कुछ मलेशियाई सांसदों ने जाकिर नाइक की आलोचना करने की हिम्मत की, महातिर ने उन्हें जेल भेजवा दिया

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मलेशिया के चुनाव में मोहम्मद महातिर ने जिस तरह से भारत विरोधी रुख अपनाया है उससे तो ऐसा लगता है कि वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। इस बार मामला भारत से भागे हुए ज़ाकिर नाईक की मदद करने का आ रहा है।

मोहम्मद महातिर के शासन में बढ़ रही भारत विरोधी ताकतों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले महीने DAP के 2 सांसदों को गिरफ्तार कर लिया गया था। DAP के अन्य मंत्रियों का स्पष्ट कहना है कि इन 2 दोनों ही मंत्रियों की गिरफ्तारी ज़ाकिर नाईक के खिलाफ बयान देने की वजह से हुई है।

क्लैंग के सांसद चार्ल्स सैंटियागो ने गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाते हुए इसे प्रतिशोध की संभावना बताया। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारियां भारतीय समुदाय के लिए एक चेतावनी थी, विशेषकर DAP के साथ।

एक कार्यक्रम में सैंटियागो ने दावा किया था कि Sosma यानि Security Offences (Special Measures) Act का इस्तेमाल उन लोगों के खिलाफ किया गया था जिन्होंने नाइक के खिलाफ आवाज उठाई थी। बता दें कि Security Offences (Special Measures) Act के तहत या तो आजीवन कारावास की सजा मिलती है या अधिकतम 30 साल की सजा मिलती है और उसकी संपत्ति जब्त कर ली जाती है। सैंटियागो ने कहा, देश में शांति और स्थिरता को तोड़ने के लिए Sosma का इस्तेमाल किया जा रहा है।”

पिछले महीने DAP के सांसद पी. गुनसेकरन और जी समिनाथन पर उग्रवादी संगठन से सहानुभूति रखने के आरोप में कार्रवाई की गयी थी, वह भी इन दोनों सांसदों की गिरफ्तारी के लगभग तीन सप्ताह बाद।

सांसद चार्ल्स सैंटियागो ने कहा कि अगर पुलिस अगले सप्ताह तक साक्ष्य पेश नहीं कर पाई, तो यह साबित हो जाएगा कि उग्रवादी संगठन से सहानुभूति रखने के आरोप में कार्रवाई करना एक “राजनीतिक पैंतरेबाजी” थी। उनका कहना है कि महातिर की सरकार जानबुझ कर भारत से सहानुभूति रखने वालों को पकड़-पकड़ कर जेल में भेज रही है।

बता दें कि 10 अक्टूबर को DAP के सांसद पी. गुनसेकरन और जी समिनाथन को मलेशिया की संसद दीवान रक़ात में 2020 के बजट की पूर्व संध्या पर गिरफ्तार किया गया था, हालांकि बाद में कुछ चार्ज हटाए भी गए थे।

जिस तरह से DAP के सांसद महातिर सरकार पर यह आरोप लगा रहे हैं कि ज़ाकिर नाईक के खिलाफ बोलने वालों को ही सज़ा दी जा रही है उससे तो यही लगता है कि महातिर सरकार ज़ाकिर नाईक को बचना चाहती है, जोकि भारत का वांछित गुनहगार है। जाकिर नाईक का भारत विरोध किसी से छिपा नहीं है और कई बार मलेशिया में भी भारत के खिलाफ आग उगल चुका है। लोगों को भड़काते हुए उसने कथित तौर पर दावा किया था कि भारतीय मूल के मलेशियाई लोग प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद की तुलना में नरेंद्र मोदी सरकार के प्रति अधिक वफादार थे, जबकि चीनी मलेशियाई “Old guest” थे, जिन्हें अपनी पैतृक भूमि पर वापस जाना चाहिए।”

बता दें कि वर्ष 2016 से ही भारत सरकार और भारतीय जांच एजेंसियां ज़ाकिर नाइक की गतिविधियों पर कड़ी नज़र रख रही है। नवंबर 2016 में नेशनल इनवेस्टिगेटिव एजेंसी (एनआईए) ने सांप्रदायिक नफरत फैलाने और गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए ज़ाकिर नाइक के खिलाफ एक आधिकारिक शिकायत दर्ज़ की थी।

इसके बाद केंद्र सरकार ने इस्लामिक रिसर्च फ़ाउंडेशन पर पांच सालों के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय ने भी ज़ाकिर नाइक के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की कई शिकायत दर्ज़ कर चुका है। इसी साल जनवरी में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा ज़ाकिर नाइक की 16 करोड़ 40 लाख की संपत्ति को ज़ब्त किया गया था। इसके अलावा इसी महीने प्रवर्तन निदेशालय ने ज़ाकिर नाइक के खिलाफ एक चार्जशीट भी दायर की है जिसमें उसकी 50 करोड़ रुपये की संपत्ति को अटैच किया गया था।

मलेशियन सांसद के अनुसार अगर मलेशिया सरकार में ज़ाकिर नाईक के प्रति सहानुभूति बढ़ रही है तो यह भारत के लिए बिलकुल भी अच्छी खबर नहीं है।

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