प्रशांत किशोर JDU-भाजपा के गठबंधन को तोड़ने की कोशिश में हैं और यह बीजेपी के लिए अच्छे संकेत हैं

प्रशांत किशोर

कुछ दिनों से प्रशांत किशोर कुछ अधिक ही लाइमलाइट में दिख रहे है। एक बाद एक ताबड़तोड़ बयान देते जा रहे। ऐसा लग रहा है कि वह अब BJP के पीछे हाथ धो कर पड़े है और JDU का नाता NDA से तुड़वा कर ही रहेंगे। पूरे NDA में वह एक मात्र नेता है जो इस तारह से बीजेपी के खिलाफ लगातार बयान दे रहे हैं।

दरअसल, NRC-CAA के मुद्दे पर विरोध करने के बाद अब प्रशांत किशोर ने बिहार चुनाव को लेकर एक विवादित बयान दे दिया है। उन्होंने कहा है कि अगले वर्ष होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा को जनता दल यूनाइटेड को 2009 लोकसभा और 2010 विधानसभा चुनाव की तरह बड़े भाई की तरह ज़्यादा सीटें चाहिए। उन्होंने कहा कि, “जदयू 2004 से बड़ी पार्टी है। बीजेपी के साथ गठबंधन में जदयू ने बड़ी पार्टी के रूप में चुनाव लड़ा है। 2004 और 2009 के विधान सभा चुनावों में जेडीयू ने बीजेपी से अधिक सीटें जीतीं थी।” हालांकि, ये अभी साफ़ नहीं हैं कि प्रशांत किशोर के इस बयान को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सहमति है या नहीं लेकिन अब प्रशांत के बढ़ते कद को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनका कहना कोई नहीं टाल सकता है।

उन्होंने कहा कि बीजेपी से सीट बंटवारे को लेकर अनुपात 1/1.3 या 1.4 ही रहेगा। फॉर्मूले की बात करें तो ये पता चलता है कि अगर एक सीट पर BJP लड़ती है तो 1.4 सीट पर JDU लड़ेगी यानि लगभग डेढ़ गुना सीटें। साथ ही प्रशांत किशोर ने NRC को लेकर भी अपनी पार्टी का स्टैंड साफ किया और कहा कि नीतीश कुमार ने पहले ही कह दिया है कि हमारी पार्टी बिहार में एनआरसी लागू नहीं करेगी।

बता दें कि प्रशांत किशोर ने 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में JDU-BJP के बीच सीट बंटवारे का जो फॉर्मूला बना था उसके अनुसार उस वक्त JDU 142 सीट पर और BJP 101 सीट पर चुनाव लड़ी थी। तब NDA के साथ LJP नहीं थी।

प्रशांत किशोर का यह बयान निश्चित ही भाजपा के शीर्ष नेताओं को पसंद नहीं आएगा वह भी तब जब प्रशांत किशोर जैसे मौका परस्त नेता की तरफ से ऐसा बयान आ रहा हो।

इस बयान के पीछे उनके मकसद को देखा जाए तो यह स्पष्ट पता चलता है कि ये दोनों दलों के बीच असंतोष पैदा करने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे BJP स्वयं JDU से नाता तोड़ ले। हालांकि, जब पिछली बार लालू के साथ गठबंधन कर नीतीश कुमार ने सत्ता तो हथिया ली थी लेकिन पार्टी के वोट शेयर कम होकर 16.8 प्रतिशत हो चुका था। अब जब फिर से JDU भाजपा के साथ है तो अपने नखरे शुरू कर चुके हैं। भाजपा को प्रशांत किशोर के इस बयान पर कड़ा  रुख अपनाना चाहिए क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में भाजपा का प्रदर्शन शानदार रहा था। जनता स्पष्ट रूप से नीतीश कुमार की नीतियों की वजह से नाराज है। नीतीश कुमार ने सत्ता के लिए जिस तरह की मौकापरस्ती दिखाई है उसे जनता ने स्पष्ट रूप से देखा है और समझ भी रही है। BJP को किसी भी हालत में चुनाव के दौरान छोटे भाई की भूमिका में नहीं आना चाहिए।

 

प्रशांत किशोर ने जिस तरह से नागरिकता संशोधन कानून और NRC पर केंद्र की भाजपा सरकार का विरोध किया है और अन्य मुख्य मंत्रियों को भी इसका विरोध करने के लिए उकसा रहे है उसे देखते हुए भाजपा को तुरंत एक कड़ा निर्णय लेना चाहिए। इतना ही नहीं प्रशांत ने राहुल गांधी को धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष या कांग्रेस कार्य समिति (CWC) को कांग्रेस शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों को यह घोषित करने के लिए कहना चाहिए कि वे अपने राज्यों में एनआरसी की अनुमति नहीं देंगे।

अब अगर कोई इस तरह से लगातार अपने गठबंधन के साथी के लिए बयान दे रहा हो तो उसे गठबंधन रखने का कोई मतलब नहीं है। भाजपा को प्रशांत किशोर और JDU के रुख को देखते हुए तुरंत गठबंधन तोड़ देना चाहिए, क्योंकि JDU वही काम कर रही है जो काम एक विपक्ष करता है। ऐसे में ऐसी पार्टी के साथ सरकार में रहने या सरकार चलाने का कोई मतलब नहीं है वो भी तब जब न विचारधारा मेल खा रही है और न ही भाजपा को  राष्ट्रीय मुद्दे पर समर्थन मिल रहा।

Exit mobile version