वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही मोदी सरकार का फोकस भारतीय सुरक्षा बल को मजबूत करने पर रहा है। इसी कड़ी में वर्ष 2019 में भी मोदी सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए और कई ऐसे निर्णय लिए, जिससे भारतीय सुरक्षा बल की शक्ति में कई गुना इजाफा हुआ है। आइए नज़र डालते हैं ऐसे ही कई घटनाओं और उपलब्धियों पर जिन्होंने भारतीय सुरक्षा तंत्र को बेहद मजबूत किया है।
1. साल के शुरू में ही सेना को मजबूत करने के लिए ताबड़तोड़ ऑर्डर:
भारत सरकार ने इसी साल के शुरुआती महीनों में ही 54 इजरायली हारोप ड्रोन, 72,400 असाल्ट राइफलें और 111 नेवल हेलीकॉप्टर के लिए करार किया था। तब भारत के रक्षा मंत्रालय ने 54 इजरायली हारोप ड्रोन्स की खरीद को मंजूरी दे दी थी। इन्हें चीन और पाकिस्तानी बॉर्डर पर तैनात किया जाना है। इसके अलावा तब यह भी फैसला लिया गया था कि सरकार आर्मी के लिए 72400 सिग सॉर असाल्ट राइफल्स खरीदेगी। भारतीय फौज को आधुनिक एवं तेज हथियारों से लैस करने के लिए सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया था। सुत्रों के अनुसार, इस सौदे के तहत भारत को आज से कुछ ही महीनों के भीतर अमेरिकी कंपनी एसआईजी जॉर से 72,400 7.62 एमएम राइफलें मिल जाएंगी। मोदी सरकार ने नौसेना के लिए भी 111 नेवल हेलीकॉप्टर खरीदने का फैसला किया था। इन सभी हेलीकॉप्टर्स की खरीद रणनीतिगत साझेदारी (एसपी) मॉडल के तहत करने का फैसला लिया गया था।
2. सेना में शामिल हुए चिनूक और अपाचे हेलिकॉप्टर
इस साल मार्च में भारतीय सेना में चिनूक हेलिकॉप्टर शामिल हो गए थे। तब भारतीय सेना के अध्यक्ष बीएस धनोआ ने कहा था “चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से ना सिर्फ़ सेना को युद्ध से जुड़े हथियारों को ले जाने में मदद मिलेगी बल्कि इसके ज़रिए प्राकृतिक आपदा के दौरान चलने वाले सैन्य अभियानों में भी प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों में ले जाने और राहत सामग्री जुटाने में मदद मिलेगी”। इसके अलावा इसी साल सितंबर में ‘अटैक हेलिकॉप्टर’ के रूप में मशहूर आठ अपाचे हेलिकॉप्टर भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल कर लिए गए थे। तब एयरचीफ़ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा था, “यह दुनिया के सबसे ताक़तवर अटैक हेलिकॉप्टरों में से एक है। यह कई तरह के मिशन को अंजाम दे सकता है।”
3. एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष मार्च में बड़ी घोषणा करते हुए कहा था कि भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में उपग्रह मार गिराने का सफल परीक्षण कर लिया है। तब डीआरडीओ ने बैलिस्टिक इंटरसेप्टर मिसाइल के जरिए 300 किमी की ऊंचाई पर मौजूद उपग्रह को मार गिराया था। यह भारत के स्पेस और इसके साथ ही डिफेंस सेक्टर के लिए बहुत बड़ी खबर थी। ऐसा इसलिए क्योंकि स्पेस में मिसाइल को मारने की शक्ति सिर्फ अमेरिका, चीन और रूस के पास ही है। भारत ऐसे महारत हासिल करने वाला केवल चौथा देश था।
4. राफेल विमानों को आधिकारिक तौर पर रिसिव किया गया:
एक लंबे इंतजार और विवादों की दीवार को पार करते हुए आखिरकार अक्टूबर में भारत को पहला फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल मिल ही गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तब शस्त्र पूजा करने के साथ ही दसॉल्ट कंपनी से पहले राफेल विमान को रिसीव किया था, इसी के साथ भारत आसमान में और भी अधिक शक्तिशाली हो गया है। गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना को जो 36 विमान मिलने हैं, उनके भारत पहुंचने की डेडलाइन सितंबर, 2022 है। यानी अगले तीन साल में सभी 36 राफेल लड़ाकू विमान भारत पहुंच सकते हैं जो कि वायुसेना को दमदार बनाने के लिए काफी हैं।
#RafaleInduction : Hon'ble Raksha Mantri Shri Rajnath Singh, officially received the first of the 36 Rafale aircraft for IAF today. He is accompanied by Air Marshal HS Arora, Vice Chief of the Air Staff, for the formal acceptance ceremony of the aircraft at Bordeaux, France. pic.twitter.com/DOlBGcmcMG
— Indian Air Force (@IAF_MCC) October 8, 2019
5. CDS पद का सृजन और डिपार्टमेन्ट ऑफ मिलिटरी अफेयर्स का जन्म:
भारत के इतिहास में सबसे बड़ा रक्षात्मक सुधार करते हुए इसी महीने मोदी सरकार ने चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद को सृजित करने का ऐलान कर दिया, जो सैन्य मामलों के डिपार्टमेन्ट का नेतृत्व करेगा। बता दें कि भारत की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहने वाली तीनों सैन्य सेवाओं के बीच समन्वय की कमी को सीडीएस की नियुक्ति दूर करेगी। सीडीएस एक तरह से सेनापति होगा, जो तीनों सेनाओं की रणनीति तय कर सकेगा। बदलते युद्ध के तरीकों और चुनौतियों के लिए लिहाज से यह पद जरूरी माना गया। इससे फौज तीन भागों में नहीं बंटी रहेगी। इससे रणनीति, खरीदारी प्रक्रिया और सरकार के पास सैन्य सलाह की सिंगल विंडो बन जाएगी।
समय बीतने के साथ ही भारत के सामने नई चुनौतियाँ नए रूप में उभरकर आ रही हैं। ऐसे में मोदी सरकार ने उन चुनौतियों को भाँपकर समय रहते ज़रूरी कदम उठाए हैं। CDS पद का सृजन इस दिशा में सबसे अहम कदम माना जा रहा है। उम्मीद है कि आने वाले सालों में भी हमें ऐसे ही सुधार देखने को मिलेंगे।