दो, और देश की अर्थव्यवस्था के लिए कुछ सोचो”।

वहीं एक यूजर ने तो चीन पर महातिर की चुप्पी पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा “भारत को बोल सकते हो, लेकिन कुछ चीन के खिलाफ बोलकर दिखाओ। भारत कृपया इन्हें पाम ऑइल पर कुछ पाठ पढ़ाओ”।

लोगों की इन टिप्पणियों से और मलेशिया की मीडिया की ऐसी प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट है कि जो विचार भारत को लेकर मलेशिया के 94 वर्षीय प्रधानमंत्री रखते हैं, उससे मलेशिया के लोग इत्तेफाक नहीं रखते हैं और वे जल्द से जल्द महातिर को उनके इस पद से हटाना चाहते हैं, वहीं मलेशिया के लोग भारत सरकार के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं।

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