पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ होने वाले अपराधों का स्तर इस हद तक पहुंच चुका है कि अब सरकार उनकी जनसंख्या से जुड़े आंकड़े ही सार्वजनिक नहीं कर रही है। इंडियन एक्स्प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 में आखिर बार पाकिस्तान में आधिकारिक जनगणना हुई थी। पाकिस्तान की आधिकारिक जनगणना करने वाली संस्था ‘पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो’ की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, देश की कुल जनसंख्या 20.77 करोड़ आंकी गई है। हालाँकि, धर्म के आधार पर डेटा अभी तक सामने नहीं आया है। बताया गया कि डेटा प्रकाशित करने की समय सीमा मार्च 2018 रखी गई थी, इसके बावजूद भी आंकड़ों को जारी नहीं किया गया है।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के प्रताड़ित होने की खबरें समय-समय पर आती रहती हैं। इस देश में हिन्दू, ईसाई और सिख समुदाय के लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन करा दिया जाता है, अन्यथा इनके साथ भेदभाव किया जाता है। पाकिस्तान से पहले भी अल्पसंख्यक धर्मों के लोगों पर अत्याचार की खबरें आती रहीं हैं। ऐसे में अब यह माना जा रहा है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक धर्म के लोगों के साथ होने वाले अत्याचार को प्रमाणित करने वाले आंकड़े छुपाकर पाकिस्तान एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने आप को एक्सपोज होने से बचाना चाहता है।
पाकिस्तान अपने आप को ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान’ कहता है यानि इस देश का धर्म इस्लाम है। इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि इन देशों में हिंदुओं और अन्य धर्म के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता है, और उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। अल्पसंख्यक धर्म के लोग अक्सर आतंकवाद के निशाने पर भी आते हैं। इसी वजह से आज़ादी के बाद से आज तक पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगातार कम हुई है।
वर्तमान में पाकिस्तान में हिन्दुओं की आबादी लगभग 25 लाख है जबकि कुल आबादी 13 करोड़ है। सिंध और बलूचिस्तान कभी हिन्दू बहुल क्षेत्र माने जाते थे। मगर तालिबानी कहर और धार्मिक कट्टरवाद के चलते यहां से भी उनका लगभग सफाया हो गया। बीते तीन वर्षों में क्वेटा सहित कई व्यावसायिक क्षेत्रों में कई हिन्दू व्यापारियों का अपहरण करके हत्या की घटनाएं हुई हैं। 1947 में हिन्दुओं की जनसंख्या 20% तक थी लेकिन छह दशकों में वहां के मुसलमानों ने हिन्दुओं पर जमकर कहर ढाया और आज यह हालात हैं कि हिन्दू जनसंख्या 1.6% है। आज शायद ही ऐसा कोई दिन बीतता होगा जब पाकिस्तान से हिंदुओं एवं अन्य अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होने की खबरें मीडिया में ना आती हों।
एक तरफ जहां पाकिस्तान अनुच्छेद 370, राम मंदिर और CAA जैसे मुद्दों को लेकर भारत सरकार पर मुस्लिमों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का आरोप मढ़ रहा है, तो वहीं ऐसे समय में अपने देश के अल्पसंख्यकों से जुड़े आंकड़े जारी कर वह अपने आप को बैकफुट पर नहीं धकेलना चाहता। यही कारण है कि पाकिस्तानी सेना अब इन आंकड़ों को बाहर नहीं आने देना चाहती है। पाकिस्तानी पीएम और ट्विटर ट्रोल इमरान खान को दिन रात भारत और आरएसएस के सिवा कुछ और नहीं सूझता है। अगर ट्विटर पर उन्हें स्तरहीन ट्वीट करने और फेक न्यूज़ फैलाने से फुरसत मिले, तो उन्हें सेना की आज्ञा लेकर तुरंत इन आंकड़ों को सार्वजनिक करने का दम दिखाना होगा।