अपने आलोचक अरुण शौरी से भेंट कर PM मोदी ने दिखाया कि उन्हें कुशल राजनीतिज्ञ क्यों कहा जाता है

जबसे पीएम मोदी सत्ता में आए हैं, तब से उनकी कूटनीति उनकी सबसे बड़ी यूएसपी मानी जाती है। यहां तक कि जब भी वे अपने सबसे मुखर विरोधियों से मिलते हैं, तो उनके मन में कोई कड़वाहट नहीं होती। इसी का एक और प्रमाण देते हुए पीएम मोदी ने पूर्व केंद्र मंत्री अरुण शौरी से पुणे के एक अस्पताल में मुलाक़ात की। ट्विटर पर इसके बारे में बातचीत करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “पुणे में मैं केंद्र मंत्री अरुण शौरी से मिला। उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली, और उनसे काफी बढ़िया मेल-जोल हुआ। हम उनके लंबे, स्वास्थ्यवर्धक जीवन की कामना करते हैं”। बता दें कि पीएम मोदी पुणे में आईजी और डीजीपी की तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में उपस्थिति देने आए थे।

वाजपेयी सरकार में विनिवेश, संचार एवं इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्री रहे अरुण शौरी हाल ही में एक जगह गिरने पर ब्रेन इंजुरी से ग्रसित हुए थे, जिसके कारण वे अस्पताल में भर्ती हुए थे। पीएम मोदी ने पूर्व मंत्री के साथ 15 मिनट तक बातचीत की। डॉक्टरों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “पीएम ने शौरी के साथ 15 मिनट बिताए। उन्होने अरुण शौरी को गले भी लगाया”। डॉक्टरों ने ये भी कहा कि पीएम मोदी ने अरुण शौरी के परिवारजनों से बाहर बातचीत भी की, और अस्पताल में 45 मिनट तक रुके रहे, और फिर वे एयरपोर्ट के लिए निकले। अस्पताल के सूत्रों ने कहा कि पीएम मोदी का दौरा पहले से तय नहीं था।

पीएम मोदी का यह कदम इसलिए भी और महत्वपूर्ण है, क्योंकि अरुण शौरी के भाजपा से कड़वे संबंधों के बावजूद उन्होंने उनसे मुलाक़ात की। पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से ही शौरी ने भाजपा से सभी नाते तोड़ लिए थे। वे अपनी आलोचना में इतने तीव्र थे कि उन्होने पीएम मोदी पर राफेल डील में गड़बड़झाला करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा और एडवोकेट प्रशांत भूषण के साथ मिलकर पीएम मोदी के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में केस भी फाइल किया, पर ये अलग बात थी कि कोर्ट ने उनकी सभी दलीलें रद्द कर दी। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी, और अरुण शौरी ने बाकी दोनों के साथ मिलकर पुनर्विचार याचिका भी दायर कि, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर रद्द किया।

अरुण शौरी मोदी सरकार के सबसे बड़े आलोचकों में से एक थे। जब स्वघोषित बुद्धिजीवियों ने असहिष्णुता का राग अलापा, तो अरुण शौरी सबसे आगे बढ़ कर भाजपा की आलोचना करने लगे। पीएम मोदी को नीचा दिखाने की शौरी ने जी तोड़ कोशिश की, और इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने बड़े ऊटपटाँग आरोप भी मोदी सरकार पर मढ़े थे।

परंतु अरुण शौरी के तीव्र विरोध के बाद भी पीएम मोदी ने उनसे बीमार अवस्था में मुलाक़ात की थी, जिससे एक उदाहरण स्थापित हुआ है कि कैसे राजनीतिक नेताओं को वैचारिक और राजनीतिक रंजिश से ऊपर उठकर संकट के समय अपने आप को पेश करना चाहिए। ये निस्संदेह एक उत्कृष्ट रीति की नींव रखती है। इस मुलाक़ात से पीएम मोदी ने सिद्ध किया है कि वे एक कुशल राजनीतिज्ञ हैं और वे अपने वैचारिक प्रतिद्वंदीयों से निजी शत्रुता में विश्वास नहीं रखते।

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