PM मोदी का विरोध करने के लिए ‘किस ऑफ लव’ अभियान शुरू करने वाले निकले बाल तस्कर

किस ऑफ लव अभियान चलाने पर चला पोक्सो का डंडा

किस ऑफ लव

याद है आपको किस ऑफ लव का अभियान, जो कुछ वर्ष पहले पूरे देश में वायरल हुआ था? आज उसी जोड़ी के विरुद्ध पोक्सो एक्ट के अंतर्गत केरल पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। रेशमी आर नायर और राहुल पसूपालन के विरुद्ध ऑनलाइन यौन तस्करी और बाल यौन शोषण को बढ़ावा देने के आरोप में केरल पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है।

केरल पुलिस के अनुसार ‘कोचु सुंदरिकल’ नाम का ये फेसबुक पेज बाल यौन शोषण यानि पीडोफीलिया को बढ़ावा देता है और इसके विरुद्ध जांच पड़ताल करने के दौरान किस ऑफ लव अभियान के इन दो एक्टिविस्टों के इस पेज और इस सेक्स रैकेट से सम्बन्धों के बारे में पता चला था। चार्जशीट के अनुसार, रेशमी नायर अमीर ग्राहकों के लिए नाबालिग लड़कियों को बेंगलुरु से केरल यौन शोषण के लिए सप्लाई करते थे। एक वरिष्ठ पुलिस अफसर बताते हैं, “यूं तो ‘कोचु सुंदरिकल’ नाम के इस पेज का प्रत्यक्ष रूप से इस सेक्स रैकेट से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं था, परंतु हम एक पीड़िता की आपबीती के अनुसार काम कर रहे थे, और फिर उसी समय हमने दो ऐसे व्यक्तियों को ढूंढ निकाला, जिन्होंने लड़कियों को इसी रैकेट के अंतर्गत फंसाया था”।

इसके विरुद्ध केरल के तत्कालीन क्राइम ब्रांच आईजी एस श्रीजित ने ऑपरेशन बिग डैडी लॉन्च किया, जिसके अंतर्गत इस दंपत्ति को हिरासत में लिया गया था। रोचक बात तो यह भी है कि राहुल पसूपालन खुद कोचु सुंदरिकल नामक पेज के विरुद्ध कथित रूप से मोर्चा संभालने के दावे ठोंक रहे थे। हालांकि, ऑपरेशन बिग डैडी की सफलता के साथ ही पुलिस ने इन्हें भी नवंबर 2015 में हिरासत में लिया और अब पोक्सो के अंतर्गत राहुल और रेशमी के विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज किया गया है।

परंतु यह किस ऑफ लव कैम्पेन है क्या? 2014 में भाजपा और आरएसएस के कथित रूप से दक़ियानूसी व्यवहार के विरुद्ध केरल के राहुल पसूपालन और रेशमी आर नायर ने सार्वजनिक रूप से एक दूसरे को किस करते हुए ‘किस ऑफ लव’ अभियान शुरू किया था। सच कहें तो 2015 के कुख्यात ‘असहिष्णुता’ अभियान की नींव भी यहीं से पड़ी थी।

किस ऑफ लव के इस अभियान को हमारे वामपंथी बुद्धिजीवियों ने जमकर समर्थन दिया। अर्बन नक्सल माने जाने वाली कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने उस समय ट्वीट किया था, “क्या किस ऑफ लव भारतीय सभ्यता के विरुद्ध है? क्या यह फूहड़ है? आइये जाने आखिर क्यों हमें इसे समर्थन देना चाहिए” –

इसी भांति 2015 में पीएम मोदी द्वारा चलाये गए ‘सेल्फी विद डौटर’ अभियान का विरोध करने वाली पूर्व अभिनेत्री श्रुति सेठ असलम ने भी इस अभियान के समर्थन में ट्वीट किया था, “जो भी कल कोच्चि में किस ऑफ लव में भाग ले रहे हैं, उन्हे मेरी तरफ से ढेर सारा प्यार। प्यार की जीत हो, और मॉरल पुलिस का विनाश हो” –

परंतु ठहरिए, ये लोग यहीं पर नहीं रुकते। रेशमी नायर ने तो कुछ वर्ष बाद पवनपुत्र हनुमान के एक चित्र के प्रति विष उगलते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, इस पोस्ट में रेशमी ने कहा था कि ‘मैं ऐसे किसी टैक्सी ड्राइवर के साथ नहीं जाना चाहती, जो दुष्कर्मियों के भयावह चित्र लगाता फिरता हो’। इसने यह बात इसलिए कही क्योंकि टैक्सी वाले ने पवनपुत्र हनुमान के रौद्र रूप का चित्र अपने गाड़ी के बैकसाइड पर लगाया था –

यही नहीं, रेशमी ने छत्रपति शिवाजी महाराज का भी उपहास उड़ाया था, और उनके लिए बेहद आपत्तीजनक शब्द भी प्रयोग किए। विश्वास नहीं होता तो आप खुद देख लीजिये –

सच कहें तो आज भेड़ के भेष में खुद भेड़ियों ने हमारे देश की विचारधारा पर अपना नियंत्रण बनाया हुआ है। यह चीख चीख कर तानाशाही और धर्मांधता का विरोध करते दिखते हैं, लेकिन जब खुद वही काम करते हैं तो कोई चूँ तक नहीं कर पाता। हालांकि, मी टू अभियान के साथ धीरे-धीरे ऐसे भेड़ियों की पोल खुल रही है, और केरल पुलिस द्वारा ऐसे लोगों के विरुद्ध पोक्सो एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराना निस्संदेह एक सराहनीय प्रयास है।

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