अमेरिका द्वारा ईरानी जनरल सुलेमानी की हत्या के बाद पश्चिम एशिया में हालात बिगड़ चुके हैं। ईरान ने स्पष्ट रूप से अमेरिका को चेतावनी देते हुए अमेरिकी assets को निशाना बनाने की और बदला लेने की धमकी दी है। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी ईरान को मटियामेट कर देने की बात कह चुके हैं। लेकिन इस तनाव के बीच सभी का फोकस नई दिल्ली पर आने वाला है और कारण है ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ का रायसीना डायलोग में भाग लेना।
बता दें कि अमेरिका-ईरान के बीच युद्ध स्थिति के बाद दिल्ली में होने वाले रायसीना डायलोग में किसी ईरानी नेता की पहली अंतराष्ट्रीय उपस्थिती होगी। रायसीना डायलोग नई दिल्ली में 14-16 जनवरी, 2020 को आयोजित किया जाएगा। ऐसे महत्वपूर्ण समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि विदेश मंत्री जवाद जरीफ नई दिल्ली के इस मंच से दुनिया को क्या संदेश देते हैं। अमेरिका के साथ इस तनाव की स्थिति में उनके एक-एक वक्तव्य का असर विश्व की राजनीति पर पड़ सकता है।
हालांकि, ईरान अमेरिका द्वारा हमले और जनरल सोलेमानी की हत्या के बाद कड़ा रुख अपना चुका है। ईरानी सेना के वरिष्ठ कमांडर ने कहा है कि “सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए उनका देश सही समय और सही जगह का इंतजार करेगा। हम अमेरिकी कार्रवाई का बदला लेने के लिए जोरदार पलटवार करेंगे।” वहीं ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अल-खामेनेई ने भी कहा था कि कि वे सुलेमानी की हत्या का बदला लेंगे।
अब यह देखना महत्वपूर्ण हैं कि ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ विदेश में जा कर क्या रुख अपनाते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि भारत का ईरान और अमेरिका दोनों के साथ ही संबंध अच्छे है। इसी वजह से ईरानी विदेश मंत्री जो भी बयान देंगे उसका असर भारत और अमेरिका दोनों पर ही पड़ने वाला है। जरीफ़ को एक बेहद ही संतुलित नेता माना जाता है। परंतु अमेरिका के उस कार्रवाई के बाद वह भी गुस्से में दिखे थे। और उन्होंने युद्ध की स्थिति को उकसाने के लिए अमेरिका को दोषी बताया था।
The US' act of international terrorism, targeting & assassinating General Soleimani—THE most effective force fighting Daesh (ISIS), Al Nusrah, Al Qaeda et al—is extremely dangerous & a foolish escalation.
The US bears responsibility for all consequences of its rogue adventurism.
— Javad Zarif (@JZarif) January 3, 2020
जरीफ़ की उपस्थिती के कारण विश्व के अन्य देशों और मीडिया का ध्यान नई दिल्ली की ओर हो जाएगा।
जब उन्होंने पिछली बार इसी रायसीना डायलोग में भाग लिया था तब उन्होंने कहा था कि “अंर्तराष्ट्री्य समुदाय एक बदलाव के दौर से गुजर रहा है जहां विश्व शक्तियों के संतुलन जैसी कोई भी सुविधा नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे गलत अनुमान के खतरे पैदा होते हैं।” विदेश मंत्री जारिफ ने कहा था कि “भविष्य में विश्व में शक्ति संतुलन का आधार पश्चिमी देश नहीं होंगे। यह पश्चिम के लिए अपमानजनक नहीं है बल्कि यह स्पष्ट करता है कि भौगोलिक या भूराजनीतिक रूप में पश्चिम का अब वैश्विक विकास पर किसी भी प्रकार का कोई एकाधिकार नहीं है।” यही नहीं जवाद जरीफ़ ने पिछले वर्ष सितंबर में भी CNN से कहा था कि, “हम युद्ध नहीं चाहते हैं, हम सैन्य टकराव में नहीं उलझना चाहते हैं।”
लेकिन अब समय बदल चुका है और ईरान पूरी तरह से दबाव की स्थिति में है। अमेरिका और ट्रम्प रोजाना ईरान पर दबाव बनाने वाले बयान दे रहे है इसलिए ऐसे समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जवाद जरीफ़ नई दिल्ली में होने वाली रायसीना डायलोग में क्या रुख अपनाते हैं।