एक अहम निर्णय में हिन्दू महासभा ने अयोध्या के निर्णय के विरुद्ध अपील करते हुए पुनर्विचार याचिका दायर की। इसके पीछे इन्होंने कारण यह दिया है कि अयोध्या में मस्जिद के लिए अलग से भूमि किस आधार पर दी जानी चाहिए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में रामलला के पक्ष में अपना निर्णय सुनाते हुए विवादित भूमि हिंदुओं को सौंपी है, और मुसलमानों के लिए 5 एकड़ की वैकल्पिक भूमि का प्रस्ताव रखा।
हिन्दू महासभा के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा है, “हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे, जिसमें अयोध्या बाबरी मस्जिद केस में कोर्ट ने किसी अन्य स्थल पर मुसलमानों के लिए 5 एकड़ की भूमि आवंटित किया है”।
यहां पर ये बताना अत्यंत आवश्यक है कि सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला किया था कि विवादित स्थल हिंदुओं का है, परंतु इसने पक्षकारों के बीच पूर्ण न्याय करने हेतु अपनी शक्तियों का उपयोग करके उन्होंने मुस्लिम पक्षकारों को 5 एकड़ भूमि भी प्रदान की थी। मुख्य विवाद विवादित स्थल पर अधिकार को लेकर था, जिसे हिंदू और मुस्लिम दोनों अपने लिए पवित्र मानते थे, और दोनों ने विवादित स्थल पर अपना अपना दावा मजबूत किया।
परंतु साक्ष्य और कानूनी सिद्धांतों के आधार पर शीर्ष न्यायालय ने राम जन्मभूमि को न्यास के पक्ष में विवाद का फैसला किया। दोनों ही पक्षों में से किसी ने वैकल्पिक भूमि को लेकर कोई बात नहीं की थी और ये 134 साल पुराने कानूनी विवाद में विवाद का विषय भी नहीं था। अत: यह निर्णय समानता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित था।
इसके अलावा मुस्लिम पक्षकारों ने कभी यह दावा नहीं किया कि वे वैकल्पिक भूमि के हकदार थे। एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत कई बड़े दिग्गजों ने पांच एकड़ भूमि पर मस्जिद बनाने के विचार का भी विरोध किया है। उदाहरण के लिए, सलीम खान और जावेद अख्तर ने तर्क दिया कि उस जमीन पर अस्पताल और स्कूल बनाए जाने चाहिए।
एआईएमआईएम सुप्रीमो ओवैसी ने मुस्लिम पक्ष को ‘खैरात (दान)’ के रूप में पांच एकड़ जमीन देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले मानने से मना कर दिया और मुसलमानों को पांच एकड़ जमीन के सुप्रीम कोर्ट के ‘संरक्षण’ के प्रस्ताव को खारिज करने के लिए उकसाया। फलस्वरूप एआईएमपीएलबी ने जफरयाब जिलानी के सुझाव पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की।
ऐसे में हिंदू महासभा मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ वैकल्पिक भूमि के आवंटन को चुनौती देने के लिए रिव्यू पिटीशन को आगे बढ़ाने के अपने अधिकार में है। यह देखा जाना बाकी है कि यहां से यह मुद्दा कौन सा मोड़ लेता है।