अरुंधति रॉय के रंगा बिल्ला गैंग के लिए अमित शाह ने निकाला रामबाण इलाज

जनगणना

एजेंडावादी लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने पिछले महीने NRC का विरोध करते हुए कहा था “एनपीआर के लिए जब सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं तो उन्हें अपना नाम रंगा बिल्ला-कुंगफू कुत्ता बताइए। अपने घर का पता देने के बजाए प्रधानमंत्री के घर का पता लिखवाएं”। अब इसके एक महीने बाद केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वर्ष 2021 में होने वाली जनगणना के दौरान पूछे जाने वाले सवालों का यदि कोई मकान मालिक गलत जवाब देता है तो उसे एक हजार रुपए तक जुर्माना भरना पड़ सकता है।

यह सब जानते हैं कि लोग इस डर से सरकार को अपने बारे में सही जानकारी नहीं देते हैं, क्योंकि उन्हें डर होता है कि कहीं उनके द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर भविष्य में उनके खिलाफ कोई कार्रवाई ना हो जाये। इसके अलावा अरुंधती रॉय जैसे लोग भी लोगों को गुमराह करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे, और लोगों को सरकार को गलत जानकारी देने के लिए प्रेरित कर रही हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि सरकार को गलत जानकारी देने वालों के लिए सज़ा का प्रावधान करे। इसके लिए हम अमेरिका से सीख ले सकते हैं।

अमेरिका में अगर कोई व्यक्ति जनसंख्या के सटीक गणना में बाधा उत्पन्न करता है और सही जानकारी नहीं देता है तो उसपर 1000 डॉलर का जुर्माना लगाया जाता है, और उसे एक साल जेल की सज़ा भी दी जा सकती है। हर कोई देश अपने नागरिकों की सही जानकारी चाहता है ताकि देश की सुरक्षा को मजबूत किया जा सके और लोगों तक जन-लाभकारी योजनाएँ पहुंचाई जा सके। और अगर कोई गलत जानकारी देता है और सभी देशों की सरकारें इसके लिए दंडात्मक कार्रवाई भी करती हैं। हालांकि, भारत में अरुंधति रॉय जैसे लोग अक्सर लोगों को भड़काकर उन्हें गलत जानकारी देने के लिए प्रेरित करते हैं जिसके कारण भारत सरकार के पास लोगों की सही जानकारी है ही नहीं है।

बता दें कि केंद्र सरकार ने 1 अप्रेल, 2021 से 30 सितंबर, 2021 तक होने वाली जनगणना 2021 के दौरान पूछे जाने वाले सवालों की लिस्ट जारी की है, इसमें हाउस लिस्टिंग एंड हाउसिंग सेंसस के दौरान हर घर से जानकारी जुटाने के लिए करीब 31 सवाल पूछने के निर्देश दिए गए है। सरकार ने अबकी बार PAN ID से जुड़े सवाल नहीं पूछे हैं क्योंकि इससे लोगों को डर होता है कि कहीं उनके खिलाफ कोई कार्रवाई ना कर दी जाये।

सरकार ने ऐसे कई कदम उठाए हैं जिसकी वजह से यह सुनिश्चित हो सके कि लोग NPR और जनगणना अधिकारियों को सही जानकारी दें। गृह मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार “स्कूलों के अध्यापकों को ही जनगणना अधिकारी बनाया जाता है, जो क्षेत्रीय लोगों को अच्छे से जानते होते हैं। अधिकारियों को इसके लिए 25 हज़ार रुपए भी दिये जाते हैं”।

अब सरकार ने गलत जानकारी देने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लेकर सही काम किया है, जो कि जान-बूझकर सरकार को भ्रामक जानकारी देते हैं। ये उन लोगों के मुंह पर भी तमाचे के समान है जो लोगों को अपने देश की सरकार के खिलाफ ही मोर्चा खोलने के लिए प्रेरित करते हैं और उन्हें भड़काते हैं।

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