असम और बाकी पूर्वोत्तर को भारत से अलग करने की मांग करने वाले जेएनयू विद्यार्थी शर्जील इमाम को आखिरकार बिहार के जहानाबाद की एक मस्जिद से हिरासत में लिया गया। यूपी पुलिस, दिल्ली पुलिस और बिहार पुलिस की एक संयुक्त टीम ने इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया, और अभी दिल्ली के एक न्यायालय ने शर्जील की कस्टडी दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच को सौंपी दी है।
परंतु दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच की जांच पड़ताल से जो निकलकर सामने आया है, उससे पता चलता है कि शर्जील इमाम के इरादे बिलकुल भी नेक नहीं थे। दिल्ली पुलिस के सूत्रों के अनुसार, “शर्जील इमाम ने यह स्वीकार किया कि जो भी वीडियो में बोला गया है, वो शत प्रतिशत सत्य है और वीडियो के साथ किसी भी प्रकार की छेड़खानी नहीं की गयी है। शर्जील को अपने किए का कोई अफसोस नहीं है। जांच में पता चला है कि शर्जील काफी उग्र स्वभाव का है और उसकी मंशा है कि भारत एक इस्लामिक मुल्क हो। उसकी वीडियो को फोरेंसिक साइन्स लैब भेजा गया है और इस्लामिक यूथ फ़ेडरेशन और पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से उसके कनैक्शन की जांच की जा रही है”।
बता दें कि शर्जील इमाम शाहीन बाग में जारी विरोध प्रदर्शनों के मुख्य संयोजकों में से एक रहा है, जिसका एक भाषण सोशल मीडिया पर विवादों का केंद्र बन गया। शाहीन बाग में जमा लोगों को संबोधित करते हुए शर्जील कहता है, “असम को भारत से काटना हमारी ज़िम्मेदारी है। जब तक असम और भारत अलग नहीं होते, तब तक वो हमारी नहीं सुनेंगे। असम में मुसलमानों की हालत तो आप जानते ही हैं। सीएए और एनआरसी वहां पर लागू हो चुका है। लोगों को डिटेन्शन कैंप्स में फेंका गया है, नरसंहार हो रहा है और फिर 6-8 महीने में हम पाएंगे कि बंगाली, चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, सब मारे जाएंगे। यदि हमें असम की रक्षा करनी है, तो हमें पूर्वोत्तर का गेटवे बंद करना होगा”।
परंतु शर्जील यूं ही इतना उग्र और कट्टरपंथी नहीं हुआ है, और शाहीन बाग में कहा गया भड़काऊ भाषण उसका पहला ऐसा केस नहीं है। प्रारम्भिक जांच में शर्जील के सोशल मीडिया अकाउंट्स से कुछ पोस्ट निकाले गए हैं, जिससे साफ पता चलता है कि शर्जील काफी पहले से ही भारत के विरुद्ध सोशल मीडिया पर विष उगलता रहता था। उदाहरण के लिए जब मुंबई में 1993 में हुए बम विस्फोटों के दोषी याक़ूब मेमन को फांसी पर लटकाया गया था, तो शर्जील ने पोस्ट किया था कि याक़ूब मेमन की फांसी से भारतीय मुसलमानों का भरोसा देश की कानून व्यवस्था में नहीं टूटना चाहिए, क्योंकि उसे तो भारतीय समाज को संतुष्ट करने के लिए अफजल गुरु को फांसी पर लटकाकर बहुत पहले ही तोड़ दिया गया था।
शर्जील के इस पोस्ट के अनुसार, “याक़ूब को लटका दिया गया, परंतु इशरत जहां, अहसान जाफरी, कौसर बी, सादिक़ शेख, सोहराबुद्दीन के हत्यारों को न सिर्फ छोड़ा गया, परंतु उन्हें प्रोमोशन भी दिया गया। नरेंद्र मोदी, अमित शाह, डीजी वंजारा, पीपी पाण्डेय जैसे लोगों को क्लीन चिट दी गयी, जबकि सभी सबूत उनके खिलाफ थे”।
शर्जील इमाम के अंदर का विष कितना विषैला था, इसका अंदाज़ा इसी बात से पता चल सकता है कि उसे अपने भड़काऊ भाषण पर तनिक भी अफसोस नहीं है और वो फिर से भारत को विदेशी आक्रांताओं का दास बनाना चाहता है। यदि विश्वास नहीं होता तो इस पोस्ट्स पर भी एक दृष्टि डाल लीजिये –
परंतु बात वहीं पर नहीं रुकी। शर्जील इमाम को द वायर जैसे वामपंथी पोर्टल ने अपने यहाँ न सिर्फ नियुक्त किया, बल्कि उसके कई भड़काऊ लेख प्रकाशित किए, जिनमें कुछ तो मुहम्मद अली जिन्ना की बधाई भी कर रहे थे। 2018 में मई माह में शर्जील इमाम ने एक बेहद आपत्तीजनक लेख लिखा था, जिसमें उसने भारत के विभाजन के प्रमुख दोषियों में से एक मुहम्मद अली जिन्ना को माफ़ करने की बात की थी। इमाम ने इस लेख में लिखा है, “विभाजन में सबसे ज़्यादा नुकसान भारतीय मुसलमानों का हुआ, पर जिन्ना या मुस्लिम लीग पर दोष डालना इतिहास के अनुसार अच्छा नहीं होगा”।
पूरे लेख में इमाम जिन्ना का महिमामंडन करते हुए दिखाई दिया, ये जानते हुए भी कि जिन्ना के कारण विश्व के सबसे खौफनाक नरसंहार में से एक 16 अगस्त 1946 को डायरेक्ट एक्शन डे के रूप में हुआ, जिसमें लाखों निर्दोष हिन्दू, सिख और अन्य समुदायों के लोगों की निर्ममता के साथ हत्या की गयी। परंतु द वायर ने शर्जील के इस विषैली विचारधारा पर आंखे मूंदकर उसी का समर्थन करती हुई दिखाई दिया। जब शर्जील कुछ दिनों के लिए फरार हुआ, तो भी द वायर ने उसका पक्ष लेते हुए एक प्रकाशित किया, जिसमें वे ये सिद्ध करने पर तुले हुए थे कि कैसे शर्जील इमाम का भड़काऊ भाषण देशद्रोह नहीं था।
शर्जील इमाम ने सिद्ध कर दिया है कि शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य आखिर क्या था। मीडिया चाहे कितना भी ऐसे लोगों का बचाव कर ले, परंतु वो इस बात को बिलकुल नहीं छुपा सकती कि यह विरोध प्रदर्शन किस प्रकार से कट्टरपंथी इस्लाम को बढ़ावा दे भारत में अराजकता फैलाना चाहते हैं, और कैसे शर्जील इमाम जैसे लोगों का महिमामंडन करना इस देश के भविष्य के लिए बेहद घातक होगा।