महाविकास अघाड़ी के आते ही फॉक्सकॉन हुआ आउट: महाराष्ट्र को लगेगा 5 बिलियन डॉलर झटका

महाविकास अघाड़ी

महाविकास अघाड़ी यानि कांग्रेस, NCP और शिवसेना की सरकार बनते ही महाराष्ट्र के ऊपर काले बादल मंडराने लगे हैं। इसी का एक नमूना हमे देखने को मिला जब फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी एपल (Apple) के हैंडसेट असेंबल करने वाली विश्व की सबसे बड़ी कंपनी अब अपनी इकाई नहीं लगाएगी।

बता दें कि फॉक्सकॉन ने 2015 में देवेंद्र फडणवीस सरकार के साथ एक समझौता किया था, जिसमें वह महाराष्ट्र में प्रस्तावित 5 बिलियन डॉलर का निवेश करती।   इससे महाराष्ट्र 2020 तक 50,000 नौकरियां सृजित करने में मदद मिलती। अब महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने यह घोषणा की कि कंपनी ने अपने हाथ खड़े कर दिये और अब वह राज्य में अपना संयंत्र स्थापित नहीं करेगी।

उन्होंने महाविकास अघाड़ी का बचाव करते हुए फॉक्सकॉन के इस फैसले का दोष उल्टा फॉक्सकॉन पर ही डालने की कोशिश की। सुभाष देसाई ने कहा कि एपल के साथ अपने आंतरिक विवाद के कारण फॉक्सकॉन ने यह फैसला लिया। वहीं फॉक्सकॉन ने महाराष्ट्र में अपने सयंत्र नहीं बैठाने के फैसले के पीछे किसी भी आंतरिक विवाद को स्पष्ट रूप से नकार दिया है।

वैश्विक बाजार में फॉक्सकॉन ने एक बयान में कहा कि कई रिपोर्ट्स से संकेत मिलते हैं कि कंपनी और उसके प्रमुख क्लाइंट्स  के बीच “आंतरिक विवाद” था, यह सही नहीं है। Hon Hai ने कहा, “वर्तमान में यह समूह अपने प्रमुख क्लाइंट्स के साथ अच्छा काम कर रहा है।”

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया पहल की तर्ज पर, फॉक्सकॉन ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में अपनी वैश्विक पहुंच को बढ़ाने के लिए 2020 तक भारत में 10-12 सयंत्र स्थापित करने के लिए एक परियोजना शुरू की थी। फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप के चेयरमैन टैरी गोउ ने कहा था कि उन्हें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत आने का निमंत्रण दिया था, क्योंकि उनकी कंपनी भारत में विस्तार करने पर विचार कर रही है।

अब जब इस कंपनी ने आंतरिक विवाद को नकारते हुए महाराष्ट्र से बाहर जाने का फैसला किया है तब इस कारण स्पष्ट रूप से महाविकास अघाड़ी की सरकार ही है। यह अक्सर देखा गया है कि जब सरकार बदलती है तो निवेशकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। उद्धव ठाकरे की यह सरकार पूरी तरह से विकास विरोधी है और विकास विरोधी NGOs का समर्थन करती है। यह आरे वन क्षेत्र में मेट्रो परियोजना के कार्य को रोके जाने के समय भी देखा गया था। उद्धव सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि वे देश के सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में से एक, नैनो रिफाइनर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामलों को भी हटा देगी।

सत्ता में आए उद्धव सरकार को एक हफ्ता भी नहीं हुआ था कि मुंबई मेट्रो के आरे वन क्षेत्र स्थित मेट्रो शेड के काम पर रोक लगा दी गयी। बुलेट ट्रेन का काम भी अधर में लटका दिया गया है। इतना ही नहीं, जिस तरह से बाला साहब के सुपुत्र उद्धव ठाकरे विकास कार्यों को रोक रहे हैं, उसे देखकर ऐसा लगता है कि वे मुंबई को उसी 90 के दशक वाले जमाने में ले जाना चाहते हैं, जिसमें अपराध और अराजकता चरम पर था।

महाविकास अघाड़ी भले ही एपल (Apple) के हैंडसेट असेंबल करने वाली कंपनी फॉक्सकॉन के महाराष्ट्र से बाहर जाने के कुछ भी कारण बताए लेकिन एक बात तो तय है कि यह सरकार सिर्फ अपने मंत्रियों के परिवार के विकास के बारे में सोचती है न कि राज्य के विकास के बारे में। यानी ठाकरे, पवार और गांधी के विकास के बारे में न कि महाराष्ट्र की जनता के बारे में।

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