कोरोना वायरस के मरीजों को भेजकर हॉंग कॉंग को तबाह करना चाहता था चीन, लोगों ने प्लान फेल कर दिया

कोरोना वायरस

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चीन में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है। यह खतरनाक वायरस चीन में लगभग 5 हज़ार लोगों को संक्रमित कर चुका है, और इसके साथ ही लगभग 106 लोगों की जान भी ले चुका है। यह वायरस सिर्फ चीन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दुनिया के कई देशों में इस वायरस से संक्रमित मरीजों की पुष्टि हो गयी है।

चीन से हॉंग कॉंग में भी इस कोरोना वायरस का एक्सपोर्ट हुआ और अभी हॉंग कॉंग में इस वायरस से 8 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हो गयी है। इसके साथ ही लगभग 100 से ज़्यादा लोगों पर इस वायरस से संक्रमित होने का संदेह है। इसी बीच हॉंग कॉंग की कठपुतली सरकार पर यह आरोप भी लगाए गए कि वह जानबूझकर कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों को मेनलैंड चीन से हॉंग कॉंग की ओर धकेलने के लिए कई कदम उठा रहा है। उदाहरण के लिए हॉंग कॉंग की सरकार ने ये कदम उठाए थे, जिसके बाद हॉंग कॉंग के लोगों में काफी गुस्सा देखने को मिला था।

पहला, Hong Kong की कठपुतली सरकार ने मेनलैंड चाइना से आने वाले मरीजों के लिए मुफ्त उपचार सुविधा प्रदान करने की घोषणा की।

दूसरा, Hong Kong ने मेनलैंड चाइना से सटे बोर्डर्स को बंद करने से मना कर दिया।

तीसरा, मेनलैंड चीन से आने वाले मरीजों द्वारा जांच कराने को अनिवार्य घोषित न करना।

हॉंग कॉंग सरकार के इन फैसलों के बाद वहां के चीन-विरोधी और चीन के पक्ष के तत्वों ने एक सुर में इनका विरोध करना शुरू कर दिया था। हॉंग कॉंग की हॉस्पिटल यूनियन ने सरकार को 28 जनवरी तक का समय देकर धमकी दी कि अगर जल्द ही चीन से लगी सीमाओं को बंद नहीं किया गया, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इससे पहले जब हॉंग कॉंग के लोगों ने चीन के साथ बोर्डस को बंद करने का आह्वान किया था, तो हाँग काँग के बड़े नेता ने कहा था कि इससे स्थिति और ज़्यादा ही खराब होगी

इसके बाद उनको भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। रविवार रात को लोगों ने बड़े पैमाने पर आगजनी करनी शुरू कर दी थी, जिसमें लोकतन्त्र विरोधी लोगों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था, यही सबसे हैरानी की बात थी। आखिर लोगों के इस दबाव के सामने झुककर अब हाँग काँग सरकार ने कोरोना वायरस को Hong Kong में फैलने से रोकने के लिए कई कदम उठाने शुरू कर दिये हैं। हॉंग कॉंग सरकार ने घोषणा की है कि वे मेनलैंड मरीजों को मुफ्त उपचार नहीं देंगे और साथ ही बॉर्डर को बंद करने पर भी विचार करेंगे। इसके साथ ही मेनलैंड चीन की ओर जाने वाली ट्रेनों को बंद कर दिया जाएगा और फ्लाइट्स की संख्या को आधा किया जाएगा।

हॉंग कॉंग के लोगों में वहां की सरकार और चीन पर भरोसे की कमी को इसी बात से समझा जा सकता है कि इससे पहले Hong Kong की सोशल मीडिया में यह बात चलन में थी कि चीन जानबूझकर कोरोना वायरस को Hong Kong में फैलाने के लिए ये कदम उठा रहा है। इन सबका खंडन करते हुए बाद में हॉंग कॉंग की सरकार ने कहा था कि वे कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हॉंग कॉंग के संसाधनों को उपयोग करना चाहती है।

इससे पहले Hong Kong सरकार के विवादित प्रत्यर्पण बिल पर भी लोगों में और सरकार में काफी तनाव देखने को मिला था। चीन के इतिहास को देखकर इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता कि चीनी सरकार ने कोरोना वायरस को Hong Kong में फैलाने के लिए ही इन कदमों को नहीं उठाया हो, और हॉंग कॉंग में अपनी कठपुतली सरकार के जरिये इन्हें लागू करने की कोशिश की हो। चीन का शुरू से ही यह एजेंडा रहा है कि वह एक चीन की नीति में विश्वास रखता है और ताइवान और हॉंग कॉंग को चीन का बेजोड़ हिस्सा बनाने पर काम करता आया है। लेकिन यहां पर हॉंग कॉंग के लोगों के साहस की प्रशंसा करनी होगी जिन्होंने अपने समाज के हित के लिए हॉंग कॉंग की कठपुतली सरकार को अपनी मांगे मानने पर मजबूर किया।

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