हरित क्रांति आने के 5 दशक होने को हैं, जिसके दौरान हमने किसानों की आय को कई गुना बढ़ते देखा है। हालांकि, आज भी इनकम टैक्स (आई-टी) एक्ट, 1961 के सेक्शन 10 (1) के मुताबिक कृषि से होने वाली आय पर भारत में टैक्स नहीं लगता। देश के गरीब किसानों का समझ में आता है, लेकिन यह बात समझ से परे है कि अमीर किसानों की आय पर टैक्स क्यों नहीं लगाया जाता है। क्या अमीर किसान इस देश के नागरिक नहीं है? अमीर किसानों की आय पर कर तो छोड़िए, सरकार उल्टा इन्हें बाकी किसानों के साथ ही भारी-भरकम सब्सिडी प्रदान करती है। अब समय आ गया है कि आय कर के नियमों में बदलाव करके अमीर किसानों की आय पर भी कर लगाने का प्रावधान जोड़ा जाये।
कृषि से होने वाली आय पर कर ना लगने से अमीर किसान तो अपना कर बचाते ही हैं, साथ ही इस प्रावधान की वजह से भारत के आयकर इकट्ठा करने की प्रणाली में एक बड़ा ब्लैक होल बन चुका है। दरअसल, लोग अपनी अन्य आय को भी कृषि आय दिखाकर बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी करते हैं। इससे इस बात का भी ठीक से पता नहीं चल पाता है कि असल में कृषि क्षेत्र से भारत में कितने लोग जुड़े हुए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अभी साढ़े चौदह करोड़ परिवार आय के लिए कृषि पर निर्भर हैं। अगर एक परिवार में औसतन 5 सदस्यों को गिना जाए, तो कृषि आय पर निर्भर लोगों की संख्या 70 करोड़ बैठती है, जो किसी भी लिहाज से सही नहीं है।
कृषि आय पर इनकम टैक्स न लगने का फायदा उठाकर संगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोग भी अपनी आय को कृषि आय के तौर पर दिखाते हैं। अध्यापक, व्यापारी जैसे पेशे में कार्यरत लोग भी अपनी आय को कृषि आय के तहत दिखाते हैं, और इसके दो कारण हैं। पहला तो यह कि इन्हें केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की योजनाओं का लाभ मिलता है, और दूसरा यह कि इन्हें अपने आप को असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत दिखाने का मौका मिल जाता है। बता दें कि सरकार हर साल कृषि क्षेत्र में सब्सिडी देने पर अपने कुल खर्च का 10 प्रतिशत हिस्सा खर्च कर देती है।
भारतीय राजनीति में शुरू से ही किसानों की गरीबी का भरपूर फायदा उठाया गया है। देश के राजनीतिज्ञों ने किसानों और गरीबों को एक दूसरे का पर्यायवाची बनाकर पेश करने की कोशिश की। ‘एक किसान गरीब ही होगा’ लोगों के बीच इस मानसिकता को जान-बूझकर बढ़ावा दिया गया। अमीर किसानों की आय पर टैक्स लगाने की बात हर सरकार में की गयी, लेकिन आज तक यह फैसला नहीं लिया गया क्योंकि सभी को अपना वोट बैंक खोने का डर है।
कृषि आय पर इस छूट की वजह से राष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने पर असमानता भी देखने को मिलती है। देशभर से इकट्ठा किए जाने वाले कुल आयकर में हरियाणा और पंजाब जैसे अमीर राज्यों का योगदान ना के बराबर है, क्योंकि ये राज्य कृषि प्रधान है और कृषि आय पर तो कोई टैक्स है ही नहीं।
इनकम टैक्स के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, देश की लगभग 17 प्रतिशत आबादी को घर देने वाला राज्य उत्तर प्रदेश देशभर से इकट्ठा होने वाले कुल आयकर में सिर्फ 4 प्रतिशत योगदान ही दे पता है। इसके उलट महाराष्ट्र का कुल आयकर में योगदान लगभग 40 प्रतिशत है, जबकि देश की सिर्फ 9.28 प्रतिशत जनसंख्या ही इस राज्य में रहती है।
पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में कुछ किसान बहुत अमीर हैं। कईयों के पास 100-100 एकड़ ज़मीन है और वे असल में करोड़पति हैं, लेकिन बाकी सभी राज्यों में हमें गरीब किसान देखने को मिलते हैं। गरीब किसानों के भले के लिए अमीर किसानों पर आयकर लगाया जाना ही चाहिए। लेकिन इसके लिए गहन राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता होगी। मोदी सरकार पहले भी कई ऐसे कदम उठा चुकी है, जिसमें उसने अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति का उदाहरण पेश किया है। नोटबन्दी, GST और IBC इसके कई उदाहरणों में से एक हैं। इन सब के बाद भी मोदी सरकार की शानदार सत्ता में वापसी हुई। अब इस बात की उम्मीद है कि यह सरकार अमीर किसानों पर टैक्स लगाने के इस क्रांतिकारी कदम उठाने की दिशा में भी काम करेगी।