भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद, EU ने CAA पर वोटिंग को टाला

यूरोपीय संसद

PC: The News Now

कूटनीतिक मंच पर कल भारत को एक और बड़ी कामयाबी मिली। CAA और कश्मीर पर चर्चा कर रही यूरोपीय संसद ने 6 प्रस्तावों पर आज होने वाली वोटिंग को मार्च के अंत तक टाल दिया है। इससे पहले यूरोपियन संसद ने 29 जनवरी को CAA और कश्मीर से संबन्धित 6 प्रस्तावों पर चर्चा की थी, जिसके बाद 30 जनवरी को इन प्रस्तावों पर वोटिंग होनी थी। लेकिन कल यूरोपीय संसद में इन प्रस्तावों पर वोटिंग 13 मार्च तक टालने के लिए एक अन्य प्रस्ताव को पास कर दिया। 13 मार्च को भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ब्रसेल्स का दौरा करने जा रहे हैं जहां वे EU और भारत समिट का नेतृत्व करेंगे, ऐसे में European People’s Party (EPP) के सांसद Michael Gahler ने कहा कि संसद को इस मामले पर कुछ भी बोलने से पहले मामले को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए और 13 मार्च में होने वाले पीएम मोदी के दौरे का इंतज़ार करना चाहिए। जिसके बाद वोटिंग को टालने का प्रस्ताव 271-199 के मत से पास हो गया। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना गया है। भारत सरकार के सूत्रों ने इस जीत को ‘पाकिस्तान के दोस्तों’ पर ‘भारत के दोस्तों’ की जीत करार दिया है।

बता दें कि जब से यूरोपीय संसद ने कश्मीर और CAA पर चर्चा करने का निर्णय लिया है, तभी से भारत कूटनीतिक जरियों के माध्यम से यूरोपीय सांसदों से संवाद स्थापित करने की कोशिश कर रहा था। यूरोपीय संसद में इन प्रस्तावों पर चर्चा और वोटिंग ने भारत और पाकिस्तान राजनयिकों के बीच घमासान का रूप ले लिया था, जिसमें आखिर भारत की जीत हुई। यूरोपीय संसद में इन प्रस्तावों का समर्थन करने वाले पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश सांसद शफ्फाक मोहम्मद को कल मुंह की खानी पड़ी। वे चाहते थे कि इसपर वोटिंग 30 जनवरी को ही हो, क्योंकि 31 जनवरी को यूके के EU से बाहर होते ही उनकी भी EU की संसद से छुट्टी हो जाएगी। जब वोटिंग को टालने का प्रस्ताव संसद में पास हुआ तो शफ़्फाक मोहम्मद का चेहरा देखने लायक था।

देखने वाली बात यह भी थी कि जब कल कश्मीर और CAA पर चर्चा हो रही थी, तो संसद लगभग खाली थी और संसद के 751 सांसदों में से सिर्फ 17 ने ही इस प्रस्ताव पर अपने विचार रखे, और इनमें से अधिकतर ने भारत के पक्ष में ही बयान दिये।

इनमें से अधिकतर सांसदों का कहना था कि अभी CAA और कश्मीर का मामला भारतीय सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, ऐसे में हमें इन कानूनों पर कोर्ट के फैसले का इंतज़ार करना चाहिए। वहीं एक सांसद ने तो इन प्रस्तावों को पाकिस्तानी एजेंडा घोषित कर दिया। एक सांसद ने कहा “इस अभियान के पीछे पाकिस्तान का ही हाथ है। वह सभी नियमों की धज्जियां उड़ाता है, और हम उन्हें GSP (Generalized System of Preferences) देते हैं”।

इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को यूरोपीय संसद अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को उक्त प्रस्तावों के संदर्भ में पत्र लिखकर कहा था कि एक देश की संसद द्वारा दूसरी संसद के लिए फैसला देना अनुचित है और निहित स्वार्थो के लिए इनका दुरुपयोग हो सकता है। बिरला ने पत्र में लिखा था, “अंतर संसदीय संघ के सदस्य के नाते हमें दूसरे देशों, विशेष रूप से लोकतांत्रिक देशों की संसद की संप्रभु प्रक्रियाओं का सम्मान रखना चाहिए”। भारत ने पिछले दिनों कूटनीति के माध्यम से जो भी कदम उठाए, उन्हीं का यह नतीजा निकला कि इस प्रस्ताव पर वोटिंग मार्च के अंत तक टल गयी और पाकिस्तान परस्त सांसदों की बुरी हार हुई।

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