कट्टरता और आतंकवाद का नया हब बन रहा है मलेशिया

मलेशिया

South east Asian देश जैसे मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों की सबसे खास बात यह रही है कि इन देशों में अतिवाद नहीं रहा है। यहां के मुसलमान बाकी दुनिया के मुसलमानों से अलग संस्कृति का अनुसरण करते आए हैं। यहां की परंपरा में आपको हिन्दुत्व की छवि देखने को मिल जाएगी। हालांकि, जैसे-जैसे इन देशों में ज़ाकिर नाईक जैसे चरमपंथियों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे ही इन देशों में भी अतिवादी मुस्लिमों की संख्या बढ़ती दिखाई दे रही है। गुरुवार को दिल्ली में मुठभेड़ के बाद पकड़े गए ISIS के तीन संदिग्ध आतंकवादियों के तार सीरिया से मलेशिया तक जुड़े पाए गए हैं। यह दिखाता है कि ज़ाकिर नाईक जैसे लोगों की वजह से कैसे मलेशिया में भी अब लोगों की मानसिकता दूषित होती जा रही है।

दिल्ली पुलिस ने यह बताया है कि मलेशिया के ये आतंकवादी ज़ाकिर नाईक से ही प्रेरित थे। स्पेशल सेल की टीम के एक सदस्य ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर आईएएनएस को शुक्रवार को बताया, ‘पकड़े गए एक आतंकवादी पर जाकिर नाईक का प्रभाव इस कदर है कि उसने अपनी दाढ़ी तक कटवा डाली। तीनों आईएसआईएस की नजरों में आने के लिए भारत में किसी भी बड़ी से बड़ी वारदात को अंजाम देने का रास्ता दिन-रात खोजने में जुटे थे। इन्हें उम्मीद थी कि हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली में अगर वे किसी बड़ी घटना को अंजाम देने में कामयाब हो गए तो जाकिर नाईक और आईएसआईएस खुद ही इन्हें अपने करीब बुलाने का इंतजाम कर लेंगे।’

बता दें कि इस्लामवादियों ने इंडोनेशिया और मलेशिया में कमजोर सार्वजनिक स्कूल प्रणालियों का लाभ उठाया है, सभ्य, धार्मिक रूप से उन्मुख स्कूलों का निर्माण किया है और परिणामस्वरूप, अधिक रूढ़िवादी मूल्यों वाले युवाओं को भड़का रहे हैं। 2011 और 2017 के बीच मलेशिया में कुछ 900 नए निजी इस्लामिक स्कूल खोले गये। इस्लामी नेताओं के विरोध के चलते मलेशिया में दो बार बियर फेस्टिवल रद्द कर दिया गया। मलेशिया में सरकार ने ऐसे संसदीय बिल का समर्थन किया है जो मलेशिया के कलांतन राज्य में मुस्लिमों पर लागू किए जाने वाले शरिया कानूनों का दायरा बढ़ाता है।

जून 2014 में, UMNO की एक शाखा की 20 वीं वर्षगांठ मनाते हुए, पार्टी अध्यक्ष और तत्कालीन प्रधानमंत्री नजीब रजाक ने अपनी पार्टी के सदस्यों से आह्वान किया था कि वे UMNO के अस्तित्व को बचाने के लिए ISIS का अनुकरण करें। अब जब की महातिर मोहम्मद की पार्टी United Malays National Organization ने पैन-मलेशियाई इस्लामिक पार्टी(PAS) जैसे रूढ़िवादी दल के साथ गठबंधन कर लिया है तब मलेशिया का इस तरह से कट्टर इस्लामिकरण की तरफ बढ़ना कोई नई बात नहीं है। बता दें कि प्राचीन काल से भारत में मलेशिया के बारे में जानकारी थी।

रामायण, जातक कथाओं, मिलिन्दपण्ह, शिल्पादिकरम् तथा रघुवंश नामक महाकाव्यों में मलेशिया का उल्लेख मिलता है। मलेशिया के केडाह तथा वैलेस्ली आदि प्रान्तों से इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि वहां शैव धर्म प्रचलित था। यहां से कुछ ऐसी देवियों की मूर्तियां भी मिली हैं जिनके हाथ में त्रिशूल है। अन्य मूर्तियों में सातवीं और आठवीं सदी से संबंधित ग्रेनाइट का नन्दी-शीर्ष, दुर्गा-प्रतिमा तथा गणेश मूर्ति आदि विभिन्न स्थलों से प्राप्त हुई हैं। प्राचीन काल में मलेशिया में ब्राह्मी लिपि के परवर्ती रूप का ही प्रयोग किया जाता था। केडाह नामक स्थान से कुछ ऐसे बौद्ध ग्रंथों के अंश मिले हैं जो पुरानी पाली से मिलती जुलती किसी लिपि में लिखे गए हैं। संस्कृत वहां की स्रोत भाषा रही है। वहां की भाषा में कई ऐसे शब्दों का प्रयोग भी आमतौर पर किया जाता है जो संस्कृत भाषा से लिए गये हैं।

इससे यह स्पष्ट होता है कि मलेशिया अभी नया नया परिवर्तित इस्लामिक राष्ट्र है जो वहाबी इस्लाम के समक्ष अपनी निष्ठा दिखाने की कोशिश कर रहा है। इसी की वजह से अब इस देश से ISIS के आतंकी निकलना शुरू हुए हैं। अगर मलेशिया और south east asia के अन्य देशों ने इस समस्या को नहीं समझा और ज़ाकिर नाईक जैसे आतंकवादियों को अपने देश से नहीं निकाला तो भविष्य में इन देशों के लिए और बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।

Exit mobile version