बीजेपी नेता शलभ त्रिपाठी ने बड़े प्रेम से अनुराग कश्यप की कुंठा की खोली पोल

अनुराग कश्यप

PC: AajTak

मित्रों, ‘वक्त’ तो याद होगा न? नहीं याद है? अरे वही फिल्म, जिसमें राजकुमार ने कहा था, “चिनॉय सेठ, जिनके घर शीशे के हों, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते!” शायद हमारे चर्चित फ़िल्मकार अनुराग कश्यप ने कभी इस डायलाग की ओर ध्यान ही नहीं दिया, वरना वे समझ जाते कि दूसरों पर कीचड़ उछालने से पहले अपने गिरेबान में भी झांक लेना चाहिए।

पिछले कुछ दिनों से अनुराग कश्यप सीएए और एनआरसी के विरुद्ध मुखर रूप से मोर्चा संभाले हुए हैं। इसके लिए वे पीएम मोदी के विरुद्ध आपत्तिजनक बयान देने से भी नहीं हिचकिचाते। हाल ही में अनुराग कश्यप ने सीएए के लागू होने पर ट्वीट किया, “हमारे ऊपर CAA लागू करने वाले PM की degree in “entire political science “ देखनी है मुझे पहले। साबित करो पहले कि मोदी पढ़ा लिखा है । फिर बात करेंगे, #F**kCAA” –

हालांकि, कुछ लोगों को अनुराग का आपत्तिजनक बयान रास नहीं आए। भाजपा प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने अनुराग को उनके बयानों के लिए आड़े हाथों लेते हुए कहा, “मोदी जी, अमित शाह जी और योगी जी से नफ़रत की वजह तो समझिए, पिटी फ़िल्मों पर भी जनता की गाढ़ी कमाई उड़ाते हुए बंटने वाली सरकारी भीख और पेंशन की बख्शीश Bjp सरकार आते ही बंद हो गई, फिर क्या मुफ्तखोरों में नफरत तो भड़कानी ही है !”–

इसके साथ ही उन्होंने कई पत्र प्रकाशित किए, जिसमें अनुराग कश्यप ने यूपी सरकार से कथित तौर पर अपनी फिल्म ‘मुक्काबाज’ और ‘सांड की आँख’ के लिए डोनेशन हेतु आवेदन किया था। इसके साथ ही अनुराग कश्यप के समाजवादी पार्टी से संबंध पर भी प्रकाश डालते हुए शलभ मणि त्रिपाठी ने एक अलग ट्वीट पोस्ट किया, जहां वे लिखते हैं, “पिटी हुई फ़िल्मों के लिए सरकारी भीख ना मिली तो अनुराग कश्यप कुंठित हो गाली गलौज पर उतर आए। कुछ सरकारें इनकी फ्लॉप फ़िल्मों पर भी करोड़ों देती थीं,यश भारती को पेंशन की शहद भी चटाती थीं, योगी जी ने मुफ्त की पेंशन बंद कर पैसा ग़रीबों,विधवाओं,किसानों में बांट दिया,यही चिढ़ है इनकी” –

दरअसल, शलभ मणि त्रिपाठी ने अनुराग कश्यप का वो पहलू उजागर किया है, जो वे पूरी दुनिया से छुपाते फिर रहे हैं। 2016 में आई ‘रमन राघव 2.0’ के बाद से अनुराग कश्यप एक भी सफल फिल्म नहीं दे पाये हैं, चाहे वो निर्माता के तौर पर या फिर निर्देशक के तौर पर। बतौर निर्देशक उन्होने ‘मुक्काबाज’, ‘मनमर्जियाँ’ जैसी फिल्में की है, जबकि निर्माता के तौर पर उन्होंने ‘दास देव’ ‘भावेश जोशी सुपरहीरो’, ‘सांड की आँख’ जैसी फिल्में की है। ‘सांड की आँख’ को छोड़ दें, तो किसी भी फिल्म ने 30 करोड़ से ज़्यादा की कमाई नहीं की है। वेब सिरीज़ और OTT प्लेटफार्म की ओर भी अनुराग कश्यप मुड़े, पर ‘सेक्रेड गेम्स’ के पहले संस्करण को छोड़ दें तो उन्हें यहाँ भी असफलता ही हाथ लगी है।

अनुराग कश्यप ने शलभ मणि त्रिपाठी के आरोपों का खंडन करते हुए ट्विटर पर सफाई देने की कोशिश की, परंतु अपने पहले ही ट्वीट में वे सफ़ेद झूठ बोलते पकड़े गये। भाजपा के ‘दोहरे मापदंड’ को उजागर करने के प्रयास में अनुराग कश्यप ने ट्वीट किया, “ट्वीट दोबारा कर रहा हूँ क्योंकि पिछले में एक प्राइवट नम्बर था । फ़िल्म बंधु उत्तर प्रदेश को प्रमोट करने के लिए एक स्कीम है जिसके लिए मुझसे ज़्यादा किसी ने internationally UP के लिए नहीं किया है cinema में । योगी सरकार के दौरान मसान के लिए फ़िल्म बंधु में सब्सिडी दो थी”।

अरे अनुराग भैया, शराब के नशे में ट्वीट नहीं करना चाहिए। एक तो सब्सिडी दी थी की बजाए सब्सिडी दो थी लिख दिये, ऊपर से मसान की रिलीज़ डेट भी फास्ट फॉरवर्ड कर दिये। मसान 2015 में जून माह में प्रदर्शित हुई थी, जिसके लिए अनुदान 2014 में मिला था। उस समय योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से लोकसभा सांसद थे, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं, जो उस समय समाजवादी पार्टी की नेता अखिलेश यादव थे। अपने मालिक की खुशामद में ऐसे सफ़ेद झूठ बोलना तो कोई अनुराग कश्यप से ही सीखे।

Exit mobile version