फूल और कांटे’ से लेकर ‘तान्हाजी’ तक- अजय देवगन; जनता के सबसे चहेते Superstar

अजय देवगन

दो मोटरसाइकल हैं, दोनों समानान्तर एक साथ चल रही है, दोनों पर एक एक पाँव रख कर खड़ा है एक दुबला सा सांवला नौजवान। लेदर की जैकेट, आँखों पर काला चश्मा, टेढ़े मांग वाले लहराते बाल और चेहरे पर एक अजीब सी गंभीरता। अचानक रास्ते में एक डिवाइडर आता है, दायें वाला बाइक सवार बाइक और दांयी करता है, बायें वाला बाइक सवार बाइक और बांयी करता है, दोनों बाइकों के बीच की दूरी बढ़ जाती है, बाइक के ऊपर खड़ा नौजवान अपनी दोनों टाँगो को split करता है, डिवाइडर पार हो जाता है। मैं तब पाँच साल का था जब मैंने ये फिल्म देखी थी, पर जो तालियां सिनेमा हाल में बाजी थी वो मुझे आज भी याद हैं। फिल्म का नाम था फूल और कांटे जो उस साल की सबसे बड़ी हिट्स में से एक थी और अभिनेता का नाम था अजय देवगन। बॉलीवुड के सबसे कामयाब स्टंट डाइरेक्टर वीरू देवगन के पुत्र विशाल जिनका फिल्मी नाम अजय है, उनसे बेहतरीन स्टंट्स की उम्मीद सबसे थी परंतु उन्होंने अपने स्टंट्स के साथ बेहतरीन अभिनय भी दिखाया जिसके लिए उन्हे फिल्मफेयर का बेस्ट debut एक्टर का पुरस्कार भी मिला। इस शुक्रवार को अजय की 100वी फिल्म तानाजी – The Unsung Warrior रीलीज़ हुई है जो houseful चल रही है।

भारत देश, विशेषतः भारत का सिनेमा व्यवसाय सुंदर चेहरों से आसक्त रहता है, यहाँ सिर्फ हीरोइने ही नहीं हीरोज़ को भी आकर्षक दिखना आवश्यक है। इसलिए नवाज़ुद्दीन और मनोज बाजपेयी जैसे दमदार अभिनेता सिर्फ चरित्र अभिनेता बन कर रह जाते हैं तो वहीं सलमान खान जैसे औसत अभिनेता सिर्फ अपनी खूबसूरती के दम पर सुपरस्टार बन जाते हैं। आज फिल्म इंडस्ट्री में सही मायनों में सिर्फ पाँच ही सुपर स्टार हैं जिन्होंने लगभग तीन दशकों से दर्शकों के दिल में अपनी छाप बनाए रखी है। उन पाँच में तीनों खान यानि की शाहरुख, सलमान और आमिर खान है तो बाकी दो हैं अक्षय कुमार और अजय देवगन। अजय देवगन इन सबसे अलग इसलिए हैं क्योंकि अजय देवगन वो नहीं है जिसे अँग्रेजी में Conventionally Beautiful कहा जाता है।

लगभग तीन दशक के अपने लंबे करियर में अजय ने हर तरह की फिल्में की हैं – जहां शुरुआती दौर में उन्होंने जिगर, संग्राम, विजयपथ, सुहाग और दिलजले जैसी एक्शन फिल्मों में ना सिर्फ अपने स्टंट का बेहतरीन उदाहरण दिया बल्कि इन सारी फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर हिट भी कराया। वहीं नाजायज और दिलवाले जैसी फिल्मों में बेहद गंभीर अभिनय का लोहा भी मनवाया। एक एक्टर की लोकप्रियता सिनेमा हाल के front seat की आडियन्स तय करती है क्योंकि सीटियाँ और तालियाँ वहीं से बजती हैं। अजय देवगन 1995 आते आते front seat के आडियन्स के दिलों की धड़कन बन चुके थे।

पर अजय देवगन एक consistent स्टार नहीं थे जहां उनकी कई फिल्में सुपर हिट हुई वहीं हलचल, गुंडाराज, जंग, जान और इतिहास जैसी कई फिल्में औंधे मुंह बॉक्स ऑफिस पर गिरी। ये वो समय था जब तीनों खानों ने अपना अपना फॉर्मूला सेट कर लिया था जहां सलमान खान राजश्री के साथ पारिवारिक फिल्में और बाकी production houses के साथ कॉमेडी फिल्में कर रहे थे, वहीं शाहरुख यशराज productions के साथ रोमांस किंग बन चुके थे। आमिर ने चुनिन्दा फिल्में करनी शुरू की थी जहां पूरी फिल्म उनके ही बारे में होती थी। ऐसे में अजय देवगन स्टारडम की दौड़ में पीछे हो रहे थे। फिर अचानक से अजय देवगन के भाग्य ने करवट ली, पहले 1998 में बनी महेश भट्ट की फिल्म जख्म ने दिलवाया उन्हे उनका पहला राष्ट्रीय पुरस्कार तो अगले ही साल आई हम दिल दे चुके सनम ने कामयाबी के सारे रेकॉर्ड तोड़ दिये। हम दिल दे चुके सनम में उनके साथ सलमान खान भी थे और अजय का रोल भी छोटा था लेकिन अपने छोटे से रोल में भी अजय देवगन ने दर्शकों को हिला के रख दिया। सलमान खान की स्क्रीन presence के सामने टिकना लगभग असंभव काम था, लेकिन अजय देवगन न सिर्फ टिके बल्कि उन्होंने सलमान खान को उनकी ही फिल्म में पछाड़ दिया।

