नेहरू-गांधी सेलुलर जेल में नहीं रह सकते थे- सावरकर को लेकर शिवसेना और कांग्रेस में भयंकर युद्ध

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वीर सावरकर के पीछे कांग्रेस और शिवसेना में वाक युद्ध छिड़ा हुआ है। पार्टी के मुखपत्र सामना के ‘रोकटोक’ स्तम्भ में शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कांग्रेस पर तंज़ कसते हुए कहा कि जो सावरकर की आलोचना कर रहे हैं, क्या वे 72 घंटे भी अंडमान में बिता सकते हैं? अपने हिन्दुत्व की विचारधारा पर वापस आते हुए शिवसेना के सांसद ने यहां तक कह दिया कि महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू को भी वैसी यातनाएं नहीं झेलनी पड़ी, जो सावरकर को झेलनी पड़ी थी।

उन्होंने कहा, ‘वीर सावरकर को कारागार में 14 वर्ष बिताने पड़े थे। जो उन्हें कथित रूप से माफी मांगने के लिए आलोचना का शिकार बनाते हैं, क्या वे 72 घंटे भी अंडमान की उस कोठरी में बिता सकते हैं?”

बता दें कि कांग्रेस नेता और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर को एक रैली में अपमानित करते हुए कहा था कि वे अपने ‘रेप इन इंडिया’ वाले बयान के लिए बिलकुल भी माफी नहीं मांगेंगे, क्योंकि वे राहुल गांधी हैं, राहुल सावरकर नहीं’। वैसे भी एक वंशवादी से इससे ज़्यादा उम्मीद भी नहीं की जा सकती। राहुल गाँधी के इस बयान के कारण हिन्दुत्व की दुहाई देने वाली शिवसेना पर अत्यधिक दबाव आ गया और उसे कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर आम जनता से और ज्यादा विरोध झेलना पड़ रहा है।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, मुझे हैरानी होती है कि मुख्यमंत्री और अन्य शिवसेना विधायकों ने भी इस पर एक शब्द नहीं बोला। सत्ता की भूख उन्हें मौन बना दिया है और यह एक अपमानजनक बात है। हम तब तक इसे नहीं छोड़ेंगे जब तक राहुल गांधी अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगते”। हालांकि, सीएम उद्धव ठाकरे इस मुद्दे पर चुप रहे, लेकिन उन्होंने कहा कि शिवसेना का सावरकर पर रुख यथावत रहेगा।

महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना की सहयोगी पार्टी द्वारा इस तरह से हिंदुत्व का अपमान करने पर शिवसेना को चुप नहीं रहना चाहिए। शिवसेना ने पहले यह स्पष्ट कर दिया था कि वह वीर सावरकर पर अपने रुख के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने पहले से ही अपनी विचारधारा को बदलने और अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ गठबंधन करने के लिए बहुत आलोचना झेली है।

राहुल गांधी की टिप्पणी के बाद भी शिवसेना चुप रही और कोई एक्शन नहीं लिया तो, ऐसे में आने वाले समय में शिवसेना का हिन्दुओं के बीच बचा खुचा महत्व भी खो जाये तो किसी को हैरानी नहीं होगी। परन्तु जिस तरह की खींचतान दोनों पार्टियों के बीच नजर आ रही है उससे तो यही लग रहा है कि  कांग्रेस और शिवसेना एक बड़े झगड़े के लिए तैयार होते दिखाई दे रहे हैं जो अंततः महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार के अंत को सुनिश्चित कर सकता है।

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