साफ है, दीपिका पादुकोण ने अपनी राजनीति के लिए लक्ष्मी को दांव पर लगाया

लक्ष्मी की कहानी लोगों तक पहुंचनी चाहिए थी, लेकिन दीपिका के मन में तो कुछ और ही था

दीपिका

एसिड अटैक की एक पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल के संघर्ष पर आधारित ‘छपाक’ बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी है। अभिनेत्री दीपिका पादुकोण द्वारा JNUSU से मिलना और उनका अप्रत्यक्ष समर्थन इस फिल्म के असफल होने के पीछे एक प्रमुख कारण बताया जा रहा है। मेघना गुलज़ार द्वारा निर्देशित ये फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है, जहां लक्ष्मी अग्रवाल पर 2005 में नदीम खान नामक एक व्यक्ति ने एसिड से हमला कर उनका चेहरा हमेशा के लिए विरूपित कर दिया था।

JNUSU के उपद्रवी छात्रों से हाथ मिलाने के कारण लोगों ने #boycottchhapaak ट्रेंड करना शुरू कर दिया था। इस ट्रेंड का असर फिल्म के बॉक्स ऑफिस परफॉर्मेंस पर भी दिखा। 10 जनवरी को रजीनीकान्त की ‘दरबार’ और अजय देवगन अभिनीत ‘तानहाजी – द अनसंग वॉरियर’ के साथ प्रदर्शित होने वाली ‘छपाक’ पहले दिन केवल 4.77 करोड़ की ही कमाई कर पायी।

अगले दो दिनों में छपाक ने क्रमश: लगभग 7 करोड़ रुपये और 7.35 करोड़ रुपये कमाए, पर ये छपाक को हिट कराने के लिए काफी नहीं था। इस शुक्रवार को छपाक के कलेक्शन में जो गिरावट आई, वो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। फिल्म शुक्रवार को बॉक्स ऑफिस पर एक करोड़ भी नहीं कमा पाई, और उसका अब तक कुल घरेलू कलेक्शन केवल 29 करोड़ रुपये से कुछ ही ज़्यादा है।  चूंकि फिल्म का कुल बजट 40 करोड़ रुपये है, इसलिए इस प्रदर्शन के अनुसार छपाक घरेलू स्तर पर निर्विरोध ‘फ्लॉप’ कही जाएगी।

(PC: Loksatta)

दीपिका पादुकोण का JNU दौरा एक सुनियोजित पीआर स्टंट था, जो बाद में बैकफायर कर गया। दीपिका की इस हरकत से आहत हुए कई लोगों ने सोशल मीडिया पर उनकी मूवी बॉयकॉट करने का ट्रेंड चलाया, जो दीपिका के लिए कम परंतु फिल्म के मूल विषय के लिए ज़्यादा घातक था। दीपिका के पास तो कई प्रोजेक्ट हैं जिससे वे अपनी खोई हुई साख वापस पा सकती हैं, परंतु लक्ष्मी अग्रवाल ने एसिड अटैक से पीड़ित युवतियों के लिए जो संघर्ष किया, उसके लिए ये पीआर स्टंट किसी आपदा से कम नहीं था।

इस लड़ाई में लक्ष्मी अग्रवाल के संघर्ष को पराजय झेलनी पड़ी है, क्योंकि उनका रोल पर्दे पर निभाने वाली एक्ट्रेस दीपिका ने एक बचकानी हरकत करते हुए जेएनयू का न केवल दौरा किया, बल्कि वहाँ के उपद्रवी छात्रों के साथ खड़े हो उन्होने एक गलत संदेश भेजा, जिससे लोग भड़क गए और उनकी मूवी बॉयकॉट करने की मांग करने लगे। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में टैक्स फ्री होने के बाद भी ये फिल्म अपना बजट तक नहीं बचा पायी।

हमने कई अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को फिल्मों से पहले ऐसे पीआर स्टंट्स में हिस्सा लेते देखा गया है, अब समय आ चुका है कि उन्हे ऐसे काम करने से पहले एक बार अवश्य सोचना चाहिए। जब JNU की हिंसा पर स्थिति स्पष्ट नहीं थी, तो ऐसे में दीपिका का वहाँ जा कर केवल एक पक्ष को समर्थन देना कहीं से भी एक परिपक्व निर्णय नहीं था। दीपिका का पीआर स्टंट तो असफल था ही, और साथ ही साथ उन्होंने लक्ष्मी अग्रवाल के एसिड अटैक के विरुद्ध चलाये जा रहे संघर्ष का भी उपहास उड़ाया। छपाक का फ्लॉप होना बॉलीवुड के लिए एक सीख है – जनता की भावनाओं के साथ न खेलें, वरना जनता कहीं का नहीं छोड़ेगी।

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