ये प्रदर्शन नहीं, एक आतंकी हमला था – कैसे PFI ने लखनऊ पर हमले का खाका बुना और कैसे वे पकड़े गए

संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ गत 19 दिसम्बर को राजधानी लखनऊ में हुई हिंसा के ‘मास्टरमाइंड’ समेत दो लोगों को सोमवार को गिरफ्तार किया गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने बताया कि लखनऊ में गत 19 दिसम्बर को हुए हिंसक प्रदर्शन के मास्टरमाइंड नदीम और उसके सहयोगी अशफाक को गिरफ्तार कर लिया गया है।

नदीम को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानि PFI का सदस्य बताया जा रहा है, जबकि वसीम पीएफआई का प्रदेश अध्यक्ष और अशफाक कोषाध्यक्ष है। आरोप है कि पीएफआई ने ही विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को उकसाया जिसके बाद भड़की हिंसा में कई वाहनों को आग लगा दी गई और जमकर तोड़फोड़ हुई। यह प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) का ही रूप है।

गौरतलब है कि लखनऊ के परिवर्तन चौक पर हिंसा हुई थी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव करने के साथ ही दर्जनों वाहनों को आग लगा दी गई थी। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस चौंकी को भी अपने निशाने पर लिया था। प्रदर्शनकारियों ने लखनऊ के डालीगंज और हजरतगंज इलाके में जमकर उत्पात मचाया था। इलाके में जमकर तोड़फोड़ और पथराव भी हुआ था। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और लाठीचार्ज करना पड़ा था। लखनऊ में उपद्रवियों ने मीडिया के ओबी वैन को भी आग के हवाले कर दिया। बताया जा रहा है कि पूरी हिंसा नदीम और उसके साथियों के इशारे पर हुई। इसके बाद से ही पुलिस को नदीम की तलाश थी।

SSP कलानिधि नैथानी ने बताया कि PFI उत्तर प्रदेश में अपनी जड़े काफी दिनों से मजबूत करने की कोशिश में लगी थी। नागरिकता कानून का विरोध जब शुरू हुआ तो इन्हे मौक़ा मिला और संगठन के लोगों ने आमजनता को भड़काना शुरू कर दिया। PFI ने ही विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को उकसाया, जिसके बाद भड़की हिंसा में कई वाहनों को आग लगा दी गई और जमकर तोड़फोड़ हुई।

एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि, इनके पास से 24 तख्ती, भारी मात्रा में पंफलेट्स, सीडी, साहित्य और पोस्ट कार्ड्स बरामद हुए हैं। साहित्यों में बाबरी मस्जिद से जुड़ी अहम बाते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अयोध्या फैसले के बाद भी इन्होने कुछ नापाक इरादे जरूर पाले रहे होंगे। गिरफ्तार किए गए तीनो लोग सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के नाम से उत्तर प्रदेश में काम करते हैं।

रविवार को उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा था कि हिंसा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का हाथ दिख रहा है। जिसमें ऐसे लोग शामिल हैं जो प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया से जुड़े रहे हैं।

असम में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के चीफ अमिनुल हक और उसके प्रेस सचिव मुजीम हक की गिरफ्तारी के बाद उत्‍तर प्रदेश में भी इस संगठन के प्रमुख वसीम की गिरफ्तारी से अब तस्‍वीर काफी कुछ साफ होने लगी है।

पुलिस ने गिरफ्तारी की जगह से संगठन से जुड़े झंडे, पर्चे, बैनर, साहित्‍य, अखबार की खबरों की कटिंग और सीएए के विरोध से जुड़े पोस्‍टर भी बरामद किए हैं। पूछताछ के दौरान नदीम और अश्‍फाक ने माना है कि 19 दिसंबर के लिए उन्‍होंने सीएए का विरोध करने की रणनीति बनाई थी। इसका प्रचार प्रसार सोशल मीडिया से भी  किया गया था। रॉबिन और शोएब ने भीड़ को उकसाने का काम किया था।

इससे यह भी स्पष्ट हो गया कि CAA के विरोध के नाम पर PFI ने देशव्यापी हिंसा को अंजाम दिया था। दिल्ली में हिंसा के बाद भी, गृह मंत्रालय को एजेंसियों से खुफिया रिपोर्टें मिली थीं, जिसमें इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों जैसे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के शामिल होने का खुलासा हुआ था।

यह पहली बार नहीं है जब पीएफआई देश भर में हिंसा फैलाने के लिए जांच के दायरे में आई है। यह संगठन आतंकी संगठनों के साथ गहरे संबंध रखता है। पीएफआई कार्यकर्ताओं के आईएसआईएस में शामिल होने के बारे में भी खबरें आई हैं, और एक टाइम्स नाउ की जांच में यह पाया गया था कि कट्टरपंथी पीएफआई को वित्त पोषण करने वाले कुछ संगठनों को वैश्विक आतंकवादी संगठन, अल-कायदा से जुड़े हैं।

हालांकि, PFI को एक प्रतिबंध संगठन होना चाहिए था लेकिन इसे आज भी राजनीतिक रूप से भी संरक्षण दिया जाता है। केरल में सीपीआई (एम) सरकार पर यह आरोप भी लगता है कि वह पीएफआई की गतिविधियों पर अपनी आँखें बंद करके उसे राज्य में बढ़ावा देती है। 2018 में ही इस संगठन को लेकर केरल में जबरदस्‍त बवाल हुआ था और इसको प्रतिबंधित करने की मांग की गई थी। पीएफआई खुद को एक ऐसे संगठन के तौर पर प्रदर्शित करता है जो लोगों को उनके हक दिलाने और सामाजिक हितों के लिए काम करता है। इसकी महिला विंग भी है। इसी विंग के एक कार्यक्रम में पूर्व उप राष्ट्रपति और कांग्रेस नेता    हामिद अंसारी ने शिरकत भी किया था जिसके बाद काफी बवाल भी हुआ था। पीएफआई पहले भी कई तरह की गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल रहा है। वर्तमान में पीएफआई का असर 16 राज्यों में है और 15 से ज्यादा मुस्लिम संगठन इससे जुड़े हुए हैं।

देश भर में हिंसा को बढ़ावा देकर, PFI ने न केवल कट्टरपंथी इस्लामी भावना को उकसाया है, बल्कि देश की अखंडता को भी तोड़ने की कोशिश की है। मोदी सरकार को हिंसा को बढ़ावा देने में PFI की सक्रिय भूमिका का संज्ञान लेना चाहिए और इसे तत्काल प्रभाव से आतंकी संगठन के रूप में प्रतिबंधित करना चाहिए।

 

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