चंट राजनेता, घटिया आदमी: CAA/NRC के विरोध की आड़ में Niku के मन में कुछ और ही खिचड़ी पक रही है

नितीश कुमार

PC: AajTak

‘बिहार में CAA-NRC लागू नहीं होगा’ 12 जनवरी को अपने ट्वीट में जनता दल यूनाइटेड यानि जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने यही कहा था। CAA वही कानून है जिसे संसद में JDU ने समर्थन दिया था। अब आखिर क्या वजह है कि JDU अपने द्वारा पास किए हुए कानून के खिलाफ ही मोर्चा खोलने पर मजबूर हो रही है? राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानि NRC के खिलाफ तो बिहार के सीएम नितीश कुमार भी बोल चुके हैं। 16 जनवरी को जब अमित शाह राज्य में CAA को लेकर जागरूकता रैली आयोजित कर रहे हैं, उससे ठीक तीन दिन पहले नितीश कुमार ने NRC के खिलाफ बयान देकर भाजपा को बड़े संकेत देने की कोशिश की है। इसी वर्ष राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और माना जा रहा है कि CAA और NRC मुद्दे पर बयानबाजी कर JDU चुनावों के लिए अधिक से अधिक सीटें पाने के लिए भाजपा पर दबाव बना रही है।

13 जनवरी को यानि बीते सोमवार को नितीश कुमार ने NRC को लेकर बयान दिया था कि “NRC अन्यायपूर्ण है और उन्हें नहीं लगता कि इसे पूरे देश में लागू करने की ज़रूरत है”। इसके अलावा नितीश कुमार ने इस बात से भी इंकार नहीं किया कि CAA को लेकर बिहार विधानसभा में चर्चा की जा सकती है। नितीश कुमार द्वारा NRC पर दिए बयान से पहले JDU के दो नेता खुलकर CAA के विरोध में बोल चुके हैं।

पवन वर्मा और प्रशांत किशोर द्वारा CAA के खिलाफ खुलकर बोले जाने के बाद भी नितीश कुमार या जेडीयू द्वारा उनपर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। ये सब तब हो रहा है जब दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद बिहार ही ऐसा राज्य होगा जहां विधानसभा चुनाव होंगे। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह कह चुके हैं कि बिहार में भाजपा और NDA नितीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में नितीश कुमार और JDU के तेवर को देखकर यही कहा जा सकता है कि JDU अभी सीट बंटवारे से पहले भाजपा पर अधिक से अधिक दबाव बनाने का काम कर रही है और भाजपा को बैकफुट पर लाने की कोशिश कर रही है।

नितीश कुमार के करीबी नेता का कहना है कि हमारे नेता ने हमेशा से एनआरसी के खिलाफ अपना रुख साफ रखा था जो उनकी सेक्युलर छवि को दर्शाता है। उन्होंने बीते महीने ही यह साफ कर दिया था कि अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं है। बिहार में मुस्लिम वोट करीब 17 फीसदी है नीतीश कुमार को इस बात का एहसास है कि अगर बीजेपी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा तो मुस्लिम वोट बड़े स्तर पर जेडीयू को नहीं मिल सकेगा। हालांकि, यह बात देखने वाली होगी कि नीतीश कब तक सीएए और एनआरसी के खिलाफ अपना विरोधी रवैया जारी रखते हैं।

नितीश कुमार इससे पहले कश्मीर मुद्दे पर भी केंद्र सरकार के विरोध में बोल चुके हैं। हालांकि, इतना सब कुछ होने के बावजूद भाजपा की ओर से नितीश कुमार या जेडीयू के खिलाफ कोई बयान नहीं देखने को मिला है। ऐसा लगता है मानो भाजपा किसी भी सूरत में जेडीयू के साथ अपना गठबंधन नहीं तोड़ना चाहती जिसका जेडीयू भर-भर के फायदा उठा रही है। अब जब CAA पर भी JDU ने खुलकर भाजपा के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया है, तो अब भाजपा को नितीश कुमार को अपने तेवर में नर्मी लाने के लिए बाध्य करना चाहिए।

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