पहले आँसू बहाये, पैसे कमाए, अब दीपिका पादुकोण TikTok पर लक्ष्मी का मज़ाक उड़ाने पर उतर आई हैं

दीपिका पादुकोण

PC: Amar Ujala

लगता है छपाक पर खड़े हुए विवाद और बॉक्स ऑफिस पर अप्रत्याशित असफलता से दीपिका पादुकोण ने कोई सबक नहीं लिया है। इसीलिए वे एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार भी गलत कारणों से। इस बार उन्होंने टिकटॉक पर एक चैलेंज पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने अपने ‘छपाक’ लुक को चैलेंज देकर न केवल एसिड अटैक की पीड़िताओं का अपमान किया, बल्कि लक्ष्मी अग्रवाल के संघर्ष का भी उपहास उड़ाया।

दरअसल, दीपिका पादुकोण छपाक के प्रमोशन के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं, और इसी सिलसिले में उन्होंने अपने आप को टिक टॉक पर भी लॉन्च किया, इस उम्मीद से कि शायद टिक टॉक से उनके प्रशंसक छपाक को प्रोमोट करें। इसके साथी ही उनके फिल्म को  टियर 2 और टियर 3 शहरों में बढ़ावा भी मिले। इसी संबंध में उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसके कारण उन्हें चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। एक वायरल टिक टॉक वीडियो में उन्होंने मेकअप आर्टिस्ट को उनके तीन फेवरेट लुक्स अपनाने को कहा, जिनमें ओम शांति ओम, पिकू और छपाक के लुक्स शामिल थे

क्या यह निर्लज्जता की पराकाष्ठा नहीं है? क्या दीपिका पादुकोण ने छपाक के प्रमोशन के दौरान लक्ष्मी की कहानी बताते बताते जो आँसू बहाये थे, वो बस दिखावा था? यदि टिक टॉक के वीडियो पर ध्यान दिया जाये तो ऐसा ही लगता है। फिल्म के प्रमोशन के लिए दीपिका ने जो कदम उठाया है, वो निस्संदेह शर्मनाक और निंदनीय है। एक एसिड अटैक पीड़िता का दर्द दीपिका के लिए सिर्फ मेकअप लुक तक सीमित है? इस कृत्य पर दीपिका की जितनी निंदा की जाये, कम होगी।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि छपाक घरेलू बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हुई है, जिसके पीछे दीपिका का अपरिपक्व प्रमोशन ही प्रमुख कारण है। एक एसिड अटैक पीड़िता पर जो बीतती है, उसका हम अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते, पर टिक टॉक पर उस संघर्ष को एक मेकअप लुक तक सीमित करना बहुत ही भद्दा मज़ाक है।

ऐसे में सोशल मीडिया पर दीपिका पादुकोण के इस प्रमोशनल वीडियो की काफी आलोचना की गयी। श्रद्धा सुमन राय की एक ट्विटर यूजर ने कहा, “क्या सच में ऐसा हुआ है? हद्द है, दीपिका पादुकोण पागल हो गयी है!” –

श्रीकांत नामक ट्विटर यूजर ने इस विषय पर आक्रोश जताते हुए लिखा, “एसिड अटैक मेक अप? और कितना नीचे गिरेंगी [दीपिका]? शर्म आनी चाहिए आपको दीपिका पादुकोण?”

https://twitter.com/srikanthbjp_/status/1218455631750815746

ऐसे ही चर्चित ट्विटर यूजर पॉलिटिकल कीड़ा ने अपने अकाउंट पर दो वीडियो पोस्ट की, जिसमें एक में दीपिका छपाक की अपनी journey के बारे में बात करते समय एसिड अटैक पीड़िताओं के संघर्ष पर रोती हुई दिखाई दी थी, और दूसरे में उन्ही् के संघर्ष का उपहास उड़ाती हुई टिक टॉक पर वीडियो बना रही थी। इसी पर तंज़ कसते हुए पॉलिटिकल कीड़ा ने लिखा, “हे भगवान! कोई हमें बताएगा कि प्रमोशन के दौरान वो घड़ियाली आँसू दीपिका किस बात के लिए बहा रही थीं” –

दीपिका ने इस कृत्य से सिद्ध किया है कि वे स्वभाव से कितनी संवेदनहीन है, जिनके लिए शायद लक्ष्मी अग्रवाल के संघर्ष को पर्दे पर रूपांतरित करना एक पीआर स्ट्रेटजी का ही हिस्सा था। पर इससे इस तथ्य को बिलकुल नहीं छुपाया जा सकता कि दीपिका की गलतियों का दुष्परिणाम लक्ष्मी अग्रवाल को भुगतना पड़ रहा है, और शायद दीपिका लक्ष्मी के संघर्ष को पर्दे पर रूपांतरित करने के योग्य भी नहीं थी।

यदि दीपिका वास्तव में महिला अधिकारों की हितैषी थी, तो वे निर्भया के माँ बाप से मिलकर उनका हौसला बढ़ा सकती थी, उनके संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर चल सकती थी। पर नहीं, उनके लिए जेएनयू के उपद्रवी छात्रों से मिलना ज़्यादा ज़रूरी था। जिस दिन निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने का रास्ता साफ हुआ, उस दिन दीपिका निर्भया के माँ बाप के साथ न होकर जेएनयू छात्र संघ के उपद्रवी छात्रों के साथ थी।

सच कहें तो छपाक दीपिका के ऊपर कभी केन्द्रित थी ही नहीं। ये तो मूल रूप से लक्ष्मी अग्रवाल के संघर्ष को सलाम करने वाली एक मार्मिक कथा थी, जिसे पर्दे पर रूपांतरित किया जाना चाहिए था। परंतु विडम्बना तो यह है कि अब फिल्म छपाक केवल और केवल दीपिका के पीआर स्टंट्स तक ही सीमित हो गयी है, और दीपिका के मेकअप की भांति लक्ष्मी अपने घावों को नहीं हटा सकती। दीपिका तो ‘83’ की सफलता से फिर भी अपनी खोयी प्रतिष्ठा प्राप्त कर लेंगी, परंतु अपनी हरकतों से लक्ष्मी अग्रवाल और लाखों ऐसे एसिड अटैक पीड़िताओं को जो उन्होंने घाव दिये है, वो कभी मिटाये नहीं मिटेंगे।

 

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