सागरिका ने सबसे तेजी से आगे बढ़ते मुस्लिम बहुल शहरों की खबर share की, और वो खबर जनसंख्या को लेकर थी

सागरिका जिसे Economy सोच रही थीं, वो pure biology निकला

सागरिका

लिबरल विचारधारा की स्वघोषित रक्षक एवं पत्रकार सागरिका घोष अपनी विवादित पत्रकारिता के लिए चर्चा में रहती है। वे केरल के ‘डेव्लपमेंट मॉडल’ की पुरोधा रही हैं और वे राज्य के ‘सेक्यूलर’ और ‘लोकतान्त्रिक’ रीतियों की फ़ैन भी है।

कल ब्रिटिश मैगज़ीन द इकोनोमिस्ट ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक इन्फोग्राफिक शेयर करते हुए ट्वीट किया, जिसमें उन्होने बताया की दुनिया के दस सबसे तेज़ी से बढ़ते हुए शहरों में तीन भारत के हैं, और तीन चीन के। चूंकि तीनों शहर केरल के हैं, इसलिए उन्होने उत्सुकता में ट्वीट करते हुए कहा “दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते 10 शहरों में से भारत के जो तीन शहर हैं, वो सभी केरल में है” –

 

बेचारी सागरिका। उन्हे प्रतीत हुआ की यह तीनों शहर आर्थिक आधार पर इस लिस्ट में शामिल हुए हैं। परंतु ये ग्राफिक असल में जनसंख्या के आधार पर सबसे तेज़ी से उभरते हुए शहरों पर आधारित है। इस ग्राफिक को तैयार करने में यूएन के जनसंख्या डिविजन द्वारा उपलब्ध कराया गया डेटा भी इस्तेमाल किया गया था।

इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि भारत के वो तीनों शहर, जो इस सूची में शामिल हैं, वो सभी केरल में स्थित है, चाहे वो मलप्पुरम हो, कोझिकोड हो, या फिर कोल्लम ही क्यों न हो। परंतु तीनों इस सूची में इसलिए हैं, क्योंकि यहाँ की जनसंख्या वृद्धि हर रिकॉर्ड को तोड़ने में जुटी हुई है। उत्तरी केरल में स्थित मलप्पुरम में 2015-20 के बीच में लगभग 44 प्रतिशत तक जनसंख्या वृद्धि हुई है, और 2011 के जनगणना के अनुसार इस शहर की आबादी में 70 प्रतिशत से भी ज़्यादा लोग मुसलमान हैं, जबकि हिन्दू जनसंख्या केवल 27.6 प्रतिशत है। मलप्पुरम देश के उन चुनिन्दा जिलों में है, जहां हिन्दू अल्पसंख्यक है।

यदि सागरिका घोष को पता होता कि केरल में जनसंख्या वृद्धि के पीछे मुसलमानों का योगदान रहा है, तो वे शायद ही इस विषय पर ट्वीट करती। पर वो कहते हैं न, एजेंडा ऊंचा रहे हमारा। अपने एजेंडे को सर्वोपरि रखने की मुहिम में सागरिका घोष ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार दी। उदाहरण के लिए ‘द इकोनोमिस्ट’ की सूची में शामिल दूसरे शहर कोझिकोड को देख लीजिये। 2015-20 के खंडकाल में इस शहर की जनसंख्या में 34.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।

यहां 2011 की जनगणना में मुसलमानों का प्रतिशत 39.2 था, जो अब दिन दोगुनी रात चौगुनी दर से बढ़ता ही चला जा रहा है। स्वराज्य मैगज़ीन के एक रिपोर्ट की माने, तो वर्ष 1901 में उत्तरी केरल में मुस्लिम जनसंख्या 30 प्रतिशत थी, पर 2011 की जनगणना के अनुसार यह प्रतिशत 43.5 तक पहुँच चुका है।

वहीं कोल्लम जैसे शहर में जनसंख्या में 31.1 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। 2011 की जनगणना के अनुसार शहर में 22.5 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या है, और 21.17 प्रतिशत लोग ईसाई हैं, जबकि कुल जनसंख्या में हिंदुओं का प्रतिशत 56.35 प्रतिशत हैं। यदि सागरिका को इस बारे में ज़रा भी जानकारी होती, तो वे ऐसा ट्वीट करने से पहले दस बार सोचती। परंतु केरल का प्रचार अति महत्वपूर्ण था उनके लिए, facts चेक करने का कष्ट क्यों उठाएँ?

परंतु ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब सागरिका ने ऐसे बचकाने बयान या ट्वीट किए हों। 2017 में जब ईवीएम हैक होने की अफवाह पहली बार सुर्खियों में आई थी, तो सागरिका महोदया ने आग में घी डालते हुए कहा था कि EVM को ब्लूटूथ से भी हैक किया जा सकता है, जिसके पीछे सोशल मीडिया पर उन्हे काफी ट्रोल किया गया था। लगता है उन्होने इस बात से कोई सीख नहीं ली थी, और एक बार फिर वे सोशल मीडिया पर आ गयी अपनी भद्द पिटवाने!

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