बॉलीवुड का वामपंथी गुट अक्सर ही सुर्खियों में बने रहने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाता है, भले ही इसके लिए उन्हें सार्वजनिक रूप से अपनी बेइज्जती ही क्यों न करवानी पड़े। अलिया भट्ट और उनकी माँ अक्सर अपने बयानों और गलतियों की वजह से चर्चा में रहती हैं बस फर्क इतना है एक की गलतियां क्यूट होती है जबकि सोनी राजदान एजेंडा साधती हैं। एक बार फिर से सोनी राजदान ने यही किया है। दरअसल , चर्चित अभिनेत्री आलिया भट्ट की माँ और अभिनेत्री सोनी राजदान आतंकी अफजल गुरु को बलि का बकरा बताकर एक बार फिर से विवादों के केंद्र में हैं।
सोनी राजदान ने ट्वीट कर कहा, “यह न्याय का उपहास है। अगर वह (अफजल) बेगुनाह साबित होता है तो कौन उस मर चुके आदमी को वापस लाएगा। इसलिए मौत की सजा को हल्के में नहीं लेना चाहिए और इस बात की सख्त जांच की आवश्यकता है कि अफजल गुरू को बलि का बकरा क्यों बनाया गया?” –
दरअसल, अभी कुछ दिनों पहले जम्मू कश्मीर में दो आतंकियों के साथ एक पुलिस अफसर दविंदर सिंह को हिरासत में लिया गया था। जांच पड़ताल में ये सामने आया कि संसद पर हुए हमले के बाद जब अफजल गुरु हिरासत में लिया गया था, तो उससे पूछताछ करने वाले पुलिस अफसरों में कथित रूप से दविंदर सिंह भी शामिल था। बस, फिर क्या था, वामपंथियों ने तुरंत अफवाहें फैलानी शुरू कर दी कि दविंदर सिंह ने अफजल गुरु से confession निकालने के लिए उसे प्रताड़ित किया गया जबकि अफजल गुरु दोषी नहीं था।
सोनी राजदान को इस ट्वीट के लिए सोशल मीडिया के यूजर्स ने खूब खरी खोटी सुनाई। नंदिनी इद्नानी नाम की एक ट्विटर यूजर ने कहा, “लानत है तुम पर। उन लोगों का क्या जो संसद और सांसदों को बचाने में अपनी जिंदगी गंवा बैठे? Scapegoat (बलि का बकरा) माय फुट। यही वजह है कि हम ‘छपाक’ का बहिष्कार कर रहे हैं, शिकारा का बहिष्कार कर रहे हैं” –
एक अन्य ट्विटर यूजर ने कहा, “हम आतंकी की मौत पर आंसू नहीं बहाते। दुनिया उनके बगैर बेहतर है। तुम भी मेरा यही करो।” –
अगर आप थोड़ा गौर करें, तो सोनी राज़दान और आलिया भट्ट ऐसे मामलों में एक समान है। अंतर बस इतना है, कि आलिया भट्ट काफी क्यूट मिस्टेक्स करती हैं, परंतु सोनी राज़दान मिस्टेक नहीं, घनघोर ब्लंडर करती है, जिससे वामपंथी विचारधारा की बू अक्सर आती रहती है। अब आलिया भट्ट का वो legendary उत्तर कौन भूल सकता है, जब उन्होंने भारत के राष्ट्रपति के जवाब में पृथ्वीराज चव्हाण का उत्तर दिया था।
यही नहीं, जामिया मिलिया के विद्यार्थियों के समर्थन में जब आलिया भट्ट ने संविधान की एक प्रति अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर शेयर की थी। जिस संविधान के प्रस्तावना की फोटो आलिया भट्ट ने शेयर की थी, वो मूल संविधान की थी, नाकि संशोधित संविधान की, जिसमें ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ एवं ‘एकता और अखंडता’ जैसे शब्द जोड़े गए थे।
परंतु अगर बिटिया सेर है, तो अम्मा सवा सेर है। लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी को वोट न देने की अपील करते करते सोनी राजदान ने एक रेलवे सीट को लेकर हुई आपसी झड़प में एक लड़के की हत्या को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की थी। सोनी राजदान ने ट्वीट कर कहा था, “मैं जुनैद खान हूं, मुस्लिम लड़का उम्र 15 है। मुझे मुस्लिम होने के कारण ट्रेन में भीड़ द्वारा मार दिया गया। वोट करते समय मुझे याद रखें।” इस ट्वीट के बाद कई लोगों ने ट्विटर पर उनकी खूब आलोचना की थी।
परंतु अम्माजी यहीं नहीं रुकीं। जब पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक रूप से प्रताड़ित लोगों को नागरिकता की प्रदान करने के लिए नागरिकता संशोधन कानून पारित किया गया, तो सोनी राजदान ने तपाक से अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए ट्वीट कर अपना विरोध जताया था किया। अभिनेत्री आलिया भट्ट की मां और अभिनेत्री सोनी राजदान ने इस विधेयक के लोकसभा में पारित होने को भारत का अंत बताते हुए कहा था, “यह उस भारत का अंत है, जिसे हम जानते हैं और प्यार करते हैं, या हम में से कई के लिए जो करते हैं ।“
This is the end of the India we all know and love. Or at least for many of us who do. 💔 https://t.co/qgMalHOZ1U
— Soni Razdan (@Soni_Razdan) December 9, 2019
सच कहें तो हमारे देश के वामपंथी गुट के लिए उनका एजेंडा हमेशा सर्वोपरि रहा है। चाहे उसके लिए इन्हें सफ़ेद झूठ का पहाड़ बनाना पड़े, चाहे झूठ उजागर होने पर समाज में अपनी भद्द ही क्यों न पिटवाना पड़े, पर एजेंडा तो चलना ही चाहिए। अगर अटल जी के शब्दों को थोड़ा सा इस परिप्रेक्ष्य में परिवर्तित करें, तो सोनी राज़दान जैसे लोगों के जीवन का एक ही मंत्र है, “सरकारें आती जाती रहेंगी, मगर एजेंडा रहना चाहिए”।