24 February 1999 को अजय देवगन ने अपनी long time girlfriend और प्रख्यात अभिनेत्री काजोल से विवाह किया और काजोल के लेडी लक ने अजय के उदयीमान सितारे को और ऊपर पहुंचाया। लज्जा में उनके छोटे से रोल ने जमकर वाहवाही बटोरी। 2002 में आई फिल्म कंपनी में ना सिर्फ उनके काम को सराहा गया बल्कि फिल्म ने ताबड़तोड़ कमाई भी की। इस फिल्म के लिए अजय देवगन को कई अवार्ड्स भी मिले। उसी साल शहीद भगत सिंह पर कई फिल्में बनी जिनमें से एक राजकुमार संतोषी ने बनाई। इसमें भगत सिंह की भूमिका में थे अजय देवगन, ये फिल्म ना सिर्फ बाकी फिल्मों से ज़्यादा कामयाब हुई बल्कि पूरे भारतीय सिनेमा के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई। ऐसा शायद पहली बार हुआ था जब एक फिल्म को देखते हुए पूरा का पूरा सिनेमा हाल रो रहा था। इस फिल्म ने दिलाया अजय को उनका दूसरा राष्ट्रीय पुरस्कार। फिर आई उनकी फिल्म दीवानगी जहां अजय देवगन negative रोल में थे। एक सनकी प्रेमी की भूमिका में अजय देवगन के काम ने सबको उनका फैन बना दिया और फिर से अजय देवगन पर अवार्ड्स की मानों बारिश सी हुई।

उसके बाद भी अजय देवगन ने भूत, खाकी और युवा जैसी कई फिल्में की जिन्हें ना सिर्फ critics ने बल्कि दर्शकों ने भी सराहा। अजय देवगन ने बिहार की पृष्ठभूमि पर बनी दो बेहतरीन फिल्में बनाई जिनका निर्देशन प्रकाश झा ने किया था। जहां गंगाजल मे अजय एक साफ सुथरे और बहादुर पुलिस कमिश्नर की भूमिका में थे वहीं अपहरण में अपहरण उद्योग में संलिप्त एक नौजवान की भूमिका उन्होंने बखूबी निभाई। दोनों ही फिल्में बेहद कामयाब रही और अजय देवगन बिहार के सबसे चहेते स्टार बन गए। उसके बाद आई फिल्म रेनकोट में एक बेरोजगार नौजवान के रूप में और फिल्म ओंकारा में एक बाहुबली के रोल में अजय ने फिर एक बार अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवाया। अजय देवगन अब तक ना सिर्फ कामयाब स्टार बल्कि एक उत्कृष्ट अभिनेता के रूप में जाने जाने लगे थे।

रोहित शेट्टी की गोलमाल से कॉमेडी में अजय ने पदार्पण किया और आगे चल कर यह एक बहुत ही कामयाब film franchisee भी बनी। 2010 से लेकर अभी तक अजय देवगन ने कई और कामयाब फिल्में भी दी जैसे Once Upon a Time in Mumbai, राजनीति, सिंघम, बोल बच्चन, सन ऑफ सरदार, सिंघम रिटर्न्स, दृश्यम, शिवाय इत्यादि। जैसा की हमने पहले बताया कि इस शुक्रवार को अजय की 100वीं फिल्म तानाजी – The Unsung Warrior रीलीज़ हुई है और वो houseful चल रही है।

बतौर अभिनेता अजय ने अपने आप को कभी भी किसी फार्मूले में नहीं बांधा, जब उन्हें एक्शन स्टार मान लिया गया तब उन्होंने रोमांटिक फिल्में की, जब रोमांटिक फिल्मों का टैग लगने लगा तो सामाजिक मुद्दों वाली फिल्में की, फिर कॉमेडी, फिर रोमांस, फिर एक्शन। अजय देवगन ने बॉक्स ऑफिस success से ज़्यादा हमेशा अपने अभिनय पर ध्यान दिया इसलिए शायद front seat की आडियन्स की सीटियों और तालियों से होते हुए वे क्रिटिक्स की पहली पसंद बने। हिन्दी फिल्मों में या तो अभिनेता होते हैं या हीरो। हीरो को अभिनय करने का सुख नहीं मिल पता और अभिनेता कभी हीरो वाली लोकप्रियता नहीं प्राप्त कर पाता। लेकिन अजय देवगन बॉलीवुड के इकलौते सितारे हैं जो अभिनेता भी हैं और हीरो भी।

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