हिंदू होने के कारण Pak ने उसका करियर बर्बाद कर दिया, अख्तर ने बताई दानिश कनेरिया की दर्दभरी कहानी

दानिश कनेरिया

PC: Dailyhunt

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार आम बात है लेकिन पाकिस्तान ऐसे डींगे हाँकता है जैसे वो कितना बड़ा मानवाधिकार का रक्षक है। हालांकि, पाकिस्तान अपने क्रिकेट की वजह से विश्व में थोड़ा बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था वह भी पिछले दशक में जब पाकिस्तान की सबसे मजबूत टीम क्रिकेट खेलती थी। अब इस पाकिस्तानी टीम में हिन्दूखिलाड़ी या अल्पसंख्यक धर्म वाले खिलाड़ी के साथ बुरे बर्ताव की खबर आ रही है। पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने अपने देश के पूर्व लेग स्पिनर दानिश कनेरिया  को लेकर हैरान कर देने वाला खुलासा किया है। एक टीवी शो में शोएब ने कहा, “दानिश हिंदू था। इसलिए उसके साथ नाइंसाफी हुई। कुछ प्लेयर्स को तो इस बात पर ऐतराज था कि वो हमारे साथ खाना क्यों खाता है?”

दरअसल ‘गेम ऑन है’ नामक इस चैट शो में शोएब के साथ पूर्व कप्तान राशिद लतीफ और पूर्व मिडल ऑर्डर बल्लेबाज आसिम कमाल भी थे। विश्व के सबसे तेज़ गेंद फेंकने का रिकॉर्ड बनाने वाले शोएब अख्तर ने अपने साथी मोहम्मद यूसुफ (पहले उनका नाम यूसुफ योहाना था) को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा, “यूसुफ के 12 हजार रन होने थे। लेकिन, हमने उसे कभी सेफगार्ड नहीं किया। मेरी दो तीन प्लेयर्स से लड़ाई हुई। मैंने कहा कि अगर कोई हिंदू है तो भी वो खेलेगा। और उसी हिंदू ने हमें टेस्ट सीरीज जिताई।”

शो को होस्ट करने वाले क्रिकेट एक्सपर्ट डॉक्टर नुमान रियाज ने फौरन कहा- ‘दानिश कनेरिया ने जिताई थी’। शोएब ने आगे कहा, “बात खुल जाएगी। लेकिन, बता दूं कि कुछ प्लेयर्स ने मुझसे कहा कि ये (दानिश) यहां से खाना क्यों ले रहा है। मैंने उनसे कहा कि मैं तुम्हें यहां से उठाकर बाहर फेंक दूंगा। कप्तान होगे, तुम अपने घर के। वो तुम्हें 6-6 विकेट लेकर दे रहा है। इंग्लैंड में दानिश और शमी ने ही हमें सीरीज जिताई थी।”

बता दें कि दाएं हाथ के लेग स्पिनर दानिश कनेरिया ने वर्ष 2000 से 2010 तक पाकिस्‍तान के लिए क्रिकेट खेला। एक ऐसा दौर भी था जब उनकी गिनती पाकिस्‍तान के शीर्ष स्पिनरों में की जाती थी। 2004 के दौरान उनके प्रदर्शन के लिए 2005 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) द्वारा कनेरिया को ICC टेस्ट प्लेयर ऑफ़ द इयर के लिए नामांकित किया गया था। ये ऑस्ट्रेलिया में पाकिस्तान के सबसे सफल स्पिनर भी हैं जिन्होंने 5 टेस्ट मैचों में 24 विकेट लिया था। करीब 10 साल के इंटरनेशनल करियर में कनेरिया ने 61 टेस्‍ट और 19 वनडे मैच खेले। टेस्‍ट में उन्‍होंने 34.8 के औसत से 261 विकेट हासिल किए। पाकिस्‍तान की ओर से खेलने वाले इस हिंदू गेंदबाज ने पारी में पांच या इससे अधिक विकेट लेने का कारनामा 15 बार किया जबकि दो बार उसने मैच में 10 या इससे ज्‍यादा विकेट झटके थे।

दानिश कनेरिया का संबंध भारत के सूरत से हैं। हालांकि, दशकों पहले उनके पूर्वज पाकिस्तान में जा बसे थे। अपनी कट्टरता के लिए बदनाम पाकिस्तान की 66 साल के टेस्ट करियर इतिहास में अब तक सिर्फ सात गैर-मुस्लिम ही टीम का हिस्सा बन पाए हैं। अब अगर जैसा शोएब अख्तर ने पाकिस्तानी ड्रेसिंग रूम के हालत को बयां किया है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है किसी भी गैर-मुस्लिम को वहाँ कितनी परेशानी झेलनी पड़ती होगी। इसी अत्याचार की वजह से शायद पाकिस्तानी क्रिकेट इतिहास के सबसे कामयाब बल्लेबाजों में शुमार ईसाई यूसुफ योहन्ना ने साल 2005 में इस्लाम कुबूल कर मुस्लिम धर्म अपना लिया था और उनका नाम तब मोहम्मद यूसुफ हो गया। उनके नाम 90 टेस्ट में 7530 रन और 288 वनडे में 9720 रन दर्ज हैं। यूसुफ ने अपने इंटरनेशनल करियर में कुल 39 शतक और 97 अर्द्धशतक लगाए हैं।

अल्पसंख्यक मामलों पर भारत को ज्ञान देने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को पहले अपने देश में झांक कर देखना चाहिए और फिर कुछ बोलना चाहिए। भारत में कोई भी क्षेत्र हो, खेल या सामान्य जीवन, कभी भी किसी अल्पसंख्यक के साथ इस तरह का व्यवहार तो नहीं किया जाता। वहीं बांग्लादेश का ही उदाहरण देखा जाए तो वह भी एक इस्लामिक देश है लेकिन वहाँ की टीम में कई हिंदु क्रिकेटर खेल चुके है और कभी भी भी अल्पसंख्यकों के साथ इस तरह से तरह का व्यवहार नहीं किया है। लिटन कुमार दास, सौम्य सरकार और आलोक कपाली जैसे क्रिकेटरों ने योगदान दिया है, लेकिन इस तरह से धर्म के कारण किसी के साथ इतना घिनौना बर्ताव करना और उसके फलते फूलते करियर को बर्बाद करना कोई पाकिस्तान से सीखे।

पाकिस्तान की आम जनता में गैर-मुस्लिमों के साथ अत्याचार तो आम बात है लेकिन क्रिकेट में इस तरह का व्यवहार मानवता और क्रिकेट जगत दोनों के लिए शर्म की बात है।

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