जयशंकर के अमेरिकी दौरे के बाद ताकतवर अमेरिकी थिंक टैंक ने पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी बजा दी है

पाकिस्तान

पिछले वर्ष अक्टूबर में भारत के विदेश मंत्री जब अमेरिका के दौरे पर गए थे, तब उन्होंने अमेरिकी मीडिया को इंटरव्यू देने की बजाय अमेरिकी थिंक टैंक्स से संवाद किया था। इसका कारण माना गया था कि ये थिंक टैंक्स बहुत शक्तिशाली होते हैं और अमेरिकी प्रशासन पर इनका अच्छा-खासा प्रभाव माना जाता है। अब इसका असर भी दिखाई दे रहा है। उनके दौरे के 3 महीने बाद अमेरिका के एक प्रभावी थिंक टैंक congress research service ने कहा है कि पाकिस्तान के पास भारत के खिलाफ कोई एक्शन लेने का विकल्प नहीं बचा है और आतंकवाद को उसके लगातार समर्थन की वजह से कश्मीर मुद्दे पर वह विश्वसनीयता खो चुका है।

congress research service ने कश्मीर पर अपनी रिपोर्ट ने कहा है कि इस्लामाबाद अब कश्मीर की स्थिति में कोई बदलाव लाने की क्षमता खो चुका है और अब उसके पास कूटनीति का रास्ता अपनाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है। साथ ही CRS ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि 5 अगस्त के बाद से पाकिस्तान कूटनीतिक तौर पर पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ चुका है और सिर्फ तुर्की ही एकमात्र ऐसा देश है जिसने पाकिस्तान को सहारा दिया है। बता दें कि इस थिंक टैंक का US कांग्रेस पर बहुत प्रभाव है और अमेरिकी सांसद इसी थिंक टैंक की रिपोर्ट्स के आधार पर अपना निर्णय लेते हैं।

बता दें कि पिछले वर्ष अपने अमेरिकी दौरे के दौरान एस. जयशंकर उन सभी प्रमुख थिंकटैंकों से रूबरू हुए थे जो अमेरिकी विदेश नीति को बहुत हद तक तय करने वाले ‘चाणक्य’ माने जाते हैं। भारत द्वारा इस तरह की डिप्लोमेटिक एंगेजमेंट पिछले दो दशकों से नहीं दिखाई गई थी, लेकिन एस जयशंकर ने अपने अनुभवों की मदद से ऐसा करने में सफलता पायी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि एस जयशंकर वर्ष 2013 से वर्ष 2015 के बीच अमेरिका में भारतीय राजदूत रह चुके हैं और इन सभी प्रभावशाली थिंक टैंक्स से वे काफी परिचित हैं।

यहां तक कि खुद अमेरिकी विशेषज्ञ भी इस बात को मान चुके हैं कि एस जयशंकर दुनिया के सबसे बढ़िया राजनयिकों में से एक हैं। इन थिंक टैंक्स के माध्यम से एस जयशंकर ने कश्मीर से लेकर, अफ़ग़ानिस्तान और ईरान तक, हर मुद्दे पर भारत के रुख को स्पष्ट किया था। अभी पाकिस्तान पूरी दुनिया में कश्मीर मुद्दे पर भारत को घेरता आया है और वहां भारत द्वारा लगाई गई कथित पाबंदियों की आड़ में अपना एजेंडा चलाता आया है, ये अलग बात है कि वो इसमें कभी सफल नहीं हुआ है।

तब अपनी बात रखने के लिए जयशंकर ने किसी एजेंडावादी मीडिया प्लेटफार्म को इंटरव्यू देना उचित नहीं समझा था, क्योंकि ऐसे मीडिया संगठनों का भारत-विरोधी रुख किसी से छुपा नहीं है। उन्होंने सीधे तौर पर अमेरिका के थिंक टैंक्स के साथ बात करना ठीक समझा जहां से अमेरिका की विदेश नीति को चलाया जाता है। वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने कश्मीर पर अपना एजेंडावादी ज्ञान बांटने के लिए अमेरिका के अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स को चुना था, और इस अखबार के माध्यम से पूरी दुनिया को न्यूक्लियर जंग की धमकी दी थी।

ऐसे में इस बात में किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए कि एस जयशंकर ने अपने दौरे के दौरान मीडिया से मुखातिब न होकर सीधे थिंक टैंक्स के साथ संवाद कर बिलकुल सही कदम उठाया। कहा जाता है कि वॉशिंग्टन डीसी में इतने थिंक टैंक्स है जितने कुछ देशों के पास युद्धक टैंक भी नहीं होते हैं और अमेरिका की विदेश नीति को ये काफी हद तक प्रभाव करते हैं। ऐसे में जयशंकर ने अपने आखिरी अमेरिकी दौरे में जो भी कदम उठाए थे, उनका अब नतीजा दिखाई दे रहा है, और इसके लिए विदेश मंत्री बधाई के पात्र हैं।

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