जब से नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित हुआ है तब से ही घुसपैठियों के साथ कट्टरपंथी इस्लामवादी विचारधारा के लोग विरोध प्रदर्शन में जुट गए हैं। खासकर पश्चिम बंगाल में तो ऐसा लग रहा है कि कानून और सरकार भी उनके ही साथ है। जलती हुई ट्रेनें, वाहनों, स्टेशनों को देखकर यह समझा जा सकता है। वेस्ट बंगाल पुलिस ने इस हिंसक तत्वों को खुली छुट देकर यह दिखाया कि वे अपने राजनीतिक आकाओं को परेशान नहीं करना चाहते हैं। ये वही पुलिस है जिन्होंने दुर्गा पूजा और दीपावली के दौरान बड़ी संख्या में हिंदुओं पर छोटे आरोप लगाकर भी हवालात में डाल दिया था। अब जब बारी मुस्लिम भीड़ से निपटने की आई तब ये हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
वहीं अगर उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो योगी आदित्यनाथ ने हालत काबू में बनाए रखा है। एक जमाने में दंगो का दंश झेलने वाले उत्तर प्रदेश में यूपी पुलिस ने कानून और व्यवस्था बनाए रखने का एक उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया किया है। मुसलमानों की एक बड़ी आबादी वाले राज्य यूपी में कोई भी बड़ा हिंसक प्रदर्शन नहीं हुआ है। राज्य में योगी आदित्यनाथ ने सभी हिंसक प्रदर्शनकारियों को अभी तक काबू में रखा है और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में देखने को मिल रहा है क्योंकि विश्वविद्यालय के गेट के बाहर प्रदर्शन करने की हिम्मत किसी प्रदर्शनकारी ने नहीं की है। जब उन्होंने विरोध प्रदर्शन के दौरान पथराव शुरू कर दिया तब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया और यूपी पुलिस ने एक पोस्ट में कहा कि कम से कम पंद्रह “असामाजिक तत्वों” को हिरासत में लिया गया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के ऑफिस की तरफ से जारी बयान में सीएम ने शांति और सौहार्द की अपील करते हुए कहा-
‘नागरिकता संशोधन कानून के संदर्भ में कुछ निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा फैलाई जाने वाली किसी भी प्रकार की अफवाह पर ध्यान न दें। प्रदेश सरकार हर नागरिक को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसके लिए यह भी आवश्यक है कि सभी नागरिकों द्वारा कानून का पालन किया जाए। राज्य में कायम अमन चैन के माहौल को प्रभावित करने की किसी को अनुमति नहीं है।‘
दिल्ली में हिंसक प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश के 6 जिलों अलीगढ़, बुलंदशहर, कासगंज, मेरठ, सहारनपुर, बरेली में धारा 144 लागू कर दी गई है। मेरठ, सहारनपुर, अलीगढ़ में इंटरनेट सेवाओं पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इसके ठीक उलट पश्चिम बंगाल पुलिस राज्य की संपत्तियों और नागरिकों की रक्षा करने में पूरी तरह से विफल रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी पुलिस ने हिंसक तत्वों को सख्त संदेश भेजा कि अगर हिंसक विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश की जाएगी तब उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। सख्त पुलिसिंग के कारण ही यूपी पुलिस दंगाइयों और भीड़ को रोकने में सफल रही है।
जबकि कोई एक्शन नहीं लेकर बंगाल की हिंसक भीड़ को यह आश्वासन दिया जाता है कि उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी क्योंकि राज्य सरकार तुष्टीकरण में व्यस्त है और पुलिस राज्य सरकार को खुश करने में व्यस्त है। सरकार में बैठे टीएमसी के गुंडों के दबाव में बंगाल पुलिस कानून लागू करने में असफल रही है। इन सभी हिंसक भीड़ और घुसपैठियों से निपटने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस को यूपी पुलिस के नक्शेकदम पर चलना चाहिए। राज्य के आम नागरिकों को सुरक्षित करने के लिए पुलिस के तरफ से किसी एक्शन के लिए यह सही समय है।