जब से नागरिकता संशोधन बिल (CAB) संसद में पेश किया गया है तब से विपक्ष ने आम जनता के बीच इस बिल के बारे में झूठ फैलाना शुरू कर दिया था। खास कर असम और पूर्वोतर के राज्यों को लेकर विपक्ष द्वारा बढ़-चढ़ कर झूठ फैलाया जा रहा है। यहां तक कि राहुल गांधी ने तो CAB को लेकर सरकार पर ethnically cleansing का आरोप लगा दिया। यह सफ़ेद झूठ के अलावा कुछ भी नहीं था।
The CAB is a attempt by Modi-Shah Govt to ethnically cleanse the North East. It is a criminal attack on the North East, their way of life and the idea of India.
I stand in solidarity with the people of the North East and am at their service.https://t.co/XLDNAOzRuZ
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 11, 2019
राज्य सभा में बहस के दौरान भाजपा के उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने विपक्ष और कांग्रेस पार्टी झूठ पर से पर्दा उठाते हुए पूर्वोतर के राज्यों के बारे में सरकार की स्थिति को स्पष्ट की और कांग्रेस के झूठ का भी पर्दाफाश किया।
उन्होंने अपने भाषण में बताया कि ‘आज मोदी सरकार इस बिल को लाकर जो कर रही उसे शतकों पहले किया जाना चाहिए था। उन्होंने बताया कि 1931 में ही असम के जनगणना कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि अगर इसी तरह से बंगाली असम में आते रहे तो एक दिन असम के लोगों के अधिक संख्या में बंगाली ही हो जाएंगे और आसामी लोग अल्पसंख्यक। उन्होंने आगे बताया कि स्वतन्त्रता के बाद भी यह माईग्रेशन जारी रहा और उससे अधिक प्रभाव पड़ा। सर सैयद मोहम्मद सादुल्ला ने ‘Grow more food’ के नाम से प्रोग्राम चलाया जिसके तहत अधिक मात्र में असम में माईग्रेशन हुआ जिससे असम की लोकरचना यानि डेमोग्राफी बदल गयी’।
कांग्रेस को एक्सपोज करते हुए उन्होंने बताया कि मोरारजी देसाई की 1978 में जब मंगलदाइ के उपचुनाव हुए तब वॉटर लिस्ट का नवीनीकरण हुआ तब यह पता चला कि असम के ऊपरी क्षेत्र जैसे मंगलदाइ जो कि बांग्लादेश की सीमा से काफी दूर है, वहाँ तक घुसपैठिए फैल चुके थे। यहीं से असम आंदोलन की चिंगारी प्रज्वलित हुई। इसके बाद सत्ता में आई इन्दिरा गांधी ने इस समस्या को जड़ से निपटाने के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि असम में अवैध प्रवासियों के मुद्दे को सुलझाने की बजाय, इंदिरा सरकार ने गैरकानूनी प्रवासियों (न्यायाधिकरण द्वारा निर्धारण) अधिनियम, 1983 को लागू किया था। इस कानून ने असम राज्य में अवैध प्रवासियों के निर्वासन पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद 1985 में राजीव गांधी ने असम एकॉर्ड किया जिसका सभी ने उल्लेख किया।
उन्होंने बताया कि जो कानून इन्दिरा गांधी ने पारित किया था वह असम राज्य से अवैध बांग्लादेशी आप्रवासियों का पता लगाने और निष्कासन के मुद्दे से विशेष रूप से निपटता है। यह कानून कहता है कि जब किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता संदेह में होती है, तो जो व्यक्ति(शिकायतकर्ता) यह कम्पलेन लेकर पुलिस स्टेशन जाएगा उसके ऊपर यह ज़िम्मेदारी होगी कि संदिग्ध व्यक्ति की अवैध अप्रवास को साबित करे। यह ऐसा बेतुका और असंवैधानिक कानून है जिसके परिणामस्वरूप असम राज्य में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की आबादी बढती गयी है। अंततः, 2005 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अधिनियम को असंवैधानिक ठहराया गया।
विनय सहस्रबुद्धे ने कहा है, यह बेतुका है कि जिन लोगों ने असंवैधानिक कानून बनाया है, जो असम के डेमोग्राफी को बदलने के लिए लिए जिम्मेदार है, वे आज उपदेश दे रहे हैं कि सीएबी असंवैधानिक है और पूर्वोत्तर की लोकरचना के लिए खतरा है। उन्होंने कांग्रेस को एक्सपोज करते हुए बताया कि 2005 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गैर-संवैधानिक करार दिये जाने के बाद भी कांग्रेस की सरकार ने उसे बाईपास करते हुए अलग-अलग सर्कुलर्स निकाले और घुसपैठ को रोकने की बजाए बढ़ाने की दिशा में प्रोत्साहन दिया। उन्होंने बताया कि आखिरकार क्यों सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में अपने एक जजमेंट में इसे असंवैधानिक करार दिया था। अपने जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह कानून घुसपैठियों को पहचान करने और वापस भेजने में सबसे बड़ा रोधक है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार 2012 में ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा देना पड़ा जिसके अनुसार “सरकार अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को निर्वासित करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन केवल विधिपूर्वक।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह वही है जो मोदी सरकार अब करना चाहती है।
कांग्रेस की पोल खोलते हुये उन्होंने बताया कि कैसे असम के सरकारी वन क्षेत्र में घुसपैठिए गाँव-गाँव बसा कर रह रहे थे। काजीरंगा एक वन क्षेत्र है फिर भी उसके अधिकतर क्षेत्र पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रह रहे थे और कांग्रेस की सरकार सो रही थी। जब बीजेपी की सरकार केंद्र और राज्य दोनों में आई तब इस समस्या की ओर ध्यान दिया गया। उन्होंने बताया कि मजोली द्वीप पर सिर्फ घुसपैठिए ही रहते है।
राज्यसभा सांसद विनय प्रभाकर सहस्रबुद्धे ने अपने भाषण में असम और CAB के बारे में कांग्रेस पार्टी द्वारा फैलाये गए मिथकों तहस-नहस कर दिया। यह तथ्य यह है कि असम सहित अधिकांश उत्तर-पूर्व को इस कानून से छूट दी गई है। इससे असम राज्य सहित पूर्वोत्तर राज्यों के डेमोग्राफी के लिए कोई खतरा नहीं है। जिस तरह से, भाजपा सांसद ने असम में अवैध प्रवासियों के मुद्दे के इतिहास को स्पष्ट रूप से समझाया है, यह स्पष्ट करता है कि जबकि कांग्रेस के कई मुद्दों ने कई दशकों तक इस मुद्दे को हल नहीं किया और केवल IMDT अधिनियम से इसे और जटिल कर दिया था। जो भी CAB और उत्तर-पूर्व के बारे में जो कुछ भी प्रचारित कर रहे है उन्हें इस भाषण को देखना चाहिए।