डॉ॰ कन्नन तमिलनाडु में जन्मे, भाग्य उन्हे असम ले गया और वे सबसे प्रसिद्ध Oncologist में से एक बन गए

डॉ॰ कन्नन जैसे व्यक्ति बहुत ही कम मिलते हैं

रवि कन्नन

(PC: Barak Bulletin

हाल ही में पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गयी, जिसके अंतर्गत देश के विभिन्न हस्तियों को उनके योगदानों के लिए पद्म श्री से लेकर पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है। इस बार पद्म श्री पुरस्कारों के लिए कई ऐसे हस्तियों को चुना गया है, जिनहोने अपना सब कुछ दांव पर लगा कर लोगों की निस्स्वार्थ भाव से सेवा की। इसी में एक व्यक्ति हैं डॉ॰ रवि कन्नन, जिनहे असम में कैंसर के मरीजों की निशुल्क सेवा करने के लिए इस वर्ष पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

डॉ॰ रवि कन्नन असम के बराक वैली में सिलचर शहर में स्थित CACHAR CANCER HOSPITAL & RESEARCH CENTRE के डायरेक्टर हैं।  उन्होंने चेन्नई के किल्पौक मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की और और नई दिल्ली के मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज से एमएस की पढ़ाई पूरी की। चेन्नई के ही कैंसर संस्थान से उन्होने Surgical Oncology के क्षेत्र में  M Ch (Master of Chirurgie) भी पूरी की है।

कैंसर संस्थान चेन्नई में भी उन्होंने कई वर्षों तक काम किया और जब वे संस्थान से निकले, तो वे डिपार्टमेन्ट ऑफ सर्जिकल ऑंकोलॉजी के अध्यक्ष थे एवं हेड एंड नेक डिविजन के हेड भी थे। इसके अलावा उन्होंने मद्रास कैंसर केयर फाउंडेशन के सदस्य के तौर पर 8 महीने तक अपनी सेवाएँ दी और फिर वे 2007 में Cachar कैंसर हॉस्पिटल की कमान संभालने के लिए सिल्चर पहुँच गए थे।

Cachar कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की स्थापना 1996 में की गयी, ताकि बराक वैली में रहने वाले गरीब मरीजों का सस्ते दरों और कुछ मामलों में निशुल्क इलाज हो सके। इससे पहले कैंसर के इलाज के लिए सबसे निकटतम अस्पताल गुवाहाटी में था, जो उस क्षेत्र से 350 किलोमीटर की दूरी पर था। शुरुआत में अस्पताल के लिए राह आसान नहीं थी, क्योंकि एक तो अस्पताल के प्रबन्धकों के पास संसाधनों की कमी थी, और उसके ऊपर से दूरस्थ इलाके में स्थित इस अस्पताल में आने से पेशेवर डॉक्टर कतराते थे।

परंतु 2007 में मानो डॉ॰ रवि कन्नन के आने से अस्पताल के दिन फ़िर गए। रवि कन्नन चाहते तो अड्यार कैंसर हॉस्पिटल में ही अपनी प्रैक्टिस जारी रख एक आराम की ज़िंदगी बिता सकते थे, परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया। रवि की पत्नी सीता के अनुसार, “शुरू शुरू में मैं भी थोड़ी शंका में थी, परंतु जब मैंने वहाँ के समुदायों में इस अस्पताल के निर्माण का प्रभाव देखा, तो मुझे समझ आया कि उन्होंने यह निर्णय क्यों लिया था”।

डॉ॰ रवि ने अपने परिवार के साथ कई अन्य पेशेवर डॉक्टर को इस अस्पताल को अपनी सेवाएँ प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया। धीरे धीरे अस्पताल का ऐसा कायाकल्प हुआ, जिसे देख बड़े से बड़ा व्यक्ति भी हैरान हो जाये। 100 से ज़्यादा बेड्स और अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ इस अस्पताल को केंद्र सरकार से एक अस्पताल कम रिसर्च सेंटर की मान्यत भी मिली। इस अस्पताल में अब एक टेली मेडिसिन सेंटर, दूरस्थ क्षेत्रों में मोबाइल क्लीनिक्स, क्षेत्रीय लोगों को रोजगार की सुविधा आदि प्रदान की जाये। अब इस अस्पताल में हर वर्ष लगभग 3500 मरीजो का इलाज होगा। इसके अलावा हर वर्ष 1300 सर्जरी होती हैं। बेड occupancy हमेशा 100 प्रतिशत रहती है।

पुरस्कार मिलने पर बराक बुलेटिन से बात करते हुए डॉ॰ रवि कन्नन ने कहा, “यह अस्पताल केवल एक व्यक्ति या संस्थान के बारे में नहीं है। बहुत लोगों ने वैली में स्थित इस अस्पताल के विकास में अपना अपना योगदान दिया है। यह उपलब्धि केवल मेरी नहीं है अपितु अस्पताल में उन सभी व्यक्तियों की है, जो अस्पताल में मेरे साथ काम करते हैं, और उस समाज की भी है, जो हमारे समर्थन में आगे आए”।

देश डॉ॰ रवि कन्नन जैसे व्यक्तियों का सदैव आभारी रहेगा, जिन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगाते हुए न केवल लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा की, अपितु पूर्वोत्तर में कई लोगों को एक नया जीवन भी दिया।

 

